सहारनपुर की राजनीति के धुरंधर नेता रहे जगदीश राणा
जगदीश राणा सियासत का जाना-पहचाना नाम था। वह सपा सरकार में वर्ष 2003 से 2007 तक मंत्री भी रहे थे। उसके बाद बसपा में आ गए। बसपा से वह वर्ष 2009 से...
जगदीश राणा सियासत का जाना-पहचाना नाम था। वह सपा सरकार में वर्ष 2003 से 2007 तक मंत्री भी रहे थे। उसके बाद बसपा में आ गए। बसपा से वह वर्ष 2009 से 2014 तक सांसद रहे। वर्ष 2016 में वह भाजपा में शामिल हुए। अंतिम समय तक भाजपा में ही रहे। भाजपा के महानगर अध्यक्ष राकेश जैन ने कहा कि पूर्व सांसद का निधन हो गया है। यह पार्टी के लिए बड़ी क्षति है।
28 अगस्त 1954 को गांव में जिवाला में ठा. जगदीश राणा का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम ठा. हरकेश राणा थे जो संपन्न किसान किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे। छात्र जीवन से ही क्रांतिकारी विचारों के राणा जेपी आंदोलन में भाग लेने के बाद राजनीति में आ गए थे। जेवी जैन डिग्री कॉलेज, सहारनपुर से स्नातकोत्तर कर शिक्षा प्राप्त की। कालेज में पढ़ते हुए हिन्दी आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी के बाद जे.पी. आन्दोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। आपातकाल के दौरान जब उनके साथी जेल में थे तब राणा ने उनके परिजनों का पूरा खयाल रखा।
राजीनीतिक सफर
जगदीश राणा मई 1991 में मुजफ्फराबाद विधान सभा क्षेत्र से जनता दल से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। इससे पहले ने क्षेत्रीय राजनीति शुरू करते हुए अपना पहला चुनाव 1988 में मुजफ्फराबाद के ब्लाक प्रमुख का लड़ा था। वर्ष 1992 में उत्तर प्रदेश जनतादल (अ) के महासचिव बने व पश्चिमी उप्र के संगठन प्रभारी रहे। उन्होंने जनतादल से ही 1993 का विधान सभा चुनाव लड़ा। फरवरी 1994 में समाजबादी पाटी में शामिल हुए और सपा के महामंत्री बने। इसके बाद सपा से ही 1996 व फरवरी 2002 का विधान सभा चुनाव सपा से लड़ा और भारी बहुमत से चुनाव जीता। इसके बाद 2003 में उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री बने। उद्योग, निर्यात प्रोत्साहन, कपड़ा, हथकरघा, रेशम, आदि कई प्रमुख विभागों का दायित्व संभाला।
झांसी मंण्डल के प्रभारी मंत्री बने, 2004 के लोक सभा चुनाव में प्रथम बार वहां से सांसद बने। उत्तराखण्ड के संगठन प्रभारी हुए क्षेत्र में पार्टी की स्थिति मजबूत की व हरिद्वार लोक सभा सीट भी जीती। गाजियाबाद विधान सभा क्षेत्र के उप चुनाव में प्रभारी रहे तथा भारी बहुमत से सपा प्रत्याशी सुरेन्द्र मुन्नी को चुनाव जितवाया। सन् 2007 का विधान सभा चुनाव लड़ा। मई 2009 में सहारनपुर लोक सभा क्षेत्र से बसपा टिकट पर चुनाव लड़ा तथा भारी बहुमत से जीत भी। फरवरी 2010 में बसपा के क्षत्रिय भाईचारा कमेटी के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संयोजक रहे। 2011 में सहारनपुर में पहली बार सहकारी संस्थाओं के पदों पर बसपा के प्रत्याशियों को जीत का स्वाद चखवाया। ऐसा पहली बार था कि जब जिले के सभी ब्लाक प्रमुख बसपा के थे। इतना ही बसपा का एमएलसी व जिला पंचायत अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए। वर्ष 2009 से 2014 तक सांसद रहे। वर्ष 2016 में वह भाजपा में शामिल हुए। अंतिम समय तक भाजपा में ही रहे।
छोटे भाई हैं बसपा से विधायक
मार्च, 2012 में मुजफ्फराबाद विधान सभा सीट जो अब बेहट के नाम से है, वहां पर अपने छोटे भाई को चुनाव लड़वाया, जो वर्तमान में बेहट विधान सभा क्षेत्र से बसपा के विधायक हैं।