जिले में नहीं इनसेंट कलेक्टर, कैसे पकड़ेंगे मच्छर
भले ही मलेरिया-डेंगू के खिलाफ जोरदार अभियान का हल्ला मच रहा है, जमीनी हकीकत यह है कि मच्छर पकड़ने के पर्याप्त इंतजाम ही नहीं है। मच्छर पकड़ने और उनकी प्रजाति बताने का काम इनसेंट कलेक्टर के पास है।...
भले ही मलेरिया-डेंगू के खिलाफ जोरदार अभियान का हल्ला मच रहा है, जमीनी हकीकत यह है कि मच्छर पकड़ने के पर्याप्त इंतजाम ही नहीं है। मच्छर पकड़ने और उनकी प्रजाति बताने का काम इनसेंट कलेक्टर के पास है। जिले में अभी तक इनसेंट कलेक्टर का पद ही नहीं सृजित हुआ है। मंडल में दो पद हैं तो किसी की तैनाती ही नहीं हुई है।
इनसेंट कलेक्टर ही मलेरिया, डेंगू समेत अन्य बीमारियां फैलाने वाले मच्छरों की पहचान करते हैं। बरसात के मौसम में रोजाना 6-8 घंटे मच्छर पकड़ने का काम करते हैं। इनसेंट कलेक्टर ही बताता है कि किस इलाके में कौन सी प्रजाति के मच्छर पनप रहे हैं और उनसे कौन सी बीमारी फैलने का खतरा है। जिले में अब तक इनसेंट कलेक्टर का पद ही नहीं बना है। कई गांवों में मलेरिया विभाग कैंप कर रहा है, लोगों की जांच कर रहा है लेकिन यह नहीं पता चल कि आखिर किस प्रजाति के मच्छर यहां अधिक हैं। इसी तरह मंडल स्तर पर दो पद तो सृजित हैं, लेकिन किसी की तैनाती नहीं है।