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एशियन गेम्स में खेलेगी संभल की बेटी सरिता

संभल के नजदीक छोटे से गांव की रहने वाली हैमर थ्रो खिलाड़ी सरिता सिंह ने कामयाबी की नई इबारत लिखी है। उसने एशियन गेम्स के लिए क्वालीफाई कर लिया...

एशियन गेम्स में खेलेगी संभल की बेटी सरिता
हिन्दुस्तान टीम,संभलThu, 28 Jun 2018 06:00 PM
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संभल के नजदीक छोटे से गांव की रहने वाली हैमर थ्रो खिलाड़ी सरिता सिंह ने कामयाबी की नई इबारत लिखी है। गुवाहाटी में आयोजित 58 वीं सीनियर स्टेट प्रतियोगिता में 63.28 मीटर हैमर थ्रो कर देश की सबसे लंबा हैमर थ्रो करने वाली खिलाड़ी सरिता का एशियन गेम्स का टिकट भी पक्का हो गया है। सरिता की कामयाबी से उसे गांव व ससुराल के साथ ही पूरे जनपद में खुशी का माहौल है।

संभल तहसील के गांव सैदपुर जसकौली निवासी प्रकाश सिंह की बेटी व पास के ही गांव परियावली निवासी रोमित सिंह की पत्नी सरिता सिंह के पास हैमर थ्रो का ऐसा हुनर है कि वह लगातार आगे बढ़ते हुए देश की सबसे लंबा हैमर थ्रो करने वाली खिलाड़ी बन गई है। हैमर थ्रो का राष्ट्रीय रिकार्ड सरिता सिंह ने साल भर पहले 1 जून को बनाया था। इस कामयाबी के बाद सरिता एशियन गेम्स में भागीदारी का सपना संजाए थी तो अब उसका यह सपना भी अब पूरा होने जा रहा है। गुवाहाटी में आयोजित तीन दिवसीय 58 वीं सीनियर इंटर स्टेट हैमर थ्रो प्रतियोगिता में सरिता सिंह ने गोल्ड मेडल हासिल करने के साथ ही एशियन गेम्स का क्वालीफाई भी कर लिया। एशियन गेम्स क्वालीफाई मार्क 60 मीटर तय किया गया था। सरिता सिंह ने 63.28 मीटर हैमर थ्रो कर नया कीर्तिमान स्थापित कर अपना ही पुराना रिकार्ड भी तोड़ दिया। सीनियर स्टेट प्रतियोगिता में सरिता ने ही पहले 63.22 मीटर हैमर थ्रो कर रिकार्ड बनाया था। सरिता की इस कामयाबी से उसके गांव सैदपुर के साथ ही ससुराल परियावली में भी खुशी का माहौल है। सरिता का कहना है कि उसका सपना इंडोनेशिया के जकार्ता में 18 अगस्त से शुरु होने वाले एशियन गेम्स में जीत हासिल कर भारत का झंडा फहराना है। रेलवे में कार्यालय अधीक्षक के पद पर नियुक्त सरिता अपनी कामयाबी का श्रेय अपने कोच के साथ ही पति रोमित सिंह व ससुराल पक्ष के दूसरे लोगों को देती है। सरिता का कहना हे कि शादी से पहले जहां पिता ने उसका हौंसला बढ़ाया वहीं शादी के बाद पति रोमित व अन्य ससुराल वालों ने भी उसे आगे बढते रहने की प्रेरणा दी।

सरिता ने दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत से साकार किया सपना

संभल के सैदपुर जसकौली गांव के जाट परिवार में पैदा हुई सरिता सिंह की खेल के प्रति रुचि देखकर पिता प्रकाश सिंह ने सरिता का दाखिला अमरोहा जनपद के सिख इंटर कालेज नारंगपुर में कराया था। यहां स्पोर्ट टीचर सुरेंद्र सिंह ने सरिता की प्रतिभा को पहचानकर उसे आगे बढ़ाने का काम किया तो सरिता सिंह को लगा कि उसका सपना सच हो सकता है। हैमर थ्रो में उसने जनपद और मंडल स्तर पर प्रतियोगिताएं जीतीं और फिर प्रदेश स्तर पर भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। इस बीच सरिता को स्पोर्ट कोटे से पश्चिमी रेलवे में कनिष्ठ लिपिक की नौकरी मिल गई मगर सरिता का सपना नाकरी पाना नहीं बल्कि खेल में अपना लोहा मनवाना था। नौकरी को आर्थिक जरूरत पूरी करने का माध्यम बनाकर सरिता सिंह ने अपने खेल में आगे बढ़ने के लिए मेहनत जारी रखी। इस बीच घरेलू समस्या जहां सरिता के सपने में बाधक बनी। वहीं 2016 में संभल के ही परियावली गांव में धर्मपाल सिंह के बेटे रोमित सिंह से शादी होने के बाद सरिता को लगा कि अब उसका सपना पूरा नहीं होगा और उसे घर गृहस्थी संभालनी पड़ेगी मगर पति और ससुराल वाले उसके सपने में बाधक बनने के बजाये मददगार बने।

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