धान की फसल को बर्बाद कर रहा झुलसा रोग
संक्षेप: Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में धान की फसलों में झुलसा रोग तेजी से
संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में धान की फसलों में झुलसा रोग तेजी से फैल रहा है। धान की फसलों की पत्तियां पीली पड़ जा रही हैं। कुछ खेतों में ऊपरी पत्ती झुलसी हुई हैं। इससे फसलों का ग्रोथ पूरी तरह से रुक गया है। बालियां निकलने में भी समस्या सामने आएंगी। इससे लगभग 20 प्रतिशत तक उपज प्रभावित हो सकती है। विशेषज्ञों की सलाह किसान फौरी तौर पर दवाओं का प्रयोग करें। ताकि फसल को झुलसा रोग से बचा सके। धान में झुलसा रोग के मुख्य लक्षण हैं पत्तियों पर लंबी, भूरी या कत्थई धारियाँ (जो नसों के बीच बनती हैं) और अंडाकार, पानी से लथपथ धब्बे बनना।

ये धब्बे बाद में गहरे रंग के हो जाते हैं और पूरी पत्ती सूख जाती है। संक्रमण बढ़ने पर पौधे की बालियों पर दाने खाली रह जाते हैं और तना भी प्रभावित हो सकता है। तापमान में अधिकता और बदली युक्त मौसम होने पर फफूंद झुलसा (शीथ ब्लाइट) का प्रकोप तेजी से फैलता है। पानी के स्तर के पास, निचली पत्तियों पर अंडाकार या अण्डाकार धब्बे बनते हैं जो बाद में भूरे या जामुनी रंग के हो जाते हैं। ये धब्बे धीरे-धीरे बढ़कर पूरे तने और पत्ती को प्रभावित करते हैं। लगातार बदली छाने और तापमान में उतार चढ़ाव की वजह से फंगस जनित बीमारियों का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। किसान भी परेशान हैं कि उनके खेत को क्या हो गया है। समय पर इलाज न किया जाए तो बीमारी तेजी बढ़ने लगती है। बीमारी बढ़ने पर पत्तियाँ सूखकर मर जाती हैं, खासकर पत्ती के ऊपरी सिरे से। तीव्र संक्रमण में, पौधा अंदर से सूखना शुरू हो जाता है और उसका तना सफेद हो सकता है। बालियाँ खाली रह जाती हैं और दाने ठीक से नहीं भरते। बालियों की गर्दन और तने की गांठें भी प्रभावित हो सकती हैं। अत्यधिक मात्रा में यूरिया का प्रयोग भी इस रोग के लिए कारक माना जाता है। विशेषज्ञों की सलाह पर करें दवाओं का प्रयोग जिला कृषि अधिकारी डा. सर्वेश कुमार यादव ने बताया कि बाजार में विभिन्न नाम की दवाएं मौजूद हैं। एम-45, कार्बेंडाजिम और कापरआक्सी क्लोराइड दवा का प्रयोग किया जाता है। किसान इन दवाओं का प्रयोग कर खेत में फैली बीमारी को ठीक कर सकते हैं।

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