अक्षय तृतीया पर जैन समाज ने वितरित की खाद्य सामग्री
00 प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने 13 माह की कठिन तपस्या एवं उषभदेव ने 13 माह की कठिन तपस्या एवं उपवास के उपरांत अक्षय त्रतिया के दिन ही लिया था सर्वप्रथम आहार देवबंद। हमारे संवाददाता। अक्षय त्रतिया के...
अक्षय त्रतिया के पावन पर्व पर जैन समाज द्वारा लॉकडाउन का पालन करते हुए अपने घरो में ही भगवान आदिनाथ की पूजा-अर्चना की गई। साथ ही नगर के जैन समाज के लोगों ने जरूरतमंद लोगों को खाद्य सामग्री भी वितरित की।
रविवार को अक्षय तृतीया का पावन पर्व नगर के जैन समाज द्वारा प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ के पारणे के रूप में मनाया गया। समाज के लोगों ने जैन परंपराओं के अनुसार लॉकडाउन का पालन करते हुए घर पर ही श्री भक्ताम्बर स्त्रोत का पाठ कर प्रभु की भक्ति की। इसके उपरांत समाज के विभिन्न लोगों द्वारा शास्त्रो मे दी गई दान की महिमा को समझते हुए जरूरतमंद लोगों को खाद्य सामग्री वितरित की।
बाल ब्रहमचारी प्रदीप शास्त्री जी ने फोन पर वार्ता करते हुए बताया कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभ देव ने 13 माह की कठिन तपस्या एवं उपवास के उपरांत अक्षय तृतीया के दिन ही सर्वप्रथम आहार ग्रहण किया था जिसमें उन्हें हस्तिनापुर प्रांत में राजा श्रेणिक ने गन्ने का रस देकर उनका आहार कराया था। तभी से अक्षय तृतीया का पर्व पावन पर्व व दान तृतीया के रूप में मनाया जाने लगा। उन्होंने जैन परंपराओं की अन्य परिभाषाओं से समाज के लोगों को अवगत कराया।