कमिश्नर व डीआईजी के फोन पर तहसील दिवसों में प्राप्त शिकायतों के निस्तारण की गुणवत्ता की पोल खुल गई है। करीब एक दर्जन शिकायतों का निस्तारण जांच में झूठा पाया गया है। जी हां, अधिकारी-कर्मचारी अपनी रिपोर्ट में गुणवत्ताप्रद निस्तारण कर देने की बात कह रहे है जबकि कई शिकायतकर्ता कह रहे कि उनके यहां गांव में कोई आया ही नहीं है, निस्तारण तो दूर की बात है।
इससे नाराज कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने डीएम, एडीएम व एसडीएम को निस्तारित शिकायतों की औचक जांच का कोटा तय कर दिया है। कहा कि तहसील/थाना दिवसों में प्राप्त शिकायतो में डीएम 2 प्रतिशत, एडीएम 10 व एसडीएम 30 प्रतिशत निस्तारण की औचक आधार पर जांच करें। खास है कि कमिश्नर दीपक अग्रवाल व एडीएम प्रशासन एसके दूबे द्वारा 3 अक्तूबर के नकुड़ के तहसील दिवस की 6-6 शिकायतों के निस्तारण की फोन पर औचक जांच की तो निस्तारण एकदम निम्न स्तर का पाया गया। और तो और, निस्तारण रिपोर्ट की एसडीएम व तहसीलदार स्तर पर अवलोकन/समीक्षा तक नहीं की जा रही है तो कई निस्तारण जांच में झूठे पाए गए है। मसलन गंगोह थाने वजीरपुर गांव के चंद्रभान ने बीराखेडी में अवैध कब्जों की तीन शिकायतें की। तीनों शिकायतों में कब्जा हटवाएं जाने की रिपोर्ट दी गई लेकिन शिकायतकर्ता ने बताया कि गांव में कोई कर्मचारी आया तक नहीं, कब्जा हटाना तो दूर की बात है। जैनपुर के स्कूली विद्यार्थियों द्वारा सड़क किनारे गोबर कुर्डियों की शिकायत की तो बीडीओ ने कुरडी हटवा दिए जाने की रिपोर्ट दे रखी है जबकि शिकायतकर्ताओं ने बताया कि मौके पर कोई कर्मचारी तक नहीं आया है। फतेहचंदपुर में भी यही मामला था। सांगाठेड़ा गांव के प्रेम ने शौचालय की शिकायत की तो बीडीओ ने यह कहकर निस्तारित कर दिया कि शिकायतकर्ता के शौचालय बनाने का पैसा नहीं है, इसलिए इन्हें शौचालय नहीं दिया जा सकता है। नकुड़ के अरून धनगर ने शिकायत की कि पालिका के तालाब परअवैध कब्जें कर रखे है लेकिन बीडीओ ने कोई कब्जा न होने की रिपोर्ट दी है जबकि शिकायतकर्ता कब्जें होने की बात कह रहा है। इसी तरह एक दर्जन शिकायतों का निस्तारण जांच में झूठा पाया गया है।