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वजूद में नहीं आ सका बिजली थाना, बिजली चोरों पर कार्रवाई को हांफ रहे

भले ही प्रदेश सरकार की योजना के तहत पुलिस महकमे ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन को दरोगा और सिपाहियों का स्टाफ आवंटित किया पर छह महीने बाद भी संभल में विजीलेंस थाना वजूद में नहीं आ सका। जब कभी अधिकारी...

वजूद में नहीं आ सका बिजली थाना, बिजली चोरों पर कार्रवाई को हांफ रहे
हिन्दुस्तान टीम,संभलFri, 17 Jan 2020 11:55 AM
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भले ही प्रदेश सरकार की योजना के तहत पुलिस महकमे ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन को दरोगा और सिपाहियों का स्टाफ आवंटित किया पर छह महीने बाद भी संभल में विजीलेंस थाना वजूद में नहीं आ सका। जब कभी अधिकारी बिजली चोरी रोकने के लिए छापेमारी करते हैं तो पहले पुलिस थानों की दौड़ लगाते हैं। एफआईआर दर्ज कराने के लिए जितने अफसर परेशान होते हैं, उनसे कहीं ज्यादा मामलों में फंसे आरोपी। स्थानीय अधिकारी भी समस्या को लेकर परेशान हैं पर उनके हाथ में कुछ नहीं है, सो धैर्य बनाकर बैठे हुए हैं।

वैसे तो वर्ष 2019 की शुरुआत में ही संभल डिवीजन में विजीलेंस थाने की औपचारिकताएं पूरी ली गई थीं। डिवीजन परिसर में ही भवन को विजीलेंस के लिए तैयार करा दिया गया था। स्थानीय अधिकारियों को इंतजार था सिर्फ पुलिस स्टाफ की तैनाती का। जुलाई के महीने में अफसरों को तब उम्मीद जगी थी जबकि पुलिस महकमे ने प्रदेशभर के जिलों में प्रस्तावित थानों के लिए पुलिस स्टाफ आवंटित किया था। जिसमें एक सौ नब्बे दरोगा और तीन सौ साठ कांस्टेबिल दिए गए थे। अफसरों ने सोचा था कि अब संभल के विजीलेंस थाने में पुलिस स्टाफ की तैनाती हो जाएगी तो राहत मिलेगी लेकिन इस उम्मीद पर पानी फिर गया। समय गुजरता गया पर न तो विजीलेंस थाने में स्टाफ की तैनाती हो सकी और न ही विजीलेंस थाना वजूद में आ सका। जिले के अधिकारी भी छापेमारी से लेकर एफआईआर दर्ज कराने के लिए पुलिस थानों की दौड़ लगाते रहे। आज भी संभल डिवीजन में तैयार भवन पुलिस स्टाफ की तैनाती की बाट जोह रहा है और अधिकारी शासन स्तर से ही राहत मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। बहरहाल, भविष्य में क्या हालात बनेंगे यह तो वक्त ही बतायेगा पर वर्तमान में तो विभागीय अधिकारी भी मजबूर बने बैठे हैं।

अफसरों ने वर्ष 2019 में थानों के खूब लगाए चक्कर

संभल। वर्ष 2019 में विद्युत विभाग के अधिकारियों ने बिजली चोरी रोकने के लिए छापेमारी के लिए थानों के खूब चक्कर लगाए। पुलिस बल मिला तो छापेमारी हो सकी। कई मौकों पर तो पुलिस बल नहीं मिल पाने की वजह से छापेमारी अभियान को भी टालना पड़ा। जबकि बिजली चोरी पकड़े जाने पर आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए भी जमकर भागदौड़ की गई। उदाहरण के तौर पर संभल डिवीजन के ही आंकड़े को देखिये। बीते वर्ष करीब चार सौ लोगों के खिलाफ बिजली चोरी के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई। यह बात अलग है कि लगभग चालीस प्रतिशत आरोपियों ने थानों के चक्कर लगाकर मामलों को निपटवा लिया लेकिन उन्हें भी दिक्कतों से जूझना पड़ा।

इनसेट-

........बिजली थाने से मिलेगी बड़ी राहत.......

संभल। संभल डिवीजन में प्रस्तावित बिजली थाने में करीब दस पुलिस स्टाफ की तैनाती प्रस्तावित है। इस थाने में जिलेभर के बिजली चोरी के मामले दर्ज कराए जाएंगे। खास बात यह है कि विभागीय अधिकारी जरूरत के मुताबिक स्टाफ लेकर छापेमारी भी कर सकेंगे। अभी तक की व्यवस्था में अधिकारियों को दिक्कतें होना लाजिमी हैं लेकिन बिजली थाने खुल जाने पर राहत मिल सकेगी।

वर्जन-

विजीलेंस थाने के लिए संभल डिवीजन में कई महीने पहले ही भवन तैयार करा दिया था। शासन स्तर से पुलिस स्टाफ की तैनाती नहीं होने की वजह से थाना शुरु नहीं हो सका। आला अधिकारियों को आने वाली समस्याओं से अवगत कराया है। शासन स्तर से ही पुलिस स्टाफ मिलने पर थाने का संचालन शुरु हो सकेगा। विजय कुमार यादव, एक्सईएन विद्युत वितरण खंड संभल

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