पट्टों के नवीनीकरण निरस्त करने का मामला भी पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
पूर्व पट्टाधारकों के खनन पट्टों के नवीनीकरण निरस्त होने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। खनन पट्टाधारकों का कहना है कि उनके पट्टों का विधिवत रूप से नवीनीकरण हुआ था जिसकी फीस भी जमा है और पट्टों...
पूर्व पट्टाधारकों के खनन पट्टों के नवीनीकरण निरस्त होने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। खनन पट्टाधारकों का कहना है कि उनके पट्टों का विधिवत रूप से नवीनीकरण हुआ था जिसकी फीस भी जमा है और पट्टों का संचालन भी नहीं हो सका है।
खास है कि सुप्रीम कोर्ट पूर्व में भी कालूवाला पहाडीपुर आदि के नए पट्टों पर स्टे आदेश कर चुका है। उप्र सरकार की योगी सरकार ने हाईकोर्ट आदेशों का हवाला देते हुए बीती 31 मई 2018 को पूर्व पट्टाधारकों के पट्टों के नवीनीकरण निरस्त कर दिए थे। जून माह में कोर्ट की छुट्टी होती है जिसके बाद अब जुलाई में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट पूर्व में भी पट्टाधारकों को राहत दे चुका है। दरअसल पुराने नवीनीकृत/बाधित अवधि वाले पट्टों की जगह प्रशासन ने ई-टेंडरिंग से नए पट्टे कर दिए थे जिस पर पूर्व पट्टाधारक सुप्रीम कोर्ट गए तो कोर्ट ने स्टे कर दिया था। इसी बिनाह पर पट्टाधारक अब सुप्रीम कोर्ट गए हैं। पट्टाधारकों का कहना है कि उनका नवीनीकरण विधिवत हुआ है, पैसा जमा है और पट्टों का संचालन भी नहीं हो सका है।