मारपीट के मामले में सात आरोपी दोषसिद्ध करार
संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में मारपीट के एक मामले में दोनों पक्ष के
संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में मारपीट के एक मामले में दोनों पक्ष के सात आरोपियों को दोष सिद्ध करार देते हुए जनपद एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार वर्मा प्रथम की कोर्ट ने परिवीक्षा पर छोड़ने का फैसला सुनाया। आरोपियों को सदाचरण बनाए रखने की शर्त पर जिला जज की कोर्ट ने 25-25 हजार रुपए के व्यक्तिगत बन्ध पत्र एवं इतनी ही धनराशि के दो जमानतनामे पर रिहा करने का फैसला दिया। कोर्ट ने परिवीक्षा काल के दौरान आरोपियों द्वारा कोई अपराध न करने का भी निर्णय दिया है।
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विशाल श्रीवास्तव ने बताया कि प्रकरण बखिरा थाना क्षेत्र के ग्राम छपवा का है। पहले मामले में बैजनाथ तिवारी पुत्र लालमुनि तिवारी ने अभियोग पंजीकृत कराया था। उनका कथन था कि वह कृषि व ग्राम्य विकास बैंक के प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हैं। 4 सितम्बर 2005 को अपने खपरैल मकान की मरम्मत करा रहे थे। इतने में राम अवध तिवारी पुत्र गोपीनाथ, बेचई पुत्र चन्द्रिका, महेन्द्र तिवारी पुत्र गोपीनाथ व मोनू तिवारी पुत्र महेन्द्र तिवारी ने बांस की सीढ़ी लगाने से मना कर दिए। इस बात को लेकर कहासुनी हो रही थी। इसी बीच सभी आरोपियों ने लाठी से मारा-पीटा। दूसरे मामले में शिवदास पुत्र गोपीनाथ ने धारा 156 (3) दप्रसं के अंतर्गत कोर्ट से अभियोग पंजीकृत कराया था। उनका आरोप था कि उनके मकान का रुख उत्तर तरफ है। सहन में पचास साल पुराना जामुन का पेड़ है।
इस पेड़ के उत्तर जगदीश पुत्र लालमुनि का खपरैल का मकान है। दिनांक 4 सितम्बर को दोपहर एक बजे अपने भाई व भतीजे के साथ दरवाजे पर बैठे थे। इतने में जगदीश व बैजनाथ पुत्रगण लालमुनि, भाल चन्द्र व मृत्युंजय पुत्रगण बैजनाथ तथा धनुषधारी व पलकधारी पुत्रगण भूखल आए और लाठी से मार-पीटा। पुलिस ने दोनों पक्षों का अभियोग पंजीकृत करके विवेचना के पश्चात आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया। जनपद एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार वर्मा प्रथम की कोर्ट ने पक्षों की बहस सुनने के पश्चात एक पक्ष के जगदीश तिवारी, बैजनाथ तिवारी, मृत्युंजय, धनुषधारी व पलकधारी तथा दूसरे पक्ष के राम अवध तिवारी व बेचई तिवारी को दोषसिद्ध करार दिया। कोर्ट ने आरोपियों को छह माह की अवधि के लिए सदाचरण कायम रखते हुए 25-25 हजार रुपए के व्यक्तिगत बंधपत्र एवं समान धनराशि के दो प्रतिभू पर सशर्त परिवीक्षा पर छोड़े जाने का फैसला सुनाया।
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