समझ गए हैं वह खामोश चाहतें मेरी...
बिजलीपुरा स्थित मदरसा नूरूलहुदा में भारतीय गणतंत्र दिवस एवं शहीदों को समर्पित कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन किया...
बिजलीपुरा स्थित मदरसा नूरूलहुदा में भारतीय गणतंत्र दिवस एवं शहीदों को समर्पित कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें शहर के जाने माने शायर और कवियों ने काव्यपाठ किया। अध्यक्षता वरिष्ठ शायर रौनक मुसव्विर आरफी ने की।
बोस्ताने अदब के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में मदरसा नूरूलहुदा के प्रधानाचार्य इकबाल हुसैन उर्फ फूल मियां ने कवियों एवं शायरों का बैज लगाकर स्वागत किया। छात्रा नूर फातिमा ने नात से मुशायरे का आगाज किया।
रौनक मुसव्विर आरिफी ने कहा-
बाल चांदी हो गए तो राज यह हम पर खुला।
जिदगी की फस्ल पक कर और रसीली हो गई।
सरदार आसिफ ने कहा-
यह जो आंखों से छलकता हुआ गम निकला है।
ऐसा लगता है मिरे जब्त का दम निकला है।
फूल मियां फूल ने कहा-
यह देश गांधी के ख्वाबों का है यूं ही इस पर।
फकत यह दिल ही नहीं जां निसार करता हूं।
विकास सोनी ऋतुराज ने कहा-
इस तिरंगे से बड़ा कुछ भी नहीं है।
मैं वतन के गीत गाने आ गया हूं।
राशिद हुसैन राही ने कहा-
समझ गए हैं वह खामोश चाहतें मेरी।
मगर मैं उनकी वफाओं से आशना न हुआ।
अजीम शाहजहांपुरी ने सुनाया-
सर्द मौसम हो तो सूरज को बुरा लगता है।
मेरे आंगन मेरे दालान से रिश्ता रखना।
कवयित्री गुलिस्तां खान ने कहा-
जो पहले लिख चुकी उससे सिवा लिक्खूं वो कहता है।
उसे तजवीज ख़ुद को मसअला लिक्खूं वो कहता है।
इस मौके पर शायर फहीम बिस्मिल, लालित्य पल्लव भारती, अजय अवस्थी, इशरत सगीर इशरत ने काव्य पाठ और शायरी सुनाई।
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि डा.विकास खुराना ने शायरी की सराहना की। शायर फहीम बिस्मिल की उर्दू मैगजीन काविश का विमोचन भी किया गया। सैयद शारिक अली, ममनून खां, अब्दुल कादिर, इजहार हसन, जहूर खां, जाहिद, मुख्तार अहमद, सबीहा सुल्ताना, नाहीद बेगम, सबुही खान, तमजीद, रिजवान, अफवान यार खां ने मौजूद रहे।
