फतवो के प्रकाशन पर दारुल उलूम ने अपनाया कड़ा रुख
दारुल उलूम के फतवे बिना इजाजत संस्था के पोर्टल से उठा मीडिया में प्रकाशित किए जाने पर मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की...
दारुल उलूम के फतवे बिना इजाजत संस्था के पोर्टल से उठा मीडिया में प्रकाशित किए जाने पर मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। उन्होंने फतवों के प्रकाशन को कॉपीराइट नियम का उल्लंघन बताते हुए कहा कि फतवे को प्रकाशित करने के आरोप में कानूनी कार्रवाई कराई जाएगी। अपने फतवों के लिए विश्व में विशिष्ट स्थान रखने वाले इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम के ऑनलाइन फतवे आए दिन मीडिया की सुर्खियां बनने पर संस्था के मोहतमिम ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। दारुल उलूम मोहतमिम ने कहा कि आधुनिकता के नाम पर फतवों पर टीवी पर बहस करने वाले चैनल इस्लाम और शरीयत में खुली दखलअंदाजी कर रहे हैं। जिसके चलते दारुल उलूम ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए इंटरनेट वेबसाइट पर सुप्रीम कोर्ट की रुलिंग के साथ नियमों का पालन करने का आह्वान किया है। वेबसाइट पर डाले गए नियम के अनुसार अब बिना लिखित अनुमति के दारुल उलूम की वेबसाइट के फतवों या डाटा को प्रकाशित नहीं किया जा सकेगा। यदि कोई इसका उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ आईटी एक्ट व कॉपीराइट अधिनियम के तहत कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। नियमों में दारुल उलूम ने साफ कहा कि मीडिया उनके फतवों को गलत तरीके से पेश कर शरीयत के खिलाफ माहौल बनाने को उकसा रही है। जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कराई जाएगी।
संस्था कार्रवाई को है स्वतंत्र: मोहतमिम नोमानी। दारुल उलूम मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने आए दिन प्रिंट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया में संस्था के फतवों को लेकर बहस करा शरीयत का मखौल उड़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जानकारी में आया है कि बहस के दौरान ऐसे लोग मौजूद होते हैं जो शरीयत के माहिर भी नहीं होते। उन्होंने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट की रुलिंग का हवाला देते हुए कहा कि संस्था से जारी फतवे सिर्फ उन्ही लोगों के लिए होते हैं जिन्होंने अपनी जरूरत के लिए शरई जानकारी हासिल की हो। उन्होंने कहा कि हर आदमी का सवाल उसकी जरूरत के लिए होता है और उसी के हवाले से शरई जानकारी उसे दी जाती है। मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि संस्था के फतवे कॉपीराइट अधिनियम के तहत आते हैं और बिना लिखित इजाजत उनका इस्तेमाल करना गलत है, जिसके लिए संस्था कार्रवाई को स्वतंत्र है।