बोले सहारनपुर: बाढ़ के बाद यमुना और बरसाती नदियां छोड़ गई बर्बादी का दंश
Saharanpur News - यमुना नदी का जलस्तर सामान्य हो गया है, लेकिन बाढ़ के कारण हजारों बीघा फसलें बर्बाद हो गई हैं। कई गांवों में किसानों की फसलें जलभराव से नष्ट हुई हैं। अधिकारियों का कहना है कि नुकसान का आकलन किया जा रहा...
यमुना नदी का जलस्तर अब धीरे-धीरे सामान्य हो चुका है और हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने की मात्रा घटकर 45 हजार क्यूसेक पर आ गई है, लेकिन यमुना और बरसाती नदियां पीछे बर्बादी का दंश छोड़ गई है। नदी की तेज धारा और जलभराव ने जिले में हजारों बीघा फसलों को तबाह कर दिया है। सरसावा, नकुड़ और गंगोह सहित अनेक क्षेत्रों में नदी किनारे की सैकड़ों बीघा उपजाऊ जमीन कटकर यमुना में समा गई। अकेले सदर तहसील की ही बात करें तो सरकारी आंकड़े के अनुसार, यहां दर्जनों गावों में 300 से ज्यादा किसानों की 1500 बीघा से अधिक फसल नष्ट हो गई है, जबकि 30 बीघा से ज्यादा जमीन कटान हुआ है।
अधिकारियों के मुताबिक, अकेले सदर तहसील में ही 300 से अधिक किसानों की लगभग 1500 बीघा फसलें जलभराव आदि से पूरी तरह नष्ट हो गईं हैं। ऐसा ही हाल अन्य तहसीलों में भी है। करीब 30 बीघा उपजाऊ भूमि नदी की धारा में बह गई, जिससे किसानों को भविष्य में भी नुकसान उठाना पड़ेगा। कई गांवों में धान, गन्ना, उड़द, हर चारा और सब्जियों की फसल जलभराव से खराब हो चुकी है। खेतों में लंबे समय तक भरे पानी ने फसलों को पूरी तरह सड़ा डाला है। ग्रामीणों का कहना है कि इस आपदा ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है। पहले जहां वे अच्छी पैदावार की उम्मीद लगाए बैठे थे, वहीं अब उन्हें कर्ज और आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि यमुना का बहाव इस समय सामान्य स्तर पर है और ऊपर के कैचमेंट एरिया में भी बारिश का असर कम है, जिससे आगे खतरे की संभावना नहीं है। साथ ही नुकसान का आंकलन करने के लिए राजस्व विभाग की टीमें गांव-गांव जाकर सर्वे कर रही हैं। किसानों को जल्द ही आपदा राहत योजना के तहत मुआवजा दिलाने का आश्वासन भी दिया गया है। हालांकि किसानों का कहना है कि मुआवजा चाहे कितना भी मिले, उपजाऊ जमीन का कटान उनकी पीढ़ियों पर भारी पड़ेगा। टूटी ठोकर, बल्लामाजरा में कटान, बर्बाद हुई फसलें गंगोह। यमुना किनारे बसे गांवों में लगातार जारी बरसात और हथिनी कुंड बैराज से छोडा गया पानी हालांकि अब उतरने लगा है, जिससे यूपी हरियाणा को जोड़ने वाला यमुना पुल अब परिवहन के लिए चालू हो गया है। मगर पानी अपने साथ यमुना किनारे बसे गांवों की उड़द, घास व धान की कई सौ बीघा फसल को अपने साथ बहा ले गया है। इसके अलावा नाइमाजरा के सामने यमुना बांध की काफी ठोकरें टूट गई है। इससे किसानों के माथे में चिंता लकीरें आ गई हैं। बूढ़ी यमुना नदी में बरपाया कहर नकुड़। क्षेत्र में बूढ़ी यमुना नदी के कारण किसानों की सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न होकर खराब हो गई। वहीं, यमुना नदी से हरियाणा क्षेत्र की हजारों