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कैसे होती है हिफाजत मुल्क की, कभी सरहद पर चल कर देख लेना

तिरंगे की आन बान और शान के लिए शाहजहांपुर के ओसीएफ मैदान पर युवा पसीना बहा रहे हैं। वह सेना में भर्ती के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। वह ओसीएफ मैदान पर एक ट्रेनर से प्रशिक्षण ले रहे...

कैसे होती है हिफाजत मुल्क की, कभी सरहद पर चल कर देख लेना
हिन्दुस्तान टीम,शाहजहांपुरSat, 20 Jan 2018 12:26 PM
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तिरंगे की आन बान और शान के लिए शाहजहांपुर के ओसीएफ मैदान पर युवा पसीना बहा रहे हैं। वह सेना में भर्ती के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। वह ओसीएफ मैदान पर एक ट्रेनर से प्रशिक्षण ले रहे हैं।इन युवाओं ने बताया कि वह सेना में जाकर देश की सेवा करना चाहते हैं। वह बताते हैं कि उनका एक ही सपना है वह भारतीय सेना में भर्ती होना। इसके लिए वह प्रशिक्षक देवेश शुक्ला से ट्रेनिंग ले रहे हैं। प्रशिक्षक देवेश भी सेना में थे, उन्होंने नौकरी छोड़ कर सेना के लिए युवाओं को तैयार करने का संकल्प लिया है। उनके द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके 100 से अधिक युवा अब तक सेना में भर्ती हो चुके हैं। वह देश सेवा में लगे हैं।

प्रशिक्षक देवेश बताते हैं कि शाहजहांपुर के लोगों का सेना में जाकर देशसेवा करने का एक इतिहास रहा है। सेना में भर्ती होने के लिए युवाओं में अब भी जज्बा है, इस जज्बे को कायम रखने के लिए युवाओं को वह प्रशिक्षण देते हैं। देवेश बताते हैं कि शाहजहांपुर में इन युवाओं को प्रशिक्षण देने की कोई व्यवस्था नहीं है। बताया कि वह सेना के लिए जब तैयारी कर रहे थे, तब प्रशिक्षक न मिलने के कारण उन्हें बहुत दिक्कत आई थी। जब उनकी भर्ती हो गई, तब उन्होंने सोचा कि वह देश के लिए और भी बहुत कर सकते हैं, इसलिए वह सेना से नौकरी छोड़ कर चले आए। नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने दो-तीन युवाओं को प्रशिक्षण देना शुरू किया, इसके बाद उनके पास प्रशिक्षण हासिल करने के लिए शाहजहांपुर ही नहीं, दूसरे जिलों से भी युवा आ रहे हैं।

इस वक्त करीब डेढ़ सौ युवाओं को सेना भर्ती की ट्रेनिंग दे रहे हैं। देवेश बताते हैं कि युवाओं को शारीरिक प्रशिक्षण के साथ ही, लिखित परीक्षा की तैयारी कराई जाती है। बताया कि वह युवाओं को बौद्धिक स्तर पर भी बहुत मजबूती देते हैं। प्रशिक्षक देवेश शुक्ला अपनी बात को इन शब्दों के साथ समाप्त करते हैं कि....कभी ठंड में ठिठुर कर देख लेना, कभी तपती धूप में जल के देख लेना, कैसे होती हैं हिफ़ाजत मुल्क की, कभी सरहद पर चल के देख लेना।

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