मूलभूत सुविधाओं से वंचित है उसरा शहीद गांव
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर जिले के उसरा शहीद गांव में विकास योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। यहाँ के ग्रामीण शुद्ध पेयजल, सफाई व्यवस्था, और स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में जीवन यापन कर रहे हैं। सामुदायिक शौचालय और सड़कों...

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में शासन की ओर से गांवों के विकास के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही है। शुद्ध पेयजल, गांव को साफ सुथरा रखने व पंचायत सचिवालय से लोगों का जन सुविधा देने के लिए हर उपाय किया जा रहा है। वहीं इसके विपरीत सेमरियावां ब्लॉक के उसरा शहीद में सड़कें बदहाल हो गई हैं। सफाई व्यवस्था काफी खराब है। ग्रामीणों को शुद्ध पेय जल की कोई व्यवस्था नही है। गांव में जगह-जगह गंदगी का अम्बार लगा हुआ है। गांव के लोग नारकीय जीवन यापन करने पर मजबूर है। सेमरियावां ब्लॉक की पांच हजार आबादी वाला उसरा शहीद गांव आजादी के 77 वर्ष बाद भी विकास से कोसों दूर है।
गांव में हर तरफ गंदगी का अम्बार लगा हुआ है। सामुदायिक शौचालय आबादी से दूर बना होने से आज भी लोग खुले में शौच करने पर मजबूर हैं। शासन की गड्ढा मुक्त सड़कों की योजना भी इस गांव में सकार होती नहीं दिख रही है। गांव में की सफाई व्यवस्था काफी दयनीय है। इसके अलावा ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नही है। इंडिया मार्का हैंड पम्प खराब पड़े हैं। लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है। आंगनबाड़ी केन्द्र न होने से 3 से 5 वर्ष के प्री प्राइमरी के बच्चों को सुविधा नहीं मिल रही है। इस भारी भरकम आबादी वाले गांव में लोगों को सुविधाएं नहीं मिल रही है। नहीं मिला रहा ग्राम पंचायत सचिवालय से लाभ गांव में ग्राम पंचायत सचिवालय का निर्माण किया गया है। ग्राम पंचायत सचिवालय निर्माण के बाद भी ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल रहा है। अक्सर पंचायत सचिवालय बन्द रहता है। ग्रामीणों को मिलने वाली 26 जन सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। ग्रामीणों को आज भी परिवार रजिस्टर की नकल, जन्म- मृत्यु प्रमाण पत्र, खसरा खतौनी व अन्य अभिलेख के लिए जिला मुख्यालय से ब्लॉक के चक्कर लगाना पड़ रहा है। नहीं है शुद्ध पेयजल की व्यवस्था ग्राम पंचायत उसरा शहीद की आबादी करीब 5 हजार से ऊपर है। अब तक गांव में जल जीवन मिशन के तहत टंकी नहीं बन पाई है। हर घर जल देने के लिए टंकी का निर्माण अधूरा है। साथ ही गांव में अबादी के हिसाब से इंडिया मार्का हैंडपम्प नहीं लग पाया है। कुछ हैंड पम्प वर्षों से खराब पड़े हैं। शुद्ध पेयजल की व्यवस्था न होने से ग्रामीण देशी नल का पानी पीने पर मजबूर हैं। शुद्ध पेय जल न होने से अब तक दर्जनों बच्चे जेई-एईएस से जान गंवा चुके हैं। टूटी सड़कें बनी गांव की पहचान बीएमसीटी मार्ग से गांव को जोड़ने वाला सम्पर्क मार्ग पिछले 10 वर्ष से टूटा पड़ा है। जगह-जगह सड़क पर गड्ढे बने हुए हैं। सड़क पर जलजमाव के चलते पैदल चलना मुश्किल हो गया है। सड़क निर्माण के बाद से इसकी मरम्मत नहीं हुई है। मरम्मत न होने से सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है। बारिश होने के बाद एक पखवारे तक सड़क पर कीचड़युक्त जलजमाव बना रहता है। स्कूल जाने वाल बच्चे इसमें फिसल कर गिर रहे हैं। टूटी सड़क के चलते ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का समाना करना पड़ रहा है। गांव में लगा