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बढ़ते तापमान ने बढ़ाया रोग व कीटों का प्रकोप

बढ़ते तापमान के कारण गन्ने की फसल पर रोग एवं कीटों का हमला भी बढ़ने लगता है। वर्तमान में कीटों में कंडुआ, अंकुर भेदक और टाप बोरर का प्रकोप देखा जा रहा है। जिससे गन्ना की पैदावार के साथ ही चीनी पर्ता पर...

बढ़ते तापमान ने बढ़ाया रोग व कीटों का प्रकोप
हिन्दुस्तान टीम,शाहजहांपुरSun, 23 Jun 2019 12:56 AM
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बढ़ते तापमान के कारण गन्ने की फसल पर रोग एवं कीटों का हमला भी बढ़ने लगता है। वर्तमान में कीटों में कंडुआ, अंकुर भेदक और टाप बोरर का प्रकोप देखा जा रहा है। जिससे गन्ना की पैदावार के साथ ही चीनी पर्ता पर भी असर पड़ने की संभावना है। गन्ना विभाग के अधिकारियों ने किसानों को रोग व कीटों के प्रकोप व बचाव के लिए आगाह किया है।

शनिवार को सहायक चीनी आयुक्त, जिला गन्ना अधिकारी और गन्ना किसान संस्थान के सहायक निदेशक ने गन्ना विकास समिति लिमिटेड व चीनी मिल पुवायां के घुघरौची और सतवां बुजुर्ग में गन्ना सर्वे का निरीक्षण किया। सहायक चीनी आयुक्त संजय कुमार ने कहा कि कुछ किसानों के खेतों में लगे पेड़ी गन्ना में कंडुआ रोग का प्रकोप मिला है। इस रोग में गन्ने के सिरे से चाबुक के समान काली डंडी निकलती है।

पहले यह डंडी एक झिल्ली से ढकी रहती है, जोकि जल्द ही फट जाती है और फफूंद के बीजाणु काले पाउडर के रूप में डंडी के ऊपर दिखाई देते है। उन्होंने कहा कि समय रहते कीट और रोगों की रोकथाम जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर पांच से 20 प्रतिशत गन्ना पैदावार और चीनी पर्ता में कमी आ सकती है। सहायक निदेशक गन्ना किसान संस्थान डा. पीके कपिल ने कहा कि कंडुआ एक फफूंद जनित रोग है, इस रोग के लक्षण साल में दो बार पहला मई-जून और दूसरा अक्टूबर-नवंबर महीने में दिखाई देते हैं। संक्रमित गन्ना पतले घास की तरह दिखाई देता है।

ऐसे गन्ने में रस कम निकलता है और चीनी पर्ता भी कम हो जाता है। इससे बचाव को बीमारी ग्रस्त पौधों को पालीथिन से ढ़ककर उसे उखाड़कर जला दें, या फिर जमीन में दबा देना चाहिए। बीज को बोने से पहले 0.1 प्रतिशत वावस्टीन के घोल से उपचारित करने के बाद ही बुवाई करें। फसल चक्र अपनाने और अवरोधी प्रजातियों की वुबाई करने से भी लाभ मिलता है।

डीसीओ खुशीराम ने कहा कि गन्ने की फसल में कीटों में अंकुर भेदक और टाप बोरर का प्रकोप देखा जा रहा है। इसके बचाव के लिये कोराजेन दवा 150 मिली को 400 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से डें्रचिंग करें। उन्होंने बताया कि कीटनाशक, पेडी प्रबंधन, बीज भूमि उपचार व जैव उर्वरकों पर अनुदान प्राप्त करने के लिये अपने सर्किल के गन्ना पर्यवेक्षक, सचिव गन्ना विकास सहकारी समिति से संपर्क करें। इस मौके पर सहकारी गन्ना विकास समिति पुवायां सचिव विनोद कुमार, जेष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक पुवायां मनीष शुक्ला आदि मौजूद रहे।

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