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सरयू की बाढ़ से घिरे गांवों से ग्रामीण कर रहे पलायन

नेपाल से छोड़े गए पानी से सरयू नदी में आई बाढ़ से घिरे गांवों से

सरयू की बाढ़ से घिरे गांवों से ग्रामीण कर रहे पलायन
हिन्दुस्तान टीम,संतकबीरनगरSun, 24 Oct 2021 03:40 AM
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नेपाल से छोड़े गए पानी से सरयू नदी में आई बाढ़ से घिरे गांवों से ग्रामीण पलायन कर बंधे पर शरण ले रहे हैं। गांवों के रास्तों पर पानी भरने से नाव ही सहारा बना है। जलस्तर में लगातार वृद्धि होने से सरयू खतरे के निशान से 40 सेमी ऊपर पहुंच गई है। वहीं प्रभावित क्षेत्र के स्कूल परिसर में पानी भरने से पढ़ाई ठप हो गई है। गायघाट क्षेत्र के 60 से अधिक घर पानी में घिरे हैं। नाव की व्यवस्था न होने से दर्जनों परिवार बाढ़ में फंसे हैं। सैकड़ों एकड़ फसलें पानी में जलमग्न हो गई हैं।

अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में सरयू की बाढ़ ने धनघटा क्षेत्र के गायघाट समेत 22 गांवों में भारी तबाही मचाई है। तुरकौलिया में शनिवार चार बजे नदी का जलस्तर 79.750 रिकार्ड किया गया जो खतरे के निशान से चालीस सेंटीमीटर ऊपर पहुंच चुका है। तहसील क्षेत्र के 22 गांव सरयू की बाढ़ से घिर चुके हैं। अब तक गायघाट क्षेत्र में साठ से अधिक घर पानी में घिर चुके हैं। तेजी से बढ़ रहे जलस्तर को देखते हुए ग्रामीण दहशत में डूबे हैं। सैकड़ों परिवार घर छोड़ सुरक्षित स्थानों पर पलायन कर रहे हैं। कठहा खैरगाढ़ में नाव की व्यवस्था न होने से दर्जनों परिवार बाढ़ में फंसे हैं। बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए नावों की अपर्याप्त व्यवस्था चिंता का कारण बनी है। बाढ़ आपदा के पूर्वानुमानों के बावजूद मात्र 12 नावें लगाई गई है। प्रशासन की तैयारियों पर सवाल निशान लगने लगे हैं।

22 गांव बाढ़ में घिरे :

पिछले आठ घण्टों में नदी का जलस्तर 15 सेमी बढ़ा है। तेजी से बढ़ रहे जलस्तर ने सैकड़ों परिवारों को संभलने का मौका नहीं दिया। गायघाट, सियरकला, ढोलबजा, करनपुर, कठहा, कंचनपुर, चकदहा, गुनवतिया, सरैया, खड़गपुर, सियाराम अधीन, दौलतपुर, भिखारीपुर, चपरपुर्वी, खाले पुरवा, गुलरिहा आदि गांव बाढ़ से घिर गए। सपंर्क मार्ग पानी मे डूब गए हैं।

साठ से अधिक घर पानी में घिरे :

पिछले दो माह से बाढ़ विभीषिका का सामना करने वाले पीड़ित परिवारों के सामने अचानक आयी सरयू की बाढ़ ने झकझोर कर रख दिया है। कठहा खैरगाढ़ व सियर कला में अब तक साठ से अधिक घरों में बाढ़ का पानी पहुंच चुका है। कठहा में राम आज्ञा, अमरनाथ, बंशु, जोगिंदर, अचल, खेतू, रामजी, श्यामसुंदर, राजेन्द्र आदि तथा सियर कला में गुलाब, सदानन्द, भिखारी, सुखारी, बबलू, कोदई आदि लगभग साठ घरों में बाढ़ का पानी पहुंच चुका है। नदी के जलस्तर में बृद्धि को देखते हुए अगले चौबीस घण्टों में सैकड़ो घरों में बाढ़ का पानी घुसने की आशंका जताई जा रही है।

सुरक्षित स्थानों पर पहुंच रहे पीड़ित परिवार

नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रभावित गांवों में खलबली मच गई है। सम्पर्क मार्गों के पानी मे डूब जाने से पीड़ित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर निकलने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बताया जाता है की गायघाट क्षेत्र के गांवों में निवास करने वाले सैकड़ो परिवार बाढ़ में फंसे हुए हैं। घरों के पानी मे डूबने से सामानों को सुरक्षित बचाना पीड़ित परिवारों के लिए चुनौती बन गया है।

