बच्चों और युवाओं में तेज़ी से बढ़ता जा रहा बहरापन
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में प्रतिदिन बहरेपन के शिकार लोग ईएनटी विभाग में

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में प्रतिदिन बहरेपन के शिकार लोग ईएनटी विभाग में उपचार कराने को पहुंच रहे हैं। इन मरीजों में सबसे अधिक ऐसे लोग शामिल हैं जो शहरी शोरगुल से बचने के लिए या फैशनेबल दिखने के लिए हेडफोन का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। चिकित्सक ऐसे लोगों को उपचार के साथ एहतियात बरतने की सलाह दे रहे हैं। ऑफिस जाना हो, कॉलेज जाना हो या किसी सफर पर निकलना हो, ऐसे समय पर हर किसी का साथी हेडफोन या ईयरफोन बन जाता है। यह तो सही है कि हेडफोन बाहरी शोरगुल से बचा लेता है। लेकिन लोगों को यह पता नहीं रहता कि इसके प्रयोग से क्या हानि हो रही है।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के अनुसार दुनिया में 1.40 अरब लोग इस संकट से प्रभावित हुए हैं। यूं तो 60 वर्ष के बाद प्राकृतिक रूप से लोगों की सुनने की क्षमता कम हो जाती है, लेकिन हाल के वर्षों में लगातार कानों में ईयरफोन आदि लगाने से यह संकट बच्चों में अधिक बढ़ता जा रहा है। जिला अस्पताल में तैनात ईएनटी सर्जन डा. मनोज कुमार सिंह ने बताया कि खासकर वे बच्चे प्रभावित हो रहे हैं जो लगातार लैपटॉप व मोबाइल पर गेमिंग व अन्य कार्यक्रम तेज आवाज में घंटों सुनते रहते हैं। पहले कम सुनने की समस्या आती है। बाद में वे पूरी तरह से बहरेपन में तब्दील हो जाती है। हमारे कानों के लिए 40 से 60 डेसिबल सुनने की क्षमता निर्धारित की गई है जो सही है, लेकिन इससे ऊपर यानी 85 से 100 डेसिबल साउंड कानों के लिए खतरनाक है। पिछले कुछ दशकों में कम सुनाई देने यानी बहरेपन की समस्या तेजी से युवाओं और बच्चों को अपना शिकार बना रही है। लोग मोबाइल-लैपटॉप-ईयरफोन के आदती बन गए हैं। ऐसे में अभिभावक बच्चों को इस संकट की भयावहता से अवगत कराएं तथा समय-समय पर उनके कानों का चेकअप कराते रहें। कोशिश हो रचनात्मक तरीके से उनकी इस आदत को बदलने का प्रयास किया जाए। तेज आवाज मांसपेशियों को पहुंचा रहा है नुकसान डा. मनोज कुमार सिंह ने बताया कि कान के साथ ही तेज आवाज मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा रहा है। बहरेपन की समस्या उग्र से उग्रतर होती जा रही है। घंटों हेडफोन लगाए रखना और म्यूजिक सुनना कानों के साथ-साथ दिल के लिए भी बिल्कुल अच्छा नहीं है। इससे न केवल दिल की धड़कन तेज हो जाती है, बल्कि दिल को काफी नुकसान भी उठाना पड़ता है। हेडफोन या ईयरफोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें दिमाग पर बुरा प्रभाव डालती हैं। इसकी वजह से सिरदर्द और माइग्रेन की समस्या पैदा हो जाती है। बहुत से लोग नींद में बाधा, नींद न आना, अनिद्रा यहां तक कि स्लीप एपनिया से भी पीड़ित हो जाते हैं। इयरफोन सीधे कान में लगाया जाता है, जो एयर पैसेज में बाधा डालता है। ये बाधा बैक्टीरिया के विकास सहित अलग-अलग तरह के कानों के इन्फेक्शन का कारण बन सकती है। हेडफोन का लंबे समय तक इस्तेमाल किसी व्यक्ति की सोशल लाइफ और मेंटल हेल्थ की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। कई बार ज्यादा चिंता और तनाव का भी कारण बन सकता है।
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