इस मदरसे में तलबा पढ़ते हैं चारों वेद, गीता और श्रीरामचरित मानस
लोकसभा चुनाव के दौरान जहां कुछ नेताओं ने हिन्दू-मुस्लिमों में दरार डालने की कोशिश की, वहीं सहारनपुर में चिलकाना रोड स्थित मदरसा जामिया मजाहिर उलूम देशभर में गंगा-जमुनी संस्कृति की पताका फहरा रहा है।...
लोकसभा चुनाव के दौरान जहां कुछ नेताओं ने हिन्दू-मुस्लिमों में दरार डालने की कोशिश की, वहीं सहारनपुर में चिलकाना रोड स्थित मदरसा जामिया मजाहिर उलूम देशभर में गंगा-जमुनी संस्कृति की पताका फहरा रहा है। इस्लामिक शिक्षा के लिए देश-विदेश में मशहूर इस मदरसे के पुस्तकालय में चारों वेद, गीता और श्रीराम चरितमानस का इल्म तो छात्र लेते ही हैं, वहीं 194 साल पुरानी स्कंद पुराण जैसा महान ग्रंथ भी खासे करीने से रखा हुआ है।
सहारनपुर इस्लामिक शिक्षा का खासा बड़ा केन्द्र हैं। दारुल उलूम के बाद दूसरे नंबर पर गिना जाने वाला मदरसा जामिया मजाहिर उलूम की स्थापना 152 साल पहले वर्ष 1866 में हुई थी। मौलाना फरीद इस मदरसे के मौलवी हैं।
मदरसे की खास बात यह है कि इसके पुस्तकालय में इस्लामिक शिक्षा की करीब डेढ़ लाख किताबों के साथ ही यहां के छात्र चारों वेद और गीता की पुस्तक पढ़कर हिन्दू धर्म के बारे में जानकारी हासिल करते हैं। मदरसे के पुस्तकालय में बाकायदा ऋग वेद, अथर्व वेद, साम वेद, यजुर्वेद खासी तवज्जों से रखे गए हैं, वहीं गीता और 194 साल पुरानी दुर्लभ स्कंद पुराण शीशे के केस में रखी हुई है। इसके अलावा, श्रीराम चरित मानस ग्रंथ भी मौजूद है। ऑक्सफोर्ड के शब्द कोष के साथ ही फारसी जुबान में हस्त लिखित कुरान शरीफ समेत काफी ऐतिहासिक पुस्तकें भी रखी हुई हैं।
मौलाना शाहिद हैं संचालक
मदरसे को चलाने के लिए एक प्रबंध समिति बनी हुई है। उसके सचिव मौलाना शाहिद हैं, जो कि पूरा प्रबंधन देखते हैं।
2300 तलबा ले रहे हैं शिक्षा
प्राचीन मदरसे में देश के कोने-कोने से 2300 तलबा शिक्षा ले रहे हैं। यहां पर तालीम के साथ ही सभी संप्रदाय के लोगों के साथ मिल-जुलकर रहने की भी नसीहत दी जाती है।
की-बोर्ड पर चलती हैं तलबा की अंगुलियां
भले ही मदरसा 152 साल पुराना हो, लेकिन बदलते दौर में खुद को भी बदल भी रहा है। यहां पर काफी छात्र कंप्यूटर की शिक्षा ले रहे हैं। नए जमाने के साथ कदम से कदम मिलाने को तैयार हो रहे हैं।
मौलाना मजहर हसन और खलील अहमद ने कराई थी स्थापना
मौलाना फरीद ने बताया कि मदरसे की स्थापना वर्ष 1866 में इस्लामिक विद्वान मौलाना मजहर हसन नानौती और मौलाना खलील अहमद ने की थी। तभी से बगैर किसी सरकारी इमदाद के यह मदरसा तालीम का प्रमुख केन्द्र बना हुआ है।
हिन्दू भी देते हैं इमदाद
खास बात यह है कि मदरसा संचालन के लिए जहां मुस्लिम लोग इमदाद देते हैं, वहीं हिन्दू भी पीछे नहीं हैं। मदरसा के मौलाना फरीद ने बताया कि काफी संख्या में हिन्दू भी मदरसा संचालन के धन दान देते हैं।
मदरसे में आ चुके हैं बड़े नेता
मदरसे में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह, पूर्व राज्यपाल रोमेश भंडारी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, सांसद अमर सिंह और शिवपाल आदि कई नेता शिरकत कर चुके हैं। वहीं देश-विदेश के धर्म गुरु भी आकर छात्रों को इल्म का ज्ञान देते हैं।
मदरसे के पुस्तकालय में 194 साल पुरानी ऐतिहासिक स्कंद पुराण, चारों वेद, गीता और श्रीराम चरितमानस का पवित्र ग्रंथ मौजूद है। समय-समय पर छात्र इन्हें पढ़कर अपना ज्ञान अर्जन करते हैं। मदरसे में सभी को गंगा-जमुनी तहजीब का संदेश दिया जाता है।
-मौलवी फरीद, मदरसा जामिया मजाहिर उलूम