पंचायत चुनाव में विकास के मुद्दे हवा, जातीय समीकरणों का जोड़तोड़ शुरू
गांव-गांव में पंचायत चुनाव का शोर सुनाई दे रहा है। पंचायत चुनाव में विकास के मुद्दे हवा हवाई ही साबित हो रहे हैं। जातीय समीकरणों की जोड़तोड़ के आधार...
गांव-गांव में पंचायत चुनाव का शोर सुनाई दे रहा है। पंचायत चुनाव में विकास के मुद्दे हवा हवाई ही साबित हो रहे हैं। जातीय समीकरणों की जोड़तोड़ के आधार पर ही चुनाव का गणित तय किया जा रहा है। इसके साथ ही गांव में अपने संबंधों के आधार पर भी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
कुछ समय पहले तक गांव में विकास की बात की जा रही थी। ऐसे ही प्रत्याशी को वोट देने के दावे किए जा रहे थे जो गांव का विकास कर सके। लेकिन, धीरे-धीरे जैसे जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है तो विकास के मुद्दे हवा हवाई साबित हो रहे हैं। अब केवल गांव की राजनीति में जातीय समीकरण की तय किए जा रहे हैं। उन्हीं समीकरणों के आधार पर प्रत्याशियों को वजूद तय किया जा रहा है। प्रत्याशी भी इन्हीं जातीय मुद्दों को लेकर चुनाव में ताल ठोक रहे हैं। उधर, वोटर का भी विकास के मुद्दे से कोई लेना देना नहीं रहा है। वोटर भी प्रत्याशी के साथ उनके परिवार और जाति के कितने लोग हैं इसी का आंकलन करने में जुटे हैं।