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अभिनय तभी सफल होता, जब किरदार को जिया जाए

रामलीला की जीवंतता के लिए मंचन इतना आसान नहीं है। इसके लिए लीला में किरदार निभाने वाले कलाकारों को खुद में काफी बदलाव लाना पड़ता...

अभिनय तभी सफल होता, जब किरदार को जिया जाए
हिन्दुस्तान टीम,शाहजहांपुरFri, 04 Oct 2019 05:56 PM
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रामलीला की जीवंतता के लिए मंचन इतना आसान नहीं है। इसके लिए लीला में किरदार निभाने वाले कलाकारों को खुद में काफी बदलाव लाना पड़ता है। नियमित और संयमित दिनचर्या को अपनाना पड़ता है। शहर की खिरनीबाग रामलीला मैदान में रामलीला का मंचन चल रहा है। इन दिनों मंचन करने वाले कलाकारों की पूरी दिनचर्या धार्मिक हो गई है। पूजा पाठ के साथ दिनभर राम की महिमा का बखान करते नजर आते हैं। मोहल्ले के लोग भी उन्हें किरदार के आधार पर ही उनके नाम से पुकारने लगे हैं।

घर पर दिल नहीं लगता, तो दिन में भी रामलीला मंच पर आकर बैठ जाते हैं। नव चेतना कला परिषद के निर्देशक व दशरथ का किरदार निभाने वाले कृष्ण मोहन शर्मा मोहल्ला झंडा में रहते हैं। वह ओसीएफ में नौकरी करते हैं। उनका कहना है कि यह धर्म का प्रचार है। अभिनय तभी सफल हो सकता है, जब उसके किरदार को जिया जाए। कलाकार सुबह उठकर ईश्वर की उपासना करते हैं। आपसी संवाद में चौपाइयों और संस्कृत भाषा का प्रयोग करते हैं।

20 घंटे काम और चार घंटे लेते हैं नींद

दशरथ का किरदार निभाने वाले कृष्ण मोहन शर्मा का कहना है कि ओसीएफ में नौकरी करते हैं। दिन की ड्यूटी में छुटटी की जरुरत नहीं पड़ती, लेकिन रात की ड्यूटी में छुटटी लेना पड़ती है। रामलीला के दिनों में चार घंटे की नींद लेते हैं। बीस घंटे काम करते हैं।

पहली बार किया शिव का रोल

कृष्ण मोहन शर्मा ने बताया कि 1985 से रामलीला से जुड़े हैं। उन्होंने पहली बार शिव का किरदार किया, फिर मेघनाथ और अब दशरथ का कर रहे हैं। बताया कि 1995 में नव चेतना कला परिषण की स्थापना की। एक बार ओसीएफ की रामलीला में भी काम किया।

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