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मस्जिदों से तालीम के लिए किया जाएगा जागरूक

रमजान-उल-मुबारक का मुकद्दस महीना मोमिनों पर साया बनकर छाया हुआ है। सहरी से लेकर रात को तराबीह की नमाज तक लोग अपने रब की इबादत में मसरुफ हैं। इस माह-ए-मुबारक में इल्म की रोशनी घर-घर तक पहुंचाने के लिए...

मस्जिदों से तालीम के लिए किया जाएगा जागरूक
Center,BareillyThu, 01 Jun 2017 11:11 PM
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रमजान-उल-मुबारक का मुकद्दस महीना मोमिनों पर साया बनकर छाया हुआ है। सहरी से लेकर रात को तराबीह की नमाज तक लोग अपने रब की इबादत में मसरुफ हैं। इस माह-ए-मुबारक में इल्म की रोशनी घर-घर तक पहुंचाने के लिए बेदारी मुहिम चलाई जाएगी। जिसके तहत जुमे की नमाज से पहले तकरीर के जरिए बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराने पर जोर दिया जाएगा। रोजे की पहली अहमियत यह है कि यह अल्लाह तआला का हुक्म और दीन का एक रुकन है। रोजे के जरिए इंसान के अंदर गरीब व भूखे-प्यासे इंसानों पर रहम का जज्बा पैदा होता है, जिससे समाज में खुशहाली आती है। इस बार माह-ए-रमजान में एक नई पहल की शुरूआत होने जा रही है, जिसके तहत मुआशरे के हर घर में शिक्षा का दीप जलाने की तैयारी है।अब छह से 14 साल तक का कोई बच्चा स्कूल जाने से वंचित नहीं रह जाएगा। इसके लिए रमजान में पहले अशरे के पहले जुमे को चुना गया है। इसके बाद मस्जिदों में इमाम तकरीर के जरिए अवाम को जागरुक करेंगे। इस मुहिम का आगाज शहर की जामा मस्जिद से किया जाएगा, जिसमें शहर पेश इमाम मौलाना हुजूर अहमद मंजरी जुमे की नमाज से पहले अपने खिताब के जरिए अवाम को तालीम के लिए बेदार करेंगे।इस महीने में नेकियों का सबाब 70 गुना बढ़ा दिया जाता है। घरों से लेकर मस्जिदों तक इबादत करने वालों की तादाद में इजाफा हो गया है। रात को तराबीह की नमाज अदा करने वालों की भारी भीड़ मस्जिदों में उमड़ रही है। इस मुकददस महीने में उलेमा का यह कदम मुस्लिम समाज में शिक्षा की नई इबारत लिखेगा।

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