बीघा कृषि भूमि कटाव में बह गई। गांव टाबर, नसरूल्लागढ़, रेतगढ़, नारायणपुर, लतीफपुर, काजीबांस, डाल्लेवाला आदि के किसानों ने बताया कि इन गांवों से होकर बूढ़ी यमुना नदी गुजरती है। जिसमें कईं स्थानों पर अतिक्रमण के कारण निकासी नहीं हो रही है। इस बार भारी बरसात के कारण नदी में सरसावा की ओर से आए मिल आदि के केमिकल वाले पानी का जगह जगह जलभराव हो गया, जिसके चलते पानी ओवरफ्लो होकर किसानों के ख़ेतों में घुस गया। इस पानी के कारण किसानों की सैकड़ों बीघा भूमि में फसल खराब हो गई। इसके अलावा कई जगहों पर गन्ने की फसल व पोपलर के पेड़ तक काले पड़ गए। हजारों बीघा जमीन हो गई जलमग्न सरसावा। यमुना नदी का जल स्तर जरूर घटा है, लेकिन किसानों की परेशानी कम नहीं हो रही है। शाहजहांपुर क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांव में यमुना नदी का पानी कटाव होने के कारण किसानों की हजारों बीघा जमीन जलमग्न हो गई है। गांव ढिक्का टपरी निवासी हर्षवर्धन ठाकुर ने बताया कि हमारा गांव यूपी का गांव है, लेकिन बसा हुआ है यमुना पार हरियाणा की सीमा में। जब भी यमुना का जलस्तर बढ़ता है तो सबसे ज्यादा नुकसान हमारे गांव के किसानों को होता है। इस बार भी यमुना का जलस्तर बढ़ने से सैकड़ों बीघा जमीन का कटाव हो गया। बाकी फसल बाढ़ के पानी ने नष्ट कर दी। गांव शाहजहांपुर निवासी अमित कोहली ने बताया कि हमारी 10 बीघा से अधिक गन्ने की फसल बाढ़ आ जाने से खराब हो गई है। शाहजहांपुर निवासी प्रधान आजाद चौधरी ने बताया कि यमुना किनारे बसे एक दर्जन से अधिक गांव के किसानो की फैसले पूरी तरह से नष्ट हो गई है। पशुओं के लिए चारे की समस्या भी गहरा गई है। बारिश के कारण उड़द और धान की फसल को भारी नुकसान तीतरो। बारिश के कारण किसानों को खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है। बारिश और हवा के कारण फसल पर विपरीत असर पड़ रहा है। तेज हवा और बारिश के कारण गन्ने की फसल से लेकर धान तथा उड़द की फसल को नुकसान हुआ है। बारिश लगातार होते रहने के कारण गन्ने की जमीन पर गिरी फसल को उठाया नहीं जा सका। बता दे कि गन्ने की जमीन पर गिरी फसल को निर्धारित समय के अंदर खड़ा कर दिया गया तो ठीक है, वरना फसल में नुकसान की गुंजाइश ज्यादा हो जाती है। यही हाल धान की फसल का है। हवा और बारिश के कारण धान की पकी फसल तैयार है लेकिन रोज-रोज हो रही बारिश है किसान को फसल नहीं काटने दे रही है। उड़द के भाव ठीक ठाक मिलने के कारण किसानों ने भरपूर मात्रा में उड़द की फसल बोई थी, लेकिन बारिश ज्यादा होने के कारण फसल नष्ट हो गई। किसानों की चिंता बढ़ाई बड़गांव/नागल। दो दिन बाद धूप निकलने के बाद शनिवार दोपहर एक बार फिर बरसात होने से किसानों की बैचैनी बढ़ गई। किसानों को खेतों में खड़ी धान की फसल खराब हो गई। दल्हेड़ी निवासी किसान नैनसिंह का कहना है कि बरसात के साथ हवाएं चलने धान की फसल नीचे गिर गई थी। उम्मीद थी अब बरसात रूक गई है, लेकिन शनिवार को फिर बरसात होने से धान खराब होने का डर सताने लगा है। किसान ऋषिपाल सिंह का कहना है धान की