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ट्रांसमिशन का लाभांश बढ़ा, बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है 1000 करोड़ का भार

ट्रांसमिशन का लाभांश बढ़ा, बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है 1000 करोड़ का भार

संक्षेप: नियामक आयोग ने ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन और यूपीएसएलडीसी का वित्तीय वर्ष 2025-26 का टैरिफ जारी कर दिया है। ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन का लाभांश बढ़ गया है।ज्यादा लाभांश देने से पावर कॉरपोरेशन पर करीब 1000 करोड़ का बोझ आएगा। सकी वसूली उपभोक्ताओं से होगी।

Mon, 8 Sep 2025 09:38 PMYogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तान
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प्रदेश की ट्रांसमिशन लाइनों पर होने वाले खर्च का असर आने वाले वर्षों में बिजली दरों पर पड़ सकता है। सोमवार को राज्य विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2025-26 के लिए पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन और यूपीएसएलडीसी के टैरिफ जारी कर दिए। अब पावर कॉरपोरेशन ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन को दो से बढ़ाकर 14.5 प्रतिशत लाभांश देगा। इससे पावर कॉरपोरेशन पर तकरीबन 1000 करोड़ रुपये का बोझ आएगा। सूत्रों के मुताबिक कॉरपोरेशन पर पड़ने वाले इस बोझ का असर भविष्य में उपभोक्ताओं के बिजली बिल पर दिख सकता है।

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नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय सिंह द्वारा जारी टैरिफ आदेश में पावर कॉरपोरेशन को कुछ राहत भी दी गई है। अब ट्रांसमिशन का पूरा खर्च अकेले पावर कॉरपोरेशन नहीं उठाएगा। रेलवे और एनपीसीएल जैसी कंपनियों को भी ट्रांसमिशन पर आने वाले खर्च में साझेदार बनाया जाएगा। रेलवे करीब 438 मेगावॉट बिजली ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन के जरिए लेता है। एनपीसीएल 751 मेगावॉट बिजली लेता है। दोनों से ट्रांसमिशन का खर्च लेने से ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन को करीब 400 करोड़ रुपये की आमदनी हो सकती है।

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राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के मुताबिक दो प्रतिशत लाभांश लेने पर कॉरपोरेशन पर 247 करोड़ रुपये का बोझ आता था जबकि 14.5% लाभांश से 1797 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। कमाई और आमदनी में आए फर्क के बाद तकरीबन 1000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। उन्होंने कहा कि अब चूंकि ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन के पास ज्यादा रकम होगी तो 500 करोड़ तक के टैरिफ बेस कॉम्पिटेटिव बिडिंग (टीबीसीबी) प्रोजेक्ट को अनिवार्य रूप से पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन को ही दिए जाएं। इसके लिए कानून में बदलाव भी किया जाना चाहिए।

प्रति यूनिट के बजाए प्रति मेगावॉट पर होगी वसूली

जारी किए गए टैरिफ के मुताबिक ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन अब प्रति यूनिट के बजाय प्रति मेगावॉट प्रति माह टैरिफ वसूल करेगा। इससे ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन के पास कैश फ्लो बना रहेगा। ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन अब बिजली कंपनियों और भारतीय रेल से पावर ट्रांसमिशन 2,13,284 रुपये प्रति मेगावाट प्रति माह वसूलेगा। केवल ओपन एक्सेस कंज्यूमर ही 26 पैसा प्रति यूनिट की दर से भुगतान करेंगे। टीबीसीबी प्रोजेक्ट पर अब ओपेन एक्सेस उपभोक्ता भी अनुमन्य हो गए हैं।

एआरआर में 800 करोड़ की कटौती

ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ने नियामक आयोग को करीब 6,279 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) प्रस्ताव दिया था। इसमें लगभग 800 करोड़ की कटौती करते हुए 5442 करोड़ रुपये अनुमोदित किए गए हैं। वर्ष 2025-26 के लिए यूपीएसएलडीसी ने 776 रुपये प्रति मेगावॉट प्रति माह शुल्क की मांग की थी, जिस पर आयोग ने 678.09 रुपये प्रति मेगावॉट प्रति माह अनुमोदित किया है। साथ ही यूपीएसएलडीसी में नियुक्त कार्मिकों के कौशल विकास और सर्टिफिकेशन के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जाने का भी निर्णय लिया गया है।