नावों की अपर्याप्त व्यवस्था बनी मुसीबत

बाढ़ की चेतावनी देने वाले प्रशासन की तैयारियों की पोल खुल गई है। कठहा खैरगाढ़ में शनिवार को लोग नाव का इंतजार करते रहे लेकिन शाम तक प्रशासन पीड़ितों के लिए एक अदद नाव की व्यवस्था नहीं करा सका। गांव निवासी छोटई, वशिष्ठ, रामनाथ, गोविंद, राम किशुन, राजेन्द्र आदि ने बताया कि गांव बाढ़ में डूब रहा है लेकिन प्रशासन नावों की व्यवस्था नहीं कर सका है। गांव में सैकड़ों परिवार बाढ़ में फंसे हुए है। ग्रामीणों के सामने सुरक्षित स्थानों पर पहुंचना चुनौती बन गयी है। बाढ़ की स्थित नियंत्रण के बाहर बताई जा रही है।

सैकड़ों एकड़ फसलें जलमग्न

असमय आयी बाढ़ ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। बहराडांड़ी व मौर गाँव के सिवान में खड़ी धान की सैकड़ो एकड़ फसलें बाढ़ आपदा की भेंट चढ़ गई है। तिघरा के किसान शिव प्रसाद, बहादुर चौहान, राम मिलन, विक्रम, अमरनाथ बहराडाड़ी निवासी पप्पू यादव, बृजेश यादव, जयंत्री, श्याम सुंदर, रामकरन आदि किसानों ने बताया कि असमय आयी बाढ़ ने खेतों में पक कर तैयार धान की फसलों को आगोश में ले लिया। फसलों के पानी मे डूबने से किसानों के माथे ओर बल आ गया है। बाढ़ में किसानों की पूंजी डूब गई है।

तिघरा बंधे पर ले रहे शरण

घरों को छोड़ अनेक परिवार तिघरा बंधे पर पहुंच चुके है। इनके साथ बड़ी संख्या में मवेशी भी आए हैं। पीड़ित परिवार बंधे पर पन्नी डालकर रहने की व्यवस्था करने में जुटे हैं। वहीं बाढ़ शरणालय स्थल अभी खाली हैं इन केन्द्र पर कर्मचारी बाढ़ पीड़ितों का इंतजार कर रहे हैं। पर कोई पहुंच नहीं रहा है। जबकि प्रशासन के द्वारा बार-बार उनसे सुरक्षित स्थानों पर पहुंचकर बाढ़ राहत केंद्र पर रहने का दिशानिर्देश दिया जा रहा है लेकिन कोई वहां पर रहना नहीं चाह रहा है।

बांध बचाने में जुटे हैं कर्मचारी :

एमबीडी बांध को बचाने के लिए सभी अधिकारी हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उप जिलाधिकारी धनघटा योगेश्वर सिंह ने बताया की अभी किसी गांव पर खतरा नहीं बना है। लेकिन नदी की धारा एमबीडी बांध पर सीधे टकरा रही है। अभी भी बांध पर खतरा बना है। हमारा प्रयास है कि हम बांध को बचा ले जाएंगे। नदी के जलस्तर में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है। जिस प्रकार से नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। उससे किसी प्रकार के जानमाल का खतरा नहीं है।

आधा दर्जन विद्यालयों में घुसा पानी :

धनघटा तहसील क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित गांव में स्थापित प्राथमिक विद्यालय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बाढ़ का पानी घुस जाने के कारण शिक्षण कार्य बंद कर दिया गया जिसमें आगापुर गुलरिया प्राथमिक विद्यालय, चपरा पूर्वी प्राथमिक विद्यालय, प्राथमिक विद्यालय दौलतपुर, प्राथमिक विद्यालय गायघाट, प्राथमिक विद्यालय खटहा खैरगाड़, प्राथमिक विद्यालय भौआपार, उच्च प्राथमिक विद्यालय गायघाट, प्राथमिक विद्यालय धमचिया को जलमग्न होने के कारण बंद कर दिया गया है। विद्यालय पर तैनात अध्यापकों को बाढ़ राहत केंद्र पर लगा दिया गया है।

बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए नावें लगाई जा रही हैं। सभी लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए प्रशासन जुटा हुआ है। बाढ़ से होने वाले नुकसान पर प्रशासन सतर्क है।

योगेश्वर सिंह

एसडीएम, धनघटा

सैकड़ों एकड़ तैयार फसल जलमग्न

धनघटा तहसील क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित गांव में धान की तैयार फसल काटने की तैयारी कर रहे किसानों के मंसूबों पर नदी के जलस्तर से पानी फिर गया। घाघरा नदी के किनारे के गांव में किसानों की तैयार फसल नदी की धारा ने बर्बाद करके रख दिया। क्षेत्र के किसान रामाश्रय, शिव पूजन, चंद्रभान, सुरेश कुमार, बबलू सिंह, हरीराम चौहान, राम प्रसाद यादव आदि लोगों ने बताया कि हम लोगों की घर की पूंजी लगाकर उम्मीद के साथ खेती की गई थी लेकिन बाढ़ के प्रकोप से हम लोगों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। अब हम लोगों के भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी है। परिवार का भरण पोषण किस प्रकार से किया जाएगा।

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