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सहारनपुर के उपनिदेशक कृषि निलंबित, अन्य तीन कमेटी सदस्यों की जांच जारी

बुधवार को कृषि विभाग में अचानक भूचाल आ गया। प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कृषि उत्पादन आयुक्त की जांच के बाद सहारनपुर के उप निदेशक राजीव सहित विभाग के आधा दर्जन से ज्यादा संयुक्त व...

सहारनपुर के उपनिदेशक कृषि निलंबित, अन्य तीन कमेटी सदस्यों की जांच जारी
हिन्दुस्तान टीम,सहारनपुरWed, 14 Nov 2018 11:28 PM
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बुधवार को कृषि विभाग में अचानक भूचाल आ गया। प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कृषि उत्पादन आयुक्त की जांच के बाद सहारनपुर के उप निदेशक राजीव सहित विभाग के आधा दर्जन से ज्यादा संयुक्त व उपनिदेशकों को निलंबित कर दिया। साथ ही कई अन्य अधिकारी अभी जांच के दायरे में हैं।

इन अफसरों पर मृदा परीक्षण के लिए की गई ई-टेंडरिंग में गड़बड़ी के आरोप हैं। आरोप है कि इन्होंने फर्म विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर में ऐसी नियम शर्ते जोड़ दी, जिससे कई फर्म, खासकर बाहरी राज्यों की फर्म टेंडर प्रक्रिया में भाग ही नहीं ले सकी हैं। मामला मृदा परीक्षण का है। विभागीय सूत्रों के अनुसार 2018-19 में जिले में करीब 70 हजार सेंपल जांचने का लक्ष्य आया था जो 30 दिसंबर तक पूरा करना था। इसके लिए विभाग ने मिट्टी जांच कराने को ईं-टेंडरिंग के माध्यम से निजी फर्मों से आवेदन मागे गए थे। आरोप है कि इसके लिए ई-टेंडरिंग में गड़बड़ी हुई है। फर्म विशेष को टेंडर देने के लिए नियम-शर्ते बदली गई है। यही नहीं, बरेली में कई फर्जी कूटरचित किए हुए दस्तावेज दाखिल कर दिए। जिसे अधिकारियों ने अनदेखा किया। इसी से प्रारंभिक तौर पर मंडलों में टेंडर कमेटी के अध्यक्षों को दोषी मानते हुए निलंबन की कार्रवाई की गई है। हालांकि इस बाबत अधिकारियों का कहना है कि सहारनपुर में कोई गड़बड़ी नहीं है। यहां 70 हजार के सापेक्ष 10-15 प्रतिशत ही सेंपल जांच किए गए हैं जिनका भी भुगतान नहीं हुआ है। कहा कि पूर्व की जांच में भी जिले में सब कुछ ठीक ठाक पाया गया था। यही नहीं, अधिकारियों का दावा है कि उनसे कभी इस बाबत कोई जांच पड़ताल आदि भी इस संबंध में नहीं हुई है। -------फर्म विशेष को लाभ पहुंचाने को बदली नियम-शर्तें : कृषि मंत्री ---प्रदेश के कृषि व जिले के प्रभारी मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने बताया कि मृदा परीक्षण के लिए की गई ई-टेंडरिंग में फर्म विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए निविदा की शर्तों में बदलाव किया गया है। कुछ ऐसी शर्तें बढ़ा दी गई हैं जो कई फर्मों खासकर बाहरी राज्यों की फर्म चाहकर भी पूरा नहीं कर सकती। काबीना मंत्री के अनुसार, निविदा में 50 हजार सेंपल टेस्ट करने वाली फर्म को ही शामिल करने की शर्त रखी गई थी तो वहीं प्रदेश के डीएम का प्रमाणपत्र मांगा गया था। इससे बाहर के दूसरे राज्यों की फर्म आवेदन नहीं कर सकी। वहीं बरेली में फर्जी कागजात लगाए जाने की बात सामने आई है। वहीं बाद में कई छोटी फर्मों को टेंडर बांटने में नियमों में नियमों की अनदेखी के आरोप है। कारटेल की तर्ज पर काम किया गया है।

आस्त्री सिस्टम फर्म ने किया है काम : मिश्रा। जिला कृषि अधिकारी व मृदा परीक्षण लैब इंचार्ज राम जतन मिश्रा कहते हैं कि उनके यहां जितना भी काम हुआ है वह भी ठीक हुआ है। एक-एक सेंपल गुणवत्तापरक तरीके से जांच हुआ है। कोई गड़बड़ी नहीं है। सहारनपुर में पुणे की फर्म आस्त्री सिस्टम ने काम किया है।

सहारनपुर में कोई गड़बड़ी नहीं है: संयुक्त निदेशक। संयुक्त कृषि निदेशक डीएस राजपूत कहते हैं कि प्रारंभिक जांच में सहारनपुर व मेरठ मंडलों में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई थी। बरेली आदि में जरूर निविदा में कूटरचना आदि की कुछ बातें सामने आई थी। लेकिन पता नहीं क्या हुआ, सहारनपुर व मेरठ का भी नाम जुड़ गया है। राजपूत के अनुसार, शासन से अभी कोई आदेश नहीं प्राप्त हुआ है। आदेश मिलने पर ही कुछ कहा जा सकेगा।

डायरेक्टर की सहमति पर ओके किया टेंडर : उप निदेशक। निलंबित किए गए उप निदेशक कृषि राजीव का कहना है कि आरोपों की भी पूरी जानकारी नहीं है। वो क्या कहे लेकिन उन्होंने कृषि निदेशक की लिखित सहमति के बाद ही टेंडर फाइनल किए है। दूसरा मामले का पता चलते ही यहां पर काम रोक दिया गया था और मुश्किल से 10-15 प्रतिशत ही सेंपल टेस्ट किए गए है। इन सेंपलों का भी कोई भुगतान उन्होंने नहीं किया है।

पत्रावली देखकर ही कुछ कहूंगा : निदेशक। कृषि निदेशक सौराज सिंह कहते हैं कि अभी उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। अभी प्रमुख सचिव आदि के पास से पत्रावली आएंगी तो देखकर ही कुछ कहा जा सकता है।

ये थे ई-टेंडरिंग की कमेटी में। मृदा परीक्षण के लिए ई-टेंडरिंग के लिए उपनिदेशक कृषि राजीव की अध्यक्षता में गठित कमेटी में जिला कृषि अधिकारी अरूणेश प्रताप सिंह, मृदा परीक्षण लैब व प्रभारी जिला कृषि अधिकारी राम जतन मिश्रा के साथ लेखाकार शामिल थे। कृषि मंत्री के अनुसार, अभी कमेटी अध्यक्षों पर कार्रवाई की गई है, जबकि अन्य अधिकारियों की जांच जारी है।

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