महंगाई की मार झेल रही जनता को नमक ने भी दिया झटका
आजादी के आंदोलन में प्रमुख रहा नमक छोड़ो आंदोलन जब भारतीय जनता ने किया था तब ब्रिटिश शासक भी हिल गए...
आजादी के आंदोलन में प्रमुख रहा नमक छोड़ो आंदोलन जब भारतीय जनता ने किया था तब ब्रिटिश शासक भी हिल गए थे। आज उसी जनता के लिए वहीं नमक दूर की कौड़ी होता जा रहा है। कभी नमक को सबसे नीचे स्तर का भोग मना जाता था। किसी के घर नमक से रोटी खाने को उसकी गरीबी की पहचान माना जाता है। आज गरीब के निवाले का वही नमक महंगाई की मार के साथ तगड़ा झटका दे रहा है। पिछले एक वर्ष में मजदूर की मजदूरी भले ही न बढ़ी हो मगर इसी नमक के दाम दो से ढाई गुना बढ़ गए हैं। नामचीन कंपनियों ने तो इसके दामों में और भी इजाफा कर दिया है।
कटरा नाज के नमक व्यापारी प्रदीप गुप्ता ने बताया एक वर्ष पहले तक सादा नगर थोक में 12 से 15 और रिटेल में 18 से 20 रुपये किलो तक मिलता था। कुछ समय पहले एक-दो बड़ी कंपनियां बाजार में आईं तो भी सादा नमक 20 रूपये किलो तक बिकता रहा। मगर लगभग एक वर्ष पहले पैकिंग के सामान के साथ नमक भी जीएसटी के दायरे में आने की बात हुई तब से इसके दाम एकदम बढ़ गए। आज बाजार सादा नमक थोक में 20 से 22 रुपये किलो तक और रिटेल में 28 से 30 रुपये तक बिक रहा है। कुछ प्रमुख कंपनियों का नाम आज 30 से 35 रुपये किलो बिक रहा है।
नमक व्यापारी श्याम भाटिया ने बताया सेंधा नमक एक वर्ष पहले तक 20 रुपये किलो बिकता था। आज पैकेट में यही सादा सेंधा नमक 50 रुपये किलो बिक रहा है। इनके वजन में भी अंतर आ रहा है। जबकि नामचीन कंपनियों के सेंधा नमक के पैकेट 70 से 80 रुपये तक के बिक रहे हैं। इस तरह नमक भले की रसोई के बजट का छोटा अंग हो। मगर जिस तरह चींटी हाथी को मार सकती है। तो यह नमक भी कहीं न कहीं रसोई के बजट प्रभावित तो अवश्य ही कर रहा है।