रक्षाबंधन पर 29 साल बाद दीर्घायु आयुष्मान का शुभ संयोग
भाई-बहन का पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन इस बार बेहद खास होगा, क्योंकि इस साल दो अगस्त को रक्षाबंधन पर दीर्घायु आयुष्मान का शुभ संयोग बन रहा...
भाई-बहन का पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन इस बार बेहद खास होगा, क्योंकि इस साल दो अगस्त को रक्षाबंधन पर दीर्घायु आयुष्मान का शुभ संयोग बन रहा है। रक्षाबंधन पर ऐसा शुभ संयोग 29 साल बाद आया है। रक्षाबंधन को लेकर सभी बहुत उत्साह होता है। बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की ईश्वर से कामना करती हैं। इस बार तो बहनों ने घरों में ही खुद अपने हाथों से राखियां तैयार की हैं, जो वह अपने भाइयों की कलाई पर बांधेंगी। जिला प्रशासन ने भी रक्षाबंधन को देखते हुए और साप्ताहिक लाकडाउन होने के बाद भी रविवार को मिठाई और राखी की दुकानों को खोलने की अनुमति दी है।
राखी बांधने का मुहूर्त
शाहजहांपुर में श्री बालाजी धाम के पुजारी केके शुक्ला ने बताया कि सोमवार को राखी बांधने का वक्त सुबह 08.56 से 10.36 तक रहेगा।
पंडित केके शुक्ला ने बताया कि सोमवार को दोपहर में 01.57 से 08.17 तक बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकती हैं।
शुभ संयोग के बारे में
पंडित केके शुक्ला ने बताया कि इस साल सोमवार को रक्षाबंधन पर दीर्घायु आयुष्मान योग बन रहा है। इसके साथ ही सूर्य शनि के समसप्तक योग, सोमवती पूर्णिमा, मकर का चंद्रमा उत्तराषाढ़ा और श्रवण नक्षत्र साथ ही प्रीति योग बन रहा है। इसके पहले यह संयोग साल 1991 में बना था। इस बार श्रावणी पूर्णिमा के साथ महीने का श्रावण नक्षत्र भी पड़ रहा है, इसलिए पर्व की शुभता और बढ़ जाती है। श्रावणी नक्षत्र का संयोग पूरे दिन रहेगा।
कैसे सजाएं राखी की थाली-
राखी की थाली में रेशमी वस्त्र, केसर, सरसों, चावल, चंदन और कलावा रखकर भगवान की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद राखी भगवान शिव की प्रतिमा को अर्पित करें। अब भगवान शिव को अर्पित किया गया धागा या राखी भाइयों की कलाई में बांधे।
भद्रा में राखी बंधवाने से रावण का हुआ सर्वनाश
पंडित केके शुक्ला ने बताया कि भद्रा 2 अगस्त को रात्रि 08.36 से 3अगस्त को सुबह 08.28 तक रहेगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रावण की बहन ने भद्रा में उसे रक्षा सूत्र बांधा था, जिससे रावण का सर्वनाश हो गया था।
राशि के अनुसार राखी बाँधें
मेष-मेष राशि का स्वामी मंगल ग्रह को माना जाता है। इस राशि का पूर्व दिशा पर स्वामित्व है, यदि बहनें रक्षा बंधन पर इस राशि वाले भाई को लाल, नारंगी या सुनहरे रंग की राखी बांधें तो शुभ होगा।
वृषभ- यदि बहनें रक्षा बंधन पर इस राशि वाले भाई को सिल्वर रंग की या चांदी की राखी बांधे तो शुभमाना जाता है। नीले और बादामी रंग की राखी भी बांधी जा सकती है।
मिथुन- इस राशि वाले भाई के लिए हरा रंग शुभ है। हरे रंग के हर शेड्स शुभ और अनुकूल होंगे।
कर्क- इनके लिए चमकीले और हल्के बादामी रंग या मोती की राखी शुभ होगी।
सिंह- सिंह राशि वालों के लिए नारंगी सुनहरी, पीली रंग की राशि शुभ फल प्रदान करेगी।
कन्या- इन्हें नीले मिश्रित हरे रंग या रामा ग्रीन कलर की राखी बांधी जानी चाहिए।
तुला- यह राशि वैभवशाली होती है। इन्हें डायमंड, जरदोजी या सजीधजी खूबसूरत मल्टी कलर की राखी बांधी जा सकती है।
वृश्चिक- इनके लिए मेजेंटा,गुलाबी, संतरी रंग की राशि शुभ रहेगी।
धनु- इस राशि के लिए चटख सरसो पीले रंग और हल्दी कलर की राखी शुभ रहेगी।
मकर- इस राशि के भाई को परपल, गहरे गुलाबी या गहरे नीले रंग की राखी बांधें।
कुंभ- इस राशि के भाई के लिए आसमानी और नीले रंग के सारे शेड्स अच्छे रहेंगे।
मीन- इस राशि के भाई के लिए केशरिया, पीले और लाल रंग की राखी बांधना शुभ माना जाता है।
राखी बांधते वक्त यह मंत्र पढ़ें
ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रों महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
राखी बांधने की पूजा की थाली
सबसे पहले राखी की थाली में कुमकुम, रोली, गंगा जल, चावल, पीली सरसों के बीज, दीपक और राखी रखें।
सबसे पहले राखी अपने ईष्ट को बांधें और उनसे अपने भाई की रक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करें।
इसके बाद भाई को एक लकड़ी के पाटे पर बिठाएं और भाई को सिर ढकने के लिए कहें।
इसके बाद भाई का तिलक करें और तिलक पर चावल लगाएं।
तिलक लगाने के बाद भाई को राखी बांधते समय, मंत्र पढ़ें
इसके बाद अपने भाई की कलाई पर राखी (रक्षासूत्र) बांधे।
राखी बांधने के बाद भाई और बहन दोनों को अपने घर के सभी बड़ों का आर्शीवाद अवश्य लेना चाहिए।
रक्षाबंधन की सावधानियां
रक्षाबंधन के दिन राखी की पूजा अवश्य करें। इसके बाद ही अपने भाई को राखी बांधें।
अपने भाई को राखी बांधने से पहले अपने ईष्ट और बड़ों का आशीर्वाद अवश्य लें।
रक्षाबंधन के दिन भाई को राखी बांधते समय भाई का चेहरा पूर्व दिशा की और रखें।
रक्षाबंधन पर भाई को बहन से राखी बंधवाने के बाद कुछ उपहार अवश्य दें।
रक्षाबंधन के दिन भाई बहन को एक साथ घर के ही मंदिर जाकर भगवान का आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए।