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अध्यक्ष पद की कुर्सी पाने को भाजा के तीन उम्मीदवारों में रस्साकसी

जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख पद के लिए निर्वाचन की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। इसी के साथ ही शाहजहांपुर की सियासत भी गर्मा गई...

अध्यक्ष पद की कुर्सी पाने को भाजा के तीन उम्मीदवारों में रस्साकसी
हिन्दुस्तान टीम,शाहजहांपुरWed, 02 Jun 2021 03:21 AM
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जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख पद के लिए निर्वाचन की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। इसी के साथ ही शाहजहांपुर की सियासत भी गर्मा गई है। भाजपा फ्रंट फुट पर आकर जिला पंचायत अध्यक्ष पर खेलने को तैयार है, लेकिन विपक्षी सपा और बसपा अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। दोनों ही पार्टी भाजपा के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा की इंतजार कर रही हैं। अब भाजपा में जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी पर बैठने के लिए तीन दावेदार रस्साकशी करने में लगे हैं, अब कहने को कहा जा रहा है कि अध्यक्ष पद के उम्मीदवार का फैसला पार्टी करेगी, लेकिन कैबिनेट मंत्री सुरेश कुमार खन्ना का आशीर्वाद भी बहुत मायने रखता है।

भाजपा में अंदरखाने बहुत ही तगड़ी राजनीति चल रही है। एक पक्ष सामान्य महिला सीट होने के कारण दावा कर रहा है। दूसरा ओबीसी पक्ष महिला सामान्य सीट होने के बाद भी अपना दावा मजबूत किए हुए है, तीसरा पक्ष इस फिराक में है कि दोनों की दावेदारों के दावे फुस्स होने पर उसे अध्यक्ष बनने का मौका मिल जाएगा, इसलिए वह उम्मीदवारी की लाइन में है। बरेली मंडल के चार जिलों में शाहजहांपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी ही सामान्य महिला के लिए आरक्षित है। इस सीट के लिए भाजपा की गीता सिंह का बेहद मजबूती के साथ अपना दावा पेश कर रही हैं। पर पार्टी में उनके विपक्षियों का कहना है कि गीता सिंह के पति बलवीर सिंह को भाजपा ने इफ्को के डायरेक्टर का पद दिया है, इसलिए गीता सिंह को टिकट नहीं मिलना चाहिए। अब गीता सिंह के समर्थकों का कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी पर किसी एक परिवार का अधिपत्य कैसे रह सकता है। इस बार अध्यक्ष का पद महिला सामान्य के लिए है, इसलिए सामान्य वर्ग की महिला को ही अध्यक्ष की कुर्सी मिलनी चाहिए।

वहीं दूसरी ओर निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष अजय प्रताप सिंह यादव अपनी पत्नी ममता यादव को जिला पंचायत अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाने के लिए समर्थन जुटाने में लगे हुए हैं। शुरू से ही उनकी तैयारी अध्यक्ष पद को थी। हर तरह से बूता लगा कर उन्होंने पत्नी को जिला पंचायत सदस्य इसलिए बनवाया, क्योंकि ममता यादव अध्यक्ष बन सकें। तीसरी दावेदार मनोरमा सिंह हैं। इनकी दावेदारी को भी कम आंका नहीं जा सकता है। अगर पार्टी की गाइड लाइन के अनुसार, अध्यक्ष पद की दावेदारी से गीता सिंह और ममता यादव कही बाहर हुईं तो मनोरमा सिंह की भी किस्मत चमक सकती है। इस कोशिश में मनोरमा सिंह के समर्थक लगे भी हैं।

सपा और बसपा को भाजपा के उम्मीदवार की घोषणा का इंतजार

जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी पिछली बार सपा सरकार रहते हुए भाजपा ने छीन ली थी, इस कुर्सी पर भाजपा ने अजय प्रताप सिंह यादव को बैठाया था। इस बार सपा के पास सात और बसपा के पास नौ सदस्य हैं। भाजपा के पास 12 सदस्य हैं। कुल सीटें 47 हैं। अध्यक्ष पद के चुनाव में बड़ी भूमिका पंद्रह निर्दलीय सदस्यों की है। ऐसे में विपक्षी पार्टियों का मानना है कि भाजपा में तीनों ही मजबूत दावेदार हैं, उन्हें लगता है कि उम्मीदवार की घोषणा के बाद वोट इधर उधर जा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तब सपा और बसपा अपने पत्ते खोलेंगी।

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