बोले सहारनपुर : पारसपुरम कॉलोनी को चाहिए सुविधाओं की ‘चमक
संक्षेप: Saharanpur News - पारसपुरम कॉलोनी में पिछले दो दशकों से बुनियादी सुविधाओं की कमी है। निवासी जल निकासी, सफाई, सीवर लाइन, खराब सड़कें और स्ट्रीट लाइट जैसी समस्याओं से परेशान हैं। बारिश के दिनों में जलभराव और गंदगी के...

नगर निगम क्षेत्र की पारसपुरम कॉलोनी पिछले दो दशकों से बसी हुई है। लगभग 1500 की आबादी वाली यह कॉलोनी वार्ड नंबर 38 में आती है। समय के साथ यहां आबादी बढ़ी, मकान बने, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की कमी आज भी कॉलोनीवासियों को परेशान कर रही है। लोगों का कहना है कि पानी की निकासी, सफाई व्यवस्था, सीवर लाइन, खराब सड़कें और स्ट्रीट लाइट जैसी बुनियादी समस्याएं आज भी जस की तस हैं। वहीं, कॉलोनी में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से भी लोग भयभीत हैं। पारसपुरम कॉलोनी की सबसे गंभीर और पुरानी समस्या पानी की निकासी की है। बरसात के दिनों में यहां की गलियां नालों में तब्दील हो जाती हैं।
गली-मोहल्लों में पानी कई-कई दिनों तक भरा रहता है, जिससे लोगों का सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। कई बार तो यह स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि लोगों को घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता है। यह पानी न केवल राहगीरों को परेशानी में डालता है, बल्कि बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी बड़ी समस्या बन जाता है। कॉलोनी की अधिकांश गलियों में आज तक पक्की नालियां नहीं बनाई गईं। जहां नालियां हैं भी, वहां उनकी सफाई महीनों तक नहीं होती। इससे बरसात के दौरान नालियां ओवरफ्लो हो जाती हैं और गंदा पानी सड़कों पर फैल जाता है। जलभराव के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है, जिससे डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा मंडराने लगता है। कई बार लोगों को कीचड़ और बदबू के बीच से होकर गुजरना पड़ता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय रहते जल निकासी की व्यवस्था नहीं की गई तो आने वाले वर्षों में स्थिति और भयावह हो सकती है। उन्होंने नगर निगम से मांग की है कि कॉलोनी में पक्के नाले बनाए जाएं और उनकी नियमित सफाई का प्रबंध हो। साथ ही यह भी जरूरी है कि नालों की ऊंचाई सड़कों से नीचे रखी जाए, ताकि बरसात का पानी आसानी से बह सके। जिन गलियों में जलभराव की स्थिति अधिक गंभीर है, वहां तत्काल सुधार कार्य कराए जाएं। कॉलोनीवासियों का कहना है कि यदि नगर निगम इस दिशा में ठोस कदम उठाए, तो बरसाती जलभराव और उससे होने वाली बीमारियों की समस्या से उन्हें राहत मिल सकती है। पारसपुरम कॉलोनी के लोग नगर निगम से यह उम्मीद रखते हैं कि उनकी वर्षों पुरानी समस्याओं का जल्द समाधान किया जाएगा। नाले, सीवर, सड़कें, लाइटें और सफाई जैसी बुनियादी सुविधाएं हर नागरिक का अधिकार हैं। यदि जिम्मेदार विभाग इन समस्याओं को प्राथमिकता से हल करे, तो पारसपुरम कॉलोनी भी एक स्वच्छ, सुरक्षित और व्यवस्थित क्षेत्र बन सकती है। बदहाल सफाई व्यवस्था से लोग परेशान पारसपुरम कॉलोनी में सफाई व्यवस्था बेहद बदहाल स्थिति में है। कॉलोनी की गलियों और सड़कों पर जगह-जगह गंदगी और कूड़े के