जिले में पुलिस स्मैक तस्करी का धंधा लगातार तेजी पकड़ रहा है। बरेली से सहारनपुर में स्मैक की खेप भेजी जा रही है।
लॉकडाउन के बाद उद्योगों का तो पहिया घूमा है, लेकिन कामगारों का खासा टोटा है। करीब दो हजार से ज्यादा कामगारों की इस वक्त उद्योगों को खासी जरूरत...
लॉकडाउन के बाद उद्योगों का तो पहिया घूमा है, लेकिन कामगारों का खासा टोटा है। करीब दो हजार से ज्यादा कामगारों की इस वक्त उद्योगों को खासी जरूरत है। आईआईए ने सभी उद्यमियों से उनके यहां आ रही कामगारों की कमी का ब्यौरा मांगा है। मशीन ऑपरेटर से लेकर वेल्डर और फीटर की कमी उद्योगो में हो रही है।
लॉकडाउन के दौरान अन्य जिलों या राज्यों में चले गए कामगारों के वापस न लौटनें के कारण जगह खाली रह गई हैं। वुडकार्विंग, बिस्कुट, नमकीन, काॅस्मेटिक, हौजरी, इलैक्टिकल, प्लास्टिक जैसी तमाम उद्योगों में कामगारों का टोटा है । कामगारों में इलेक्टिशयन, फिटर, मशीन आॅपरेटर, आफसेट मशीन आॅपरेटर, अकाउंटेट के साथ मार्केटिंग के लिए काम करने वाले लोग शामिल हैं।
उद्यमी बताते है कि लाॅकडाउन के दौरान बिहार, झारखंड, पंजाब व छत्तीसगढ के कामगार अपने घर लौट गए। कुशल कारीगर भी थे, जिन्हें काफी अच्छा अनुभव था और काफी अरसे से उद्योग में काम कर रहे थे। उद्योगों में कामगारों की कमी का ब्यौरा तैयार किया जा रह है। आईआईए ने सभी उद्योगो से उनके यहां कामगारों की कमी का ब्यौरा मांग लिया है। जिसके बाद सूची तैयार कर उद्योग केंद्र को सौंपी जाएगी।
बोले उद्यमी
आईआईए के चैप्टर चेयरमैन रविंद्र मिगलानी ने कहां सहारनपुर मे सबसे बडा उद्योग वुडकार्विंग का है और इस सेक्टर में सबसे ज्यादा लेबर स्थानीय ही है। दूसरे सेक्टरों में कामगारों की कमी आई है। ब्योरा मांगा जा रहा है जिसके बाद सूची जिला उद्योग केंद्र को सौंप दी जाएगी।
आईआई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामजी सुनेजा ने कहा कि कामगारों की कमी गई है। कई उद्योगों में कुशल कामगारों की कमी है। जिसकों जल्द पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।
0-जिले में कुल उद्योगो की संख्या-1200
-उद्योगो में काम कर रहे कामगारों की संख्या---40,000
-कामगारों की उद्योंगो में कमी----2000