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आधुनिक तकनीकी से गन्ना उत्पादकता बढ़ाना संभव

= गन्ना कृषि की आधुनिक तकनीकी पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन = कृषि वैज्ञानिक व अधिकारियों ने आधुनिक तकनीकी से कराया अवगत फोटो नंबर 26 - शाहजहांपुर के गन्ना किसान संस्थान में शनिवार को...

= गन्ना कृषि की आधुनिक तकनीकी पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन = कृषि वैज्ञानिक व अधिकारियों ने आधुनिक तकनीकी से कराया अवगत फोटो नंबर 26 - शाहजहांपुर के गन्ना किसान संस्थान में शनिवार को...
1/ 2= गन्ना कृषि की आधुनिक तकनीकी पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन = कृषि वैज्ञानिक व अधिकारियों ने आधुनिक तकनीकी से कराया अवगत फोटो नंबर 26 - शाहजहांपुर के गन्ना किसान संस्थान में शनिवार को...
= गन्ना कृषि की आधुनिक तकनीकी पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन = कृषि वैज्ञानिक व अधिकारियों ने आधुनिक तकनीकी से कराया अवगत फोटो नंबर 26 - शाहजहांपुर के गन्ना किसान संस्थान में शनिवार को...
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हिन्दुस्तान टीम,शाहजहांपुरSun, 09 Sep 2018 12:40 AM
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गन्ना किसान संस्थान प्रशिक्षण केंद्र में शनिवार को दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हो गया। जिसमें प्रशिक्षार्णियों गन्ना कृषि की आधुनिक तकनीकी से खेती करने का प्रशिक्षण दिया गया। समापन दिवस पर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी अधिकारी डा. एनपी गुप्ता ने कहा कि प्रदेश की प्रमुख नकदी फसलों में गन्ना का महत्वपूर्ण स्थान है।

प्रति इकाई गन्ना उत्पादन व चीनी परता में अभिवृद्धि अद्यतन गन्ना कृषि की आधुनिक तकनीकी को अपनाकर ही की जा सकती है। उन्होंने कहा कि गन्ना फसल में जैव उर्वरकों के प्रयोग प्रसांगिक है। संस्थान के सहायक निदेशक डा. पीके कपिल ने कहा कि इस समय गन्ने की फसल को पायरिला कीट से नुकसान पहुंच रहा है। जिसके नियंत्रण के लिए अंड समूहों को पत्ती सहित तोड़ कर नष्ट कर देना चाहिए। इसके साथ ही प्रभावित फसल में चार-पांच हजार इपीरिकेनिया मिलेनोल्यूका परजीवी के ककून प्यूपा प्रति हेक्टेयर की दर से प्रत्यारोपित करें। पायरिला का प्रकोप दिखाई देने पर खेत की सिंचाई कर नमी बनाए रखना जरूरी है। जिससे परजीवी का संबद्र्धन आसानी से हो सके। प्रभावित फसल में परजीवी के ककून न दिखाई देने पर किसी एक कीटनाशक का छिड़काव 625 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से करना चाहिए। क्वानीलफास 25 प्रतिशत का छिड़काव 800 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर या प्रोफिनोफास 40 प्रतिशत के साथ साइपर चार प्रतिशत घोल दर 750 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर की दर से करने पर नियंत्रित हो जाता है। डा. वीसी जादौन ने गन्ने की स्वीकृत प्रजातियों, डा. अनिल सिंह ने सहफसली खेती, डा. एसपी सिंह ने चीनी परता को प्रभावित करने वाले कारकों, डा. एवी सिंह ने गन्ना रोग प्रबंधन व खरीफ फसलोत्पादन के लिए वैज्ञानिक तकनीकी की जानकारी दी। समापन पर प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र व गन्ना साहित्य वितरित किया गया।

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