मेडिकल कालेज के पूर्व प्रिंसिपल और चार डाक्टरों पर भी लटकी कार्रवाई की तलवार
स्टेशनरी घोटाले में राजकीय मेडिकल कालेज के पूर्व प्रिंसिपल डा. अरविन्द कुमार त्रिवेदी समेत परचेज कमेटी में शामिल चार डाक्टरों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई...

स्टेशनरी घोटाले में राजकीय मेडिकल कालेज के पूर्व प्रिंसिपल डा. अरविन्द कुमार त्रिवेदी समेत परचेज कमेटी में शामिल चार डाक्टरों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। कमिश्नर ने शासन को सभी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई को लिखा है। डा. त्रिवेदी फिलहाल मेरठ मेडीकल कालेज में तैनात हैं। उधर कमिश्नर की जांच रिपोर्ट के बाद पूरे दिन मेडीकल कालेज में खलबली का आलम रहा।
गौरतलब है कि सहारनपुर स्थित शेखुल हिन्द मौलाना महमूद हसन राजकीय मेडिकल कालेज सरसावा में नवंबर 2018 को करीब 51 लाख रुपए की स्टेशनरी और कंटीजेंसी का सामान खरीदने के आदेश हुए थे। इसके लिए एक कंपनी को टेंडर दे दिए गए। हैरत की बात तो यह है कि बाजार में जिस बड़े लिफाफे की कीमत दस रुपए थी, उसे 246 रुपए में खरीदा गया। छोटे लिफाफे जिसकी कीमत बाजार में महज पांच रुपए हो सकती थी, उसको भी 123 रुपए में खरीदा गया।
इस मामले में कमिश्नर संजय कुमार ने एडीएम प्रशासन एसबी सिंह, एडीशनल कमिश्नर डीपी सिंह, एक एसडीएम और एक वित्त विभाग के अधिकारी की संयुक्त जांच कमेटी बनाई थी। कमेटी ने बुधवार को जांच रिपोर्ट कमिश्नर को सौंप दी। इसके बाद दो संविदा लिपिक जिग्नेश और फैजान को बर्खास्त के आदेश जारी कर दिए गए। जबकि मेडिकल कालेज में तैनात स्टेनो संजय कुमार और पटल लिपिक अतुल कुमार के खिलाफ निलंबन की संस्तुति कर दी गई। मेडिकल कालेज के पूर्व फाइनेंस कंट्रोलर अनिल कुमार राय के खिलाफ भी कार्रवाई को शासन को लिखा गया है।
चार डाक्टर थे कमेटी के सदस्य
परचेज कमेटी में शामिल चार डाक्टरों पर भी जांच की आंच पहंुच गई है। परचेज कमेेटी में इसमें डा.मेनपाल, डा.मनोज कुमार आर्य, डा.पंकज कुमार और डा. विपुलचंद्र कलिता इसके सदस्य बनाए गए थे।
पहले ही कर चुके हैं कार्रवाई-डा. त्रिवेदी
मेडीकल कालेज के पूर्व प्रिंसीपल डा. अरविंद कुमार त्रिवेदी ने बताया कि स्टेशनरी खरीद प्रकरण में वह पहले ही जांच कराकर दोषियों को दंडित कर चुके हैं। इस मामले में दोषी पाए जाने पर चार लिपिकों को पटल बदले थे। जैसे ही उनके संज्ञान में आया तो उन्होंने तुरंत ही ठेका लेने वाली कंपनी का भुगतान रोक दिया था।
उन्होंने कहा कि पूल टेंडर के हिसाब से ठेकेदार ठेका लेने में सफल रहा था। जैसे ही इसकी पता चला तो उन्होंने भुगतान रोक दिया था। जब वह पहले ही कार्रवाई कर चुके हैं तो फिर दूसरी जांच और उसके साथ ही उनके खिलाफ शासन को लिखे जाने का कोई औचित्य नहीं बनता। इस प्रकरण को एक बार फिर उठाने के पीछे एक अहम सीट को कब्जाने के लिए दो गुटों की लड़ाई को जिम्मेदार बताया।
वर्जन
स्टेशनरी घोटाले में मेडिकल कालेज के पूर्व प्राचार्य के साथ ही परचेज कमेटी के सदस्यों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई को शासन को लिखा गया है। किसी भी सूरत में मेडिकल कालेज जैसी जनता से सीधी जुड़ी संस्था में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
-संजय कुमार, कमिश्नर
