ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश सहारनपुरशाकंभरी देवी मंदिर मामले में लापरवाह अधिकारियों पर गिरेगी गाज

शाकंभरी देवी मंदिर मामले में लापरवाह अधिकारियों पर गिरेगी गाज

शाकंभरी देवी मंदिर मामले में हाईकोर्ट से प्रशासन के साथ मुख्यमंत्री कार्यालय तक की किरकिरी होने के बाद दोषी अधिकारियों कीभी पड़ताल शुरू हो गई है और लापरवाह अधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा...

शाकंभरी देवी मंदिर मामले में लापरवाह अधिकारियों पर गिरेगी गाज
हिन्दुस्तान टीम,सहारनपुरSat, 16 Dec 2017 10:39 PM
ऐप पर पढ़ें

शाकंभरी देवी मंदिर मामले में हाईकोर्ट से प्रशासन के साथ मुख्यमंत्री कार्यालय तक की किरकिरी होने के बाद दोषी अधिकारियों कीभी पड़ताल शुरू हो गई है और लापरवाह अधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। मामला एक अक्तूबर 2013 के हाईकोर्ट के स्टे आदेशों में पैरवी न करने का है। यह भी तब, जब मामले में एसडीएम बेहट, एडीएम-प्रशासन, डीएम व प्रमुख सचिव तक पार्टी थे लेकिन किसी अधिकारी ने हाईकोर्ट में जवाब देना तक गंवारा नहीं समझा। जिसके चलते प्रशासन ही नहीं, मुख्यमंत्री कार्यालय तक को मामले में हाइकोर्ट में मुंह की खानी पडी है। एकमात्र अधिकारी जिला पंचायत एएमए हाईकोर्ट गए थे लेकिन उन्होंने इतना ही कहा कि उन्हें मामले में कुछ नहीं कहना है। खास है कि शाकंभरी देवी मंदिर का ट्रस्ट बनाकर विकास करने की बाबत अधिकारियों के भरोसे मुख्यमंत्री व उप-मुख्यमंत्री तक सार्वजनिक सभाओं में बयान दे चुके है तो मुख्यमंत्री कार्यालय तक शाकंभरी मेले को राज्य मेला घोषित करने के आदेश जारी कर चुके है। इस सबके बावजूद किसी अधिकारी ने हाइकोर्ट के एक अक्तूबर 2013 के आदेशों की बाबत जानकारी करना तक गंवारा नहीं समझा। यह भी तब जब हाईकोर्ट में एसडीएम बेहट, एडीएम प्रशासन, डीमए व प्रमुख सचिव तक को पार्टी बना रखा था। हाईकोर्ट ने एक अक्तूबर 13 के अपने आदेशों में मंदिर संचालकों के कब्जें में हस्तक्षेप न करने के आदेश दिए थे, जिससे वर्तमान अधिकारी भी अंजान ही रहे। इसी का नतीजा रहा कि जहां जिला प्रशासन पर मंदिर परिसर में कथित पैमायश (संपत्ति मूल्याकंन) मामले में अवमानना वाद दर्ज हो गया है वहीं शाकंभरी मेले को राजकीय मेला घोषित करने के मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेशों पर भी हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इससे मुख्यमंत्री कार्यालय की भी काफी किरकिरी हो चुकी है। लिहाजा जिम्मेवार अफसरों की पड़ताल शुरू हो गई है। मामले में लापरवाह रवैया अपनाने वाले अधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। उच्च प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, मामले में हाईकोर्ट में एसडीएम बेहट, एडीएम प्रशासन, डीएम व प्रमुख सचिव धर्मार्थ तक पार्टी थे लेकिन किसी ने भी जवाब दाखिल करना तो दूर, मामले का संज्ञान लेना तक गंवारा नहीं किया है। एकमात्र जिला पंचायत एएमए ही इस मामले में हाइकोर्ट में उपस्थित हुए थे लेकिन सूत्रों के अनुसार, उन्होंने भी इतना ही कहा कि उन्हें कुछ नहीं कहना है। हालांकि एडीएम वित्त एवं राजस्व विनोद कुमार का कहना है कि फिलहाल तो मामले में जवाब दाखिल किए जाने पर ही ध्यान दिया जा रहा है। उसके बाद देखा जाएगा कि किस स्तर पर लापरवाही हुई है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें