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तीन तलाक पर कानून बनाने से शरीयत में न हो छेड़छाड: उलेमा

एक साथ तीन तलाक रोकने को अब सरकार के संसद में कानून लाने पर उलेमा-ए-कराम ने कहा कि सरकार शरीयत के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकती। उलेमा-ए-कराम ने कहा कि मुसलमानों को ही नहीं हर धर्म के लोगों को उनके...

तीन तलाक पर कानून बनाने से शरीयत में न हो छेड़छाड: उलेमा
हिन्दुस्तान टीम,सहारनपुरWed, 22 Nov 2017 11:20 PM
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एक साथ तीन तलाक रोकने को अब सरकार के संसद में कानून लाने पर उलेमा-ए-कराम ने कहा कि सरकार शरीयत के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकती। उलेमा-ए-कराम ने कहा कि मुसलमानों को ही नहीं हर धर्म के लोगों को उनके मजहब के हिसाब से धर्म के तरीके अपनाने को संवैधानिक अधिकार मिले हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक बार फिर तीन तलाक का जिन्न बाहर निकलने से हलचल मच गई है। सरकार द्वारा शीत कालीन अधिवेशन में तीन तलाक को रोकने के लिए कानून बनाए जाने पर उलेमा-ए-कराम ने कहा कि सरकार कोई भी कानून बनाने से पहले शरीयत के जानकारों से बात करे उसके बाद ही कानून बनाए। जिससे कानून और शरीयत में टकराव न हो। तंजीम उलेमा-ए-हिंद के प्रदेशाध्यक्ष मौलाना नदीम उल वाजदी ने कहा कि सरकार कानून बना सकती है। उन्होंने कहाकि बेहतर हो कि सरकार कानून बनाने से पहले संविधान के तहत जो अधिकार मुसलमानों को मुस्लिम पर्सनल-लॉ के तहत मिले हैं उनके साथ कोई छेड़छाड़ न हो। उन्होंने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि कानून आपसी सहमति से बने तो ज्यादा बेहतर हो सकता है। फतवा ऑन लाइन के चेयरमैन मुफ्ती अरशद फारुकी ने कहा कि तीन तलाक को लेकर पहले से ही कानून बना हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार कानून बनाने में जल्दबाजी करने के बजाए शरीयत के जानकारों की राय लेने के बाद ही कानून का निर्माण करें जो सब को सर्वमान्य हो।

काननू बनना जरुरी: नजमादेवबंद। मोहल्ला सराएपीरजादगान निवासी तलाकशुदा नजमा ने सरकार के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सरकार काननू बनाते समय एक साथ तीन तलाक कहने वालो के लिए कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान करे। उन्होंने कहा कि उनकी जिंदगी क्यों खराब हो जबकि तलाक देने वाला मजे़ में रहे हो और उस जैसी महिलाओ की जिंदगी खराब हो।

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