फसल पक कर तैयार है, लेकिन दो दिन बाद फिर बरसात होने से चिंता बढ़ गई है। वहीं, भारी बारिश से धान की खड़ी फसल गिरकर खराब हो गई। वहीं, नागल क्षेत्र के किसान रविंद्र काका, नारायण सिंह, अनिल स्वामी, अमरदीप नोसरान आदि का कहना है कि लगातार बारिश से किसानों को धान की तैयार फसल को काटने का मौका भी नहीं मिला तथा खेतों में पानी भरा रहने से फसल पानी में गिरकर पीली होने से खराब हो गई। नदियों की शक्ल में तब्दील हुआ सैकड़ों बीघा कृषि रकबा बेहट। शिवालिक पहाड़ियों एवं मैदानी क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से जन जीवन पूरी तरह प्रभावित हुआ ही है। भारी बारिश से जहां खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई है, वहीं नदियों के रौद्र रूप के चलते किसानों की सैकड़ों बीघा कृषि रकबा नदियों की शक्ल में तब्दील हो गया है। जिससे मेहनतकश किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया है। शिवालिक से निकलने वाली बरसाती नदियां शाकंभरी, सह्श्रा, हिंडन, बड़कला, गांगरोह, मशखरा आदि में आए तेज बहाव की धार में खेतों में खड़े विशाल पेड़, सब्जी आदि पूरी तरह नष्ट हो गई है। यही स्थिति है यमुना नदी क्षेत्र की भी बनी है। धान को बेहद नुकसान हुआ बिहारीगढ़। किसानों लगातार हुई बारिश के कारण भारी परेशानी के साथ बेहद नुकसान उठाना पड़ा है। इस मौसम में धान को बेहद नुकसान हुआ है। किसानों की सारी फसल बारिश के कारण नीचे गिरकर पीली पड़ गई है। क्षेत्र के किसान परवेश, सोनू, रोक, राकेश, सोनी, अरुण ने बताया बारिश के कारण सारी फसले बेकार हो रही है। पशुओं का घास, जवार, बाजरा पीला हो गया है। वही मनोहरपुर, खुशालीपुर, कुर्दीखेड़ा निवासी कुछ किसानों का खेत नदी या कटाव वाली जगह के नजदीक है। सरकार को देना चाहिए मुआवजा रामपुर मनिहारान। किसानों की हजारों बीघा फसल भारी बारिश की भेंट चढ़ गई। फसल नष्ट होने से किसान बेहद परेशान है। वह चाहते हैं कि सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाए। अधिवक्ता जवाहर सिंह पुंडीर, मेहरबान चौधरी, सुंदर सिंह, जोगिंदर सिंह, विशाल कुमार का कहना है कि जलभराव व कीचड़ होने के कारण तहसील में आने वाले फरियादियों को तहसील आने में बड़ी परेशानी झेलनी पड़ी है। वहीं, किसानों को फसलों का भारी नुकसान हुआ है। धान की खड़ी फसल गिरकर हुई खराब नागल। भारी बारिश से धान की खड़ी फसल गिरकर खराब हो गई। किसान रविंद्र काका, नारायण सिंह, अनिल स्वामी, अमरदीप नोसरान आदि का कहना है कि लगातार बारिश से किसानों को धान की तैयार फसल को काटने का मौका भी नहीं मिला तथा खेतों में पानी भरा रहने से फसल पानी में गिरकर पीली होने से खराब हो गई। इन्होंने कहा इस बार बारिश आफत बनकर आई है। नदियों की कटाव की वजह से फसलों को भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में किसानों के साथ संकट खड़ा हो गया। अलीरजा, किसान सरकार को मुआवजा देना चाहिए। किसानों के सामने आर्थिक संकट भी खड़ हो गया है। इसको लेकर शासन को गंभीरता से लेना चाहिए। अकील अब्बास, किसान किसानों