शाहजहांपुर में 5 साल तक के 44.5 प्रतिशत बच्चे नाटापन के शिकार
शाहजहांपुर। शाहजहांपुर जिले में 5 साल तक की उम्र के बच्चों में नाटापन बढ़ता जा रहा है। जानते हैं, शाहजहांपुर में पांच साल तक के 44.5 प्रतिशत बच्चे...
शाहजहांपुर। शाहजहांपुर जिले में 5 साल तक की उम्र के बच्चों में नाटापन बढ़ता जा रहा है। जानते हैं, शाहजहांपुर में पांच साल तक के 44.5 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जिनकी लंबाई उनकी उम्र के हिसाब से काफी कम है। इसी तरह से पांच साल तक के 34.7 प्रतिशत बच्चों की उम्र के हिसाब से वजन भी कम पाया गया है। लंबाई और वजन कम होने के पीछे पोषण में कमी बड़ा कारण माना जा रहा है। बच्चों में पोषण कितना जरूरी है, इसी के मददेनजर 8 से 14 जनवरी तक राज्य पोषण मिशन की ओर से स्वस्थ बालक और बालिका स्पर्धा का आयोजन किया जाएगा।
पोषण अभियान के तहत जागरूकता लाने के साथ जन भागीदारी और पोषण के स्तर में सुधार लाने के लिए व्यवहार परिवर्तन पर जोर दिया जाएगा। जिला कार्यक्रम अधिकारी युगल किशोर सांगुडी ने बताया कि अभियान को जन आन्दोलन बनाने की दिशा में प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र, पंचायत, स्कूल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर विशेष कैंप के आयोजन किया जाएगा। साथ ही स्वस्थ बालक बालिका स्पर्धा आयोजित होगी। स्वस्थ बच्चे की पहचान करते हुए उसको एवं उसके परिवार को सम्मानित किया जाएगा।
कार्यक्रम का उद्देश
= कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शून्य से छह वर्ष तक के बच्चे के पोषण स्तर में सुधार लाना है। बच्चे के स्वास्थ्य एवं पोषण को भावनात्मक स्तर से जोड़ते हुए समुदाय को स्वास्थ्य एवं पोषण के बारे में जागरूक करना है।
=समुदाय में अभिभावकों के बीच बच्चे को स्वस्थ एवं सुपोषित रखने के लिए प्रतिस्पर्धात्मक माहौल तैयार किया जाएगा। शून्य से छह वर्ष तक के बच्चों की लंबाई व ऊंचाई की माप लेते हुए उनमे व्याप्त कुपोषण जैसे नाटापन, दुबलापन एवं कम वजन के बच्चों की पहचान कर उन्हें उपचार के लिए संदर्भित करना है।
पहले से हुआ है सुधार
= एनएफएचएस - 5 सर्वे रिपोर्ट 2019-21 के अनुसार शाहजहांपुर जिले में पांच वर्ष तक के 44.5 प्रतिशन बच्चे नाटेपन के शिकार हैं, जिनकी लम्बाई उम्र के हिसाब से कम है। 34.7 प्रतिशन बच्चे ऐसे हैं, जिनका वजन उम्र के हिसाब से कम है। हालांकि बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति में काफी सुधार आया है, क्योंकि एनएफएचएस -4 सर्वे रिपोर्ट 2015-16 के अनुसार नाटेपन बच्चों की तादाद 49.3 प्रतिशत तथा कम वज़न के बच्चों की संख्या 54.3 प्रतिशत थी।
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