फिरौती की रकम से रेस्टोरेंट खोलना चाहता था आरोपी
विवेक का अपहरण करने वाला कोई और नहीं, बल्कि उसका चचेरा भाई गोविंद था। चचेरे भाई ने ही साथियों के संग मिलकर विवेक का अपहरण किया। उसे पुवायां ले जाकर रखा। फिर चाचा को फोन कराकर दस लाख रुपये की फिरौती...
विवेक का अपहरण करने वाला कोई और नहीं, बल्कि उसका चचेरा भाई गोविंद था। चचेरे भाई ने ही साथियों के संग मिलकर विवेक का अपहरण किया। उसे पुवायां ले जाकर रखा। फिर चाचा को फोन कराकर दस लाख रुपये की फिरौती मांगी। साथ ही विवेक को तलाश कराने में चाचा के साथ रहा।
फूट-फूटकर रोता रहा। चाचा से रुपये देकर विवेक को छुड़ाने का दबाव बनाता रहा। तभी परिजनों को शक हुआ। पुलिस को इशारा किया। पुलिस ने उसे दबोच लिया। सख्ती बरती, तो वह टूट गया। इसके बाद पुलिस ने विवेक का बरामद किया। विवेक के घर की खुशियां लौट आईं।
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रेस्टोरेंट खोलना चाहता था आरोपी
=अपहरणकर्ता गोविंद ने बताया कि वह चाट का ठेला लगाता था। उसी से गुजर बसर करता था। वह फिरौती की रकम से पल्सर बाइक लेना चाहता था। साथ ही रेस्टोरेंट खोलना चाहता था। इसी ख्वाहिश के चलते साथियों के साथ मिलकर घटना को अंजाम दिया। बताया कि विवेक को बहला फुसलाकर घर से ले गया। इसके बाद पुवायां में अपने मौसेरे भाई के साथ मिलकर एक सरदार के झाले में बंधक बना कर रखा था।
परिजनों को हुआ शक, खुला राज
विवेक के अपहरण के बाद अपहरणकर्ता साथ-साथ घूम रहा था। तरह-तरह की बात कर रहा था। उसकी गतिविधि को देख परिजनों को शक हुआ। परिजनों ने पुलिस को इशारा दिया। पुलिस ने गोविंद को दबोच लिया। पूछताछ की। पहले तो गोविंद पुलिस को गुमराह करता रहा। जब पुलिस ने सख्ती बरती, तो वह टूट गया।