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शाहजहांपुर : जेल में बंद भाइयों से नहीं मिलने दिया तो महिलाओं ने जाम कर दी सड़क 

भैय्यादूज पर भाई को स्नेह का तिलक लगाने आई बहनों को जब पता चला कि उन्हें मिलने नहीं दिया जाएगा तो बहनों ने जेल के गेट पर जाम लगा दिया। जाम की सूचना पर विभाग में हड़कंप मच गया। पुलिस कर्मियों ने उन्हें...

शाहजहांपुर : जेल में बंद भाइयों से नहीं मिलने दिया तो महिलाओं ने जाम कर दी सड़क 
हिन्दुस्तान संवाद,शाहजहांपुर Mon, 16 Nov 2020 09:53 PM
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भैय्यादूज पर भाई को स्नेह का तिलक लगाने आई बहनों को जब पता चला कि उन्हें मिलने नहीं दिया जाएगा तो बहनों ने जेल के गेट पर जाम लगा दिया। जाम की सूचना पर विभाग में हड़कंप मच गया। पुलिस कर्मियों ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं मानी। इसके बाद आए जेलर ने सभी को समझाया। कहा कि भाई से फोन पर बात और गेट से ही उनका दीदार कराया जाएगा। तब बहनें ने जाम खोला।

भाई से मिलने को जिद पर अड़ी बहनें
कोरोना संक्रमण को लेकर मिलाई बंद चल रही है। जेल प्रशासन ने रोली, अक्षत व अन्य सामग्री को लिफाफों में दीपावली की शाम तक गेट पर पहुंचाने को कहा था। कुल 55 बहनों के लिफाफे आए थे, लेकिन सभी को यह बात नहीं पता थी। इसलिए भैय्यादूज पर सुबह से ही जेल के गेट पर बहनों की भीड़ लगने लगी। दूर दराज से आई बहनों से जब कहा गया कि उन्हें भाइयों से नहीं मिलने दिया जाएगा तो कुछ निराश होकर लौट गईं, लेकिन कुछ जिद पर अड़ गईं। इसके बाद करीब 50-60 बहनों ने गेट पर ही धरना देकर जाम लगा दिया। तब जेल प्रशासन को उनकी बात माननी पड़ी।
 
गेट से भाइयों का दीदार कर भर आई आखें
बहनों की जिद के आगे जेल प्रशासन को झुकना पड़ा। इसके बाद बहनों ने एक-एक कर अपने भाइयों से जेल गेट के बाहर लगाए गए इंटरकॉम से फोन पर बात की, फिर जेल गेट से दूर खड़े भाई का दीदार किया और रो पड़ीं। बहनों की आंखों में आंसू देख भाई भी रो पड़े। ये दृश्य देख पुलिसकर्मियों की भी आंख भर आई। भाई का दीदार व बात कराने के बाद बहनों ने जेल अधीक्षक व जेलर का धन्यवाद किया। पुवायां की रामश्री बोली कि भाई को रक्षाबंधन पर भी रखी नहीं बांध पाए थे। भैय्यादूज पर मिलाई को मना कर दिया। आज भाई को देखकर दिल को सुकून मिला है।

सुबह से ही जेल गेट पर लगने लगी भीड़
भैय्यादूज पर सुबह से ही जिला कारागार में अपने भाइयों को टीका करने के लिए दूर-दूर से आई बहनें अपनी बारी का इंतजार करती रहीं, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि नहीं मिलने दिया जाएगा। जब पता चला तो निराश हो गईं। कुछ लौट गईं और कुछ रुकी रहीं।

कोरोना काल चल रहा है। मिलाई संभव नहीं थी। 79 बहनों की उनके भाइयों से इंटरकॉम से बात कराई गई। दूर से ही बहनों को उनके भाइयों को दिखाया गया। 
राकेश कुमार, जेल अधीक्षक
 

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