मान्यता प्राप्त मदरसों को अनुदानित कराने का प्रयास होगा
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के सदस्य जिरगामुद्दीन ने कहा है कि प्रदेश के आलिया स्तर के मान्यता प्राप्त मदरसों को नियमानुसार शासन से अनुदानित कराने के लिए प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा...
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के सदस्य जिरगामुद्दीन ने कहा है कि प्रदेश के आलिया स्तर के मान्यता प्राप्त मदरसों को नियमानुसार शासन से अनुदानित कराने के लिए प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जाएगा। साथ ही गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की मान्यता के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
बोर्ड सदस्य मंगलवार को लखनऊ जाते हुए बरेली मोड़ स्थित होटल में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में गैर अनुदानित मदरसे काफी संख्या में हैं। ग्रांट पर लेने के लिए आलिया स्तर के जो मदरसे नियमों को पूरा करते हैं। उन मदरसों को शासन से अनुदानित कराने के लिए शासन को प्रस्ताव दिया जाएगा। इसके अलावा पूरे प्रदेश में ऐसे सैकड़ों मदरसे भी हैं, जिनकी शासन के मान्यता नहीं है। ऐसे मदरसों की मान्यता शीघ्र दिलाने के प्रयास किए जाएंगे। ताकि मदरसों को शासन से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ मिल सके।
एक सवाल के जवाब में जिरगामुददीन ने कहा कि मदरसों के प्रति लोगों का नजरिया बदलने और मदरसों में शिक्षा का स्तर ऊपर उठाने के लिए मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया गया है, ताकि मुस्लिम छात्र-छात्राएं दीनी तालीम के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा भी प्राप्त कर राष्ट्र की मुख्य धारा से जुड़ सकें। उन्होंने बताया कि बोर्ड ने मदरसों में स्काउट गाइड योजना भी शुरू कर दी है। मदरसों के छात्र-छात्राएं भी स्काउट-गाइड के माध्यम से राष्ट्र और समाज सेवा का कर्तव्य पूरा करेंगे।
उन्होंने कहा कि माध्यमिक शिक्षा के पैटर्न पर मदरसा शिक्षा परिषद भी कार्य कर रहा है। मदरसे की मुंशी/मौलवी परीक्षा में 6 विषय के पेपर और आलिम की परीक्षा में 5 पेपर कराए जाएंगे। इसके अलावा हाईस्कूल उर्दू से उत्तीर्ण आलिम और इण्टर उर्दू से उत्तीर्ण कामिल की परीक्षा में बैठ सकेंगे। मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार एसएन पांडेय, बोर्ड के कार्यवाहक अध्यक्ष प्रमुख सचिव मनोज सिंह आदि मदरसों में शैक्षिक वातावरण बनाने और शैक्षिक स्तर ऊपर उठाने के लिए गंभीर और प्रयासरत हैं।