है गंदगी का अम्बार गांव में पिछले चार वर्ष से सफाईकर्मी तैनात नहीं है। सफाईकर्मी न होने से गांव की अधिकांश नालियां जाम पड़ी हैं। नालियां जाम होने से घरों से निकलने वाला गंदा पानी सड़क पर पसरा रहता है। नालियां साफ न होने से दुर्गन्ध आती है। गांव में जगह-जगह कूड़ा करकट व प्लास्टिक का ढेर लगा हुआ है। सफाई न होने से ग्रामीणों में संक्रामक रोग फैलने का खतरा बना हुआ है। नहीं खुलता है सामुदायिक शौचालय गांव से दूर सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया गया है। अब तक केयर टेकर तैनात न होने से शौचालय नहीं खुलता है। गांव के सैकड़ों परिवार के पास व्यक्तिगत शौचालय न होने से गांव के लोग आज भी खुले में शौच करने पर मजबूर है। गांव के बाहर सड़कों पर गंदगी का अम्बार लगा रहता है। भले ही सरकार कागजों में गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया हो मगर जमीन पर हकीकत कुछ अलग है। पड़ोसी के घर में रहने पर मजबूर है परिवार हर परिवार को पक्का मकान देने की योजना इस गांव में सफल नहीं हो पा रही है। भंगार की फेरी करके घर परिवार चलाने वाले मतीउज्जमा का खपरैल का घर बारिश के समय गिर गया। परिवार आसमान के नीचे जीवन यापन करने पर मजबूर हो गया। मगर पड़ोस के ओजैर का परिवार मुम्बई रहता है। ओजैर ने अपना घर मतीउज्जमा को रहने के लिए दे दिया। इसके अलावा गांव में आज भी दर्जन भर से अधिक परिवार के लोग छप्पर के मकान में रहने पर मजबूर हैं। नहीं है गांव में प्रकाश की व्यवस्था गांव की संकरी गलियों व सड़क पर प्रकाश की कोई व्यवस्था नहीं है। रात में पूरा गांव अंधेरे में डूब जाता है। जगह-जगह गंदगी का अम्बार होने से लोग रात में निकलने से कतराते हैं। ग्रामीणों के मांग है कि गांव के अन्दर की गलियों में प्रकाश की व्यवस्था की जाए। साथ ही गांव में हाईमास्ट लाईट की व्यवस्था होनी चाहिए। गांव में नहीं है स्वास्थ्य उपकेन्द्र शासन की ओर से सूदर ग्रामीणों सहित सभी को इलाज का हक देने के लिए हर प्रयास कर रही है। मगर इस गांव में इलाज के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इलाज के लिए ग्रामीणों को आज भी दूर दराज जाना पड़ता है। साथ ही समय से गर्भावती महिलाओं व बच्चों की देख भाल नहीं हो पाती है। टीकाकरण भी समय से नहीं हो पा रहा है। तलाबों में भरी है गंदगी गंव के अन्दर जितने भी तालाब है। सभी तलाबों में गंदगी का अम्बर लगा हुआ है। तालाबों से काफी दुर्गन्ध आती है। आस पास के लोग इस गंदगी के चलते अक्सर बीमार रहते हैं। गांव में मच्छरों को प्रकोप भी रहता है। साथ ही देशी हैंडपम्प से पानी पीने से भी लोग संक्रामक रोग से ग्रसित रहते हैं। अब तक कई बच्चे जलजनित बीमारियों से जान गंवा चुके हैं। प्रधान प्रतिनिधि खोबैब अहमद ने कहा कि पोखरे व आस पास की गंदगी की कई बार साफ करवा चुका हूं। मगर ग्रामीणों को सहयोग न मिलने से गंदगी बढ़ती जा रही है। सफाई होने के बाद फिर लोग गंदगी फैलाने लगत हैं। गांव में आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य उपकेन्द्र के लिए विभाग को पत्र दिया गया है। गांव में जल्द ही बिजली के पोलों पर पथ प्रकाश की व्यवस्था करा दी जएगी। एडीओ पंचायत राधेश्याम चौधरी ने कहा कि गांव का निरीक्षण कर समस्याओं को दूर कराया जाएगा। गंदगी को दूर करने के लिए सफाई कर्मियों का रोस्टर लगया जाएगा। लोगों की सुविधा के लिए सभी के लिए व्यक्तिगत शौचालय की व्यवस्था कराई जाएगी। साथ ही सामुदायिक शौचालय खोलने के लिए निर्देशित किया जाएगा।
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