दो साल से मदद की राह देख रहे मकान विहीन हुए पीड़ित
संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले के दक्षिणी क्षेत्र में बह रही सरयू नदी...
संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम।
संतकबीरनगर जिले के दक्षिणी क्षेत्र में बह रही सरयू नदी की कटान से पीड़ित परिवार मुफलिसी में जीवन यापन करने को मजबूर हैं। उन्हें दो साल बाद भी कोई मदद नहीं मिल पाई। इससे गृहस्थी चलाना मुश्किल हो गया है। कटान से वंचित हुए कुछ लोग गांव के बाहर सिवान में छप्पर व पन्नी डाल रहने को मजबूर हैं तो कुछ रिश्तेदारियों में जाकर गुजर बसर कर रहे हैं। सरयू की कटान से सर्वाधिक प्रभावित हैंसर ब्लाक का गायघाट दक्षिणी गांव है। खेती नहीं रही तो अब पीड़ित परिवारों ने मजबूरी में पशुओं को भी बेच दिया। पीड़ितों ने कहा राहत के नाम पर प्रशासन ने सिर्फ खाना पूर्ति ही की गई।
वर्ष 2018 की बाढ़ के बाद सरयू नदी की कटान ने धनघटा तहसील क्षेत्र स्थित मांझा के गांवों को निशाना बनाना शुरू किया। हैंसर ब्लाक का गायघाट दक्षिणी गांव नदी की कटान से अब तक सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। पहले नदी ने इस गांव की समृद्धि का आधार खेती योग्य जमीन को निगल लिया। धीरे-धीरे करके लगभग पांच सौ बीघा खेती योग्य जमीन चली गई। उसके बाद गांव के नजदीक आकर घरों को निशाना बनाना शुरू किया।
सबसे पहले 2020 में इसदेव व मोरनी देवी का मकान विलीन हुआ
2020 की बाढ़ में गायघाट दक्षिणी के मकान पूरी तरह से निशाने पर आ गए। यहां सबसे इसदेव व मोरनी देवी का मकान नदी की कटान में विलीन हुआ। उसके बाद सरयू की धारा गांव की तरफ मुड़ गई। इशदेव व मोरनी गांव के बगल में खाली पड़ी जमीन पर छप्पर पन्नी डालकर परिवार के जीवन यापन कर रहे हैं। पीड़ित परिवारों ने घर पर मौजूद पशुओं को बेंच दिया। वर्ष 2020 से गांव में मौजूद लगभग चालीस घर अब तक नदी में विलीन हो चुके हैं। आखिरी मकान जुलाई 2022 में राम दरश का कटा। इसके बाद लगभग 35 घर निशाने पर हैं। हालांकि कटान रुकने से लोगों को राहत है।
राहत के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति
पीड़ित जोखन निषाद, ईशदेव निषाद, गामा निषाद, ताराचंद, नन्दू, मिठाईलाल, सुंदरलाल, चन्द्रजीत, किशोरी, नागेंद्र, बालेन्द्र, मुन्नर, रामवृक्ष ने बताया कि राहत के नाम पर प्रशासन ने अब तक सिर्फ खाना पूर्ति ही की है। मकान नदी में समाहित होने के बाद तहसील प्रशासन ने एक बार खाद्यान्न का वितरण किया। इसके बाद अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लिया। पीड़ितों ने कहा कि बेघर होने के साथ खेतों से भी हाथ धोना पड़ा। उनकी समस्या सुनने वाला कोई नहीं है। परिवार के सदस्यों की दो जून की रोटी नहीं चल पा रही है। आय का कोई स्रोत नहीं बचा जिससे परिवार का भरण पोषण किया जा सके। एसडीएम धनघटा डॉ. रविन्द्र कुमार ने कहा कि कटान व बाढ़ आपदा से पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद दी जाती है। इसके लिए तिघरा में एक अस्थायी शरणालय संचालित किया जा रहा है। मकान बनवाने के लिए भूमि आवंटन का मामला शीघ्र पूरा कर लिया जाएगा।
