पितरों के बिना सृष्टि का चलन नहीं : स्वामी रसिक महाराज
Saharanpur News - देवबंद के रणखंडी गांव में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में चौथे दिन पितृ मोक्ष की कथा सुनाई गई। कथावाचक स्वामी रसिक महाराज ने बताया कि पितरों के बिना सृष्टि नहीं चल सकती और श्राद्ध कर्म की महत्ता पर जोर...
देवबंद। तहसील क्षेत्र के रणखंडी गांव में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में चौथे दिन पितृ मोक्ष की कथा का वर्णन किया गया। इस दौरान कथावाचक नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने बताया कि शास्त्रों में पितरों के बिना सृष्टि ही नहीं चल सकती है। क्योंकि संतानोत्पत्ति के पश्चात ही वह पितृ ऋण का शोधन कर पाता है। डांडी थामना स्थित बरात घर में कथावाचक स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि इस महालय पर्व पर अपनों को श्रद्धा भावना से युक्त होकर श्राद्ध कर्म अवश्य करना चाहिए। कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि हम अपने पूर्वजों के त्याग और बलिदान को याद रखेंगे तभी भारत माता की सच्ची सेवा कर सकेंगे।
भारतीय संस्कृति में श्राद्ध की सनातन परंपरा है, ताकि हम अपने पितरों के प्रति सम्मान तथा उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उनका आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन में आगे बढ़े। पूर्वजों की पूजा करने का विधान देवी देवताओं से पृथक नहीं है, क्योंकि पूर्वजों की आत्मा अपने परिजनों के आसपास ही विचरण करती है। पूर्वजों का उद्धार प्रत्येक मानव का दायित्व है। जिसे हर हाल में पूर्ण करना चाहिए। रविवार को कथा के रसपान को सरधना के पूर्व विधायक संगीत सोम, पूर्व ब्लॉक प्रमुख ठाकुर अनिल पुंडीर, किशोर आंनद, अमरीश राणा, सुधीर राणा, तेजपाल राणा, प्रवीण पुंडीर, राजीव राणा, अमित धीमान, बादल राणा, मिठ्ठू राणा और गौरव आदि मौजूद रहे।
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