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अधर्म का नाश करने को अवतार लेते हैं भगवान

धर्म जागरण समन्वय की ओर से नौ दिवसीय विशाल श्री रामकथा तीसरे दिन भी जारी रही। कथा में भजनों के दौरान श्रद्धालु थिरकने लगे। इस बीच पूजन-अर्चन भी किया गया। व्यास स्वामी अतुल कृष्ण भारद्वाज ने रविवार को...

अधर्म का नाश करने को अवतार लेते हैं भगवान
हिन्दुस्तान संवाद,शाहजहांपुरMon, 14 Oct 2019 12:32 PM
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धर्म जागरण समन्वय की ओर से नौ दिवसीय विशाल श्री रामकथा तीसरे दिन भी जारी रही। कथा में भजनों के दौरान श्रद्धालु थिरकने लगे। इस बीच पूजन-अर्चन भी किया गया। व्यास स्वामी अतुल कृष्ण भारद्वाज ने रविवार को कहा कि जब धरती पर अधर्म का बोलबाला होता है। तब भगवान का किसी न किसी रूप में अवतार होता है। जिससे असुरों का नाश होता है और अधर्म पर धर्म की विजय होती है। भगवान चारों दिशाओं के कण-कण में विद्यमान है। इन्हें प्राप्त करने का मार्ग मात्र सच्चे मन की भक्ति ही है। उन्होंने कहा कि त्रेता युग में जब असुरों की शक्ति बढ़ने लगी तो माता कौशल्या की कोख से भगवान श्रीराम का जन्म हुआ।

भगवान सर्वत्र व्याप्त है, प्रेम से पुकारने व सच्चे मन से सुमिरन करने पर कहीं भी प्रकट हो जाते हैं। धर्म व संप्रदाय में अंतर को समझाते हुए भारद्वाज ने बताया कि धर्म व्यक्ति के अंदर एकजुटता का भाव पैदा करता है। वही संप्रदाय व्यक्ति को बाहरी रूप से एक बनाता है। मानव को एकजुटता की व्याख्या करते हुए व्यास ने कहा कि एक पुस्तक, एक पूजा स्थल, एक पैगंबर, एक पूजा पद्धति ही व्यक्ति को सीमित व संकुचित बनाती है। जबकि ईश्वर के विभिन्न रूपों का विभिन्न माध्यमों से स्मरण करना मात्र सनातन धर्म ही सिखाता है। ईश्वर व पैगंबर में अंतर को बताते हुए कहा कि ईश्वर के अवतार से असुरों का नाश होता है अधर्म पर धर्म की विजय होती है। यह अद्भुत कार्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम एवं भगवान श्री कृष्ण ने अयोध्या व मथुरा की धरती पर अवतार लेकर दिखाया है। दोनों ने असुरों का नरसंहार करके धर्म की रक्षा की है।

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