ढेर नजर आते हैं। कई जगह बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आई हैं, जिससे न केवल कॉलोनी की सुंदरता प्रभावित हो रही है, बल्कि सुरक्षा पर भी खतरा बना रहता है। अंधेरे और झाड़ियों के बीच अक्सर संदिग्ध लोगों की आवाजाही की आशंका बनी रहती है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि सफाईकर्मी कॉलोनी में कभी-कभार ही दिखाई देते हैं। नालियों की नियमित सफाई नहीं होती, जिसके कारण उनमें गंदा पानी और कचरा जमा रहता है। घरों से निकलने वाला कूड़ा भी समय पर नहीं उठाया जाता, जिससे दुर्गंध फैलती है और मच्छरों का प्रकोप बढ़ता है। बरसात के दिनों में यह स्थिति और अधिक गंभीर हो जाती है, जब गली-मोहल्लों में गंदा पानी भर जाता है और लोगों का निकलना मुश्किल हो जाता है। निवासियों का सुझाव है कि सफाई व्यवस्था में सुधार के लिए सफाईकर्मियों की जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से तय की जाए। यदि कोई सफाईकर्मी नियमित रूप से कार्य नहीं करता, तो उसके विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। इसके साथ ही हर गली में कूड़ेदान रखे जाएं, ताकि लोग सड़कों पर कूड़ा न फेंकें। कॉलोनीवासियों का मानना है कि यदि नगर निगम इस दिशा में ठोस कदम उठाए, तो कॉलोनी की गंदगी और मच्छर जनित बीमारियों से राहत मिल सकती है। सीवर के अभाव में गलियों में भरता है गंदा पानी कॉलोनी में अब तक सीवर लाइन नहीं बिछाई गई है। सभी घरों का गंदा पानी नालियों या खुले स्थानों में बहता है। इससे बदबू और गंदगी फैलती है। लोगों को खुद अपने खर्चे पर सोख्ता गड्ढे बनवाने पड़ते हैं, जो कुछ वर्षों में भर जाते हैं और बड़ी समस्या खड़ी कर देते हैं। स्थानीय लोगों की मांग है कि नगर निगम कॉलोनी में जल्द से जल्द सीवर लाइन डाले ताकि गंदगी से निजात मिल सके। साथ ही, सीवर लाइन डालने के बाद उसकी नियमित सफाई और रखरखाव की भी व्यवस्था होनी चाहिए। खराब स्ट्रीट लाइटों से गलियां रहती हैं अंधेरे में कॉलोनी में स्ट्रीट लाइटें तो लगी हैं, लेकिन ज्यादातर समय वे खराब रहती हैं। रात के समय गलियां अंधेरे में डूबी रहती हैं, जिससे चोरी और असामाजिक गतिविधियों का खतरा बढ़ जाता है। खासकर महिलाओं और बुजुर्गों को रात में बाहर निकलने में डर लगता है। निवासियों ने बताया कि कई बार नगर निगम को शिकायत दी गई, पर समस्या का स्थायी समाधान नहीं हुआ। सुझाव है कि कॉलोनी की सभी स्ट्रीट लाइटों का सर्वे कराकर खराब लाइटें बदली जाएं। साथ ही, बिजली विभाग द्वारा हर महीने उनका निरीक्षण किया जाए ताकि वे चालू स्थिति में बनी रहें। आवारा कुत्तों से बुजुर्गों और बच्चों में भय कॉलोनी में आवारा कुत्तों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। झुंड बनाकर घूमने वाले ये कुत्ते बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरा बन गए हैं। कई बार कुत्तों के काटने की घटनाएं भी हो चुकी हैं। लोग डर के कारण सुबह-शाम टहलने से कतराते हैं। निवासियों ने नगर निगम से मांग की है कि कुत्तों की पकड़ अभियान नियमित रूप से चलाया जाए और उन्हें नसबंदी केंद्रों तक पहुंचाया जाए, ताकि उनकी संख्या पर नियंत्रण हो सके। समस्याएं -कॉलोनी में पानी की निकासी की समस्या है -कॉलोनी में सफाई व्यवस्था की स्थिति काफी खराब