हर वर्ष दिक्कत उठानी पड़ती है, जितने का नुकसान होता है, उतना मुआवजा नहीं मिल पाता है। सरकार को सर्वे कराकर पूरा मुआवजा देन चाहिए। आस मोहम्मद, किसान किसानों को तबाही का दंश झेलना पड़ रहा है। किसानों की समस्या को शासन-प्रशासन को समझना चाहिए। तत्काल प्रभाव से किसानों को मुआवजा दिया जाए। लियाकत किसान किसान तो हमेशा उपेक्षा का शिकार रहे हैं। इस बार बारिश ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। सरकार को किसानों की मदद करनी चाहिए। जवाहर सिंह पुंडीर, किसान किसानों को समय रहते उचित मुआवजा दिया जाए। इसमें सरकार और प्रशासन किसी तरह की लापरवाही न बरते। ताकि किसानों को आर्थिक संकट न जूझना पड़े। मेहरबान चौधरी, शासन-प्रशासन को किसानों की समस्याओं की ओर ध्यान देना चाहिए। गन्ना भुगतान में भी देरी होती है, अब बरसात ने किसानों पर कहर बरपाया है। सुंदर सिंह, किसानों की समस्याओं का जल्द निस्तारण होना चाहिए। इसमें प्रशासन को किसी तरह की कोताही नहीं बरती चाहिए। जोगिंदर सिंह, बारिश की वजह से भारी मात्रा में फसल को नुकसान हुआ है। इसी तरह अनेक किसानों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। विशाल कुमार सरकार और प्रशासन को किसानों की समस्याओं की ओर ध्यान देना चाहिए। किसानों की बर्बाद हुई फसल की जल्द बरपाई की जाए। हर्षवर्धन ठाकुर, किसान किसान अन्नदाता है। उनकी समस्याओं को सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए। इसमें किसी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। गुरदेश चौधरी, किसान किसानों के सामने हमेशा संकट खड़ा रहता है। इस बार की बारिश ने तो किसानों की कमर तोड़कर रख दी है।सरकार को जल्द मुआवजा देना चाहिए। अमित कोहली फसल बर्बाद होने की वजह से किसान परेशान है। कई किसानों के सामने परिवार के पालन-पोषण का संकट भी खड़ हो गया है। प्रशासन को जल्द सर्वे कराकर आर्थिक मदद की जाए। आजाद चौधरी किसानों की समस्याओं का तत्काल प्रभाव से निस्तारण होना चाहिए। अगर आगामी दिनों में भी बारिश हुई तो हालत और खराब हो जाएंगे। --परवेश सरकार को किसानों को उचित मुआवजा देना चाहिए। जब भी किसानों को नुकसान होता है, उसका आधा ही मुआवजा मिल पाता है। सरकार को पूरा मुआवजा देना चाहिए। सोनू, किसान किसानों की परेशानी को शासन-प्रशासन को समझना चाहिए। जल्द सर्वे पूरा कराकर उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। रॉकी, किसान मुआवजा देने में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जानी चाहिए। क्योंकि, किसान आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। उनकी फसल को भी भारी नुकसान हुआ है। राकेश, किसान सरकार से अनुरोध करते हैं, जल्द नुकसान की बरपाई की जाएगी। उनकी भारी मात्रा में फसल को नुकसान हुआ है। सोनी, किसान किसानों की परेशानी समझने वाला कोई नहीं है। फलसें बर्बाद हो गई है, लेकिन मुआवजा कई माह बीतने पर मिलता है। किसानों को तत्काल मुआवजा मिलना चाहिए। अरुण किसान
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