हाल-ए-कारोबार : लॉकडाउन के चलते ईद की तैयारियां प्रभावित
माह-रमजान के 27 रोजे पूरे होने के बाद अब ईद द्वार पर खड़ी है, लेकिन लॉकडाउन के चलते इस वर्ष भी ईद की तैयारियों पर कोरोना के ग्रहण का असर दिख रहा है।...
देवबंद। माह-रमजान के 27 रोजे पूरे होने के बाद अब ईद द्वार पर खड़ी है, लेकिन लॉकडाउन के चलते इस वर्ष भी ईद की तैयारियों पर कोरोना के ग्रहण का असर दिख रहा है। जिससे करोड़ों रुपये का कारोबार प्रभावित हो रहा है।
तीन मई से लगे लॉकडाउन का असर ईद की तैयारियों पर साफ दिखाई दे रहा है। बाजार बंद होने के चलते ईद की खरीदारी नाममात्र की ही हो सकी, जिसका नुकसान व्यापारियों को भी हो रहा है। तीन मई को लॉकडाउन की घोषणा के बाद से बाजार पूरी तरह बंद हैं। जहां कपडे़ की दुकानें हो या चूड़ी की दुकानों हो सब अभी तक बंद है। जिन जूता व्यापारियों ने ईद के अवसर पर रोजेदारों द्वारा नए जूते की खरीदारी को स्टॉक मंगाया था वह स्टॉक भी लॉक डाउन के चलते अभी तक नहीं पहुंच पाया है। टेलर्स के यहां सिलने को गया कपड़ा भी बंद दुकानों में ज्यूं का त्यूं पड़ा है। जबकि रेडीमेड गारमेंट्स खुल ही नहीं रहे हैं। यदि इक्का-दुक्का व्यापारी दुकानें खोल भी रहे हैं तो पुलिस बाजारों में पहुंच उनके भारी भरकम चालान काट रही है। जिससे भयभीत व्यापारी अपने प्रतिष्ठान नहीं खोल रहे है।
रेडीमेड गारमेंट संचालक अमन भसीन, मोहम्मद रियाज सहित अन्य संचालकों ने बताया कि रमजान के आखरी सप्ताह में भारी भरकम खरीदारी होती है, जिसके चलते उन्होंने खासा माल मंगाया था, लेकिन लॉकडाउन के चलते सब ज्यूं का त्यूं पड़ा रह गया है। वहीं चूड़ी विक्रेता यासीन, रहमान और मतीन ने बताया कि नया माल दुकानों में पड़ा है और दुकानें बंद होने से माह-ए-रमजान में होने वाली उनकी बिक्री प्रभावित हो गई है। टेलर्स का कार्य करने वाले शब्बू, रियाज और खुर्रम ने बताया कि रमजान के पहले दस दिनों में जो कार्य हुआ था वह भी अभी तक दुकानों में बंद पड़ा है। उनके मुताबिक यदि प्रशासन कुछ ढ़ील दे तो जितना कपड़ा सिला रखा है उसके ही पैसे आ जाए तो कारीगिरों का भी भला हो सकता है।