है -सीवर की सुविधा नहीं है -स्ट्रीट लाइट अक्सर खराब रहती हैं -कॉलोनी में आवारा कुत्तों की संख्या काफी बढ़ गई है सुझाव -पानी की निकासी के लिए नाले व नालियों का निर्माण कराया जाए -सफाई व्यवस्था में सुधार के लिए सफाईकर्मियों की जवाबदेही तय की जाए -सीवर की लाइन बिछाई जाए -खराब स्ट्रीट लाइट सही कराई जाएं -आवारा कुत्तों की संख्या पर अंकुश लगाया जाए प्रतिक्रियाएं बरसात के दिनों में हमारी गली में पानी भर जाता है। कई बार तो घरों के अंदर तक पानी घुस आता है। बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी होती है। नगर निगम को जल निकासी की पक्की व्यवस्था करनी चाहिए। अरुण कुमार कॉलोनी में सफाई की स्थिति बहुत खराब है। नालियां महीनों तक नहीं साफ होतीं और बदबू से घरों में बैठना मुश्किल हो जाता है। सफाईकर्मियों की नियमित ड्यूटी तय की जानी चाहिए। नाथीराम हमारे इलाके में न तो सीवर लाइन है और न ही पानी निकासी की कोई सही व्यवस्था। गंदा पानी गलियों में बहता रहता है। सीवर लाइन डाली जाए ताकि सफाई और स्वच्छता बनी रहे। सरोज धीमान स्ट्रीट लाइटें अक्सर खराब रहती हैं। रात के समय पूरा इलाका अंधेरे में रहता है। इससे चोरी और असामाजिक गतिविधियों का डर रहता है। प्रशासन को नियमित रूप से लाइटों का निरीक्षण कराना चाहिए। राजकुमार आवारा कुत्तों की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है। बच्चों को खेलने के लिए बाहर भेजने में डर लगता है। नगर निगम को नियमित पकड़ अभियान चलाना चाहिए ताकि लोगों को राहत मिले। पूनम बरसात के मौसम में जलभराव से सबसे ज्यादा दिक्कत महिलाओं को होती है। कपड़े धोने और घर के कामों में परेशानी आती है। अगर पक्के नाले बन जाएं तो यह समस्या काफी हद तक खत्म हो सकती है। ज्योति कॉलोनी में सफाई और जल निकासी की कमी से मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। स्कूल जाने वाले बच्चों को बीमारियों का खतरा रहता है। नगर निगम को सफाई और फॉगिंग की व्यवस्था करनी चाहिए। रश्मि कांबोज हमारी सड़कों की हालत काफी खराब है। कई जगह गड्ढे बने हुए हैं और जलभराव के बाद कीचड़ फैल जाती है। सड़कों की मरम्मत कराई जाए और पक्की सड़कें बनाई जाएं। गौरव कुमार रात को बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। अंधेरा और कुत्तों की डरावनी आवाजें माहौल को असुरक्षित बनाती हैं। नगर निगम और बिजली विभाग को मिलकर कॉलोनी को रोशन और सुरक्षित बनाना चाहिए। निर्मला गली में पानी भरने के कारण स्कूल आने-जाने में बहुत परेशानी होती है। जूते गीले हो जाते हैं और कई बार गिर भी जाते हैं। अगर नालियां बन जाएं तो बच्चों की दिक्कत काफी कम हो जाएगी। आदित्य कांबोज पानी की निकासी की समस्या के समाधान के लिए नालियों का निर्माण कराया जाना है। इस बारे में नगरायुक्त को भी अवगत कराया गया है। आश्वासन मिला, जल्द ही समस्या का समाधान होगा अमित मित्तल (स्थानीय पार्षद) नगर निगम सभी कॉलोनियों की समस्याओं को प्राथमिकता से हल करने के लिए प्रतिबद्ध है। पारसपुरम कॉलोनी में भी चरणबद्ध तरीके से विकास कार्य होंगे। नागरिकों का सहयोग और सुझाव हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। डॉ. अजय कुमार (महापौर)

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