रामपुर के शिशु सदन में मासूम की मौत, हड़कंप
राजकीय शिशु सदन में एक माह पहले ही आई नवजात बालिका की गुरुवार को उपचार के दौरान मौत हो गई। बताया जाता है कि वह प्रीमेच्योर थी और उसका वजन लगातार घट रहा था। फिलहाल डीएम ने इस मामले को गंभीरता से लेते...
राजकीय शिशु सदन में एक माह पहले ही आई नवजात बालिका की गुरुवार को उपचार के दौरान मौत हो गई। बताया जाता है कि वह प्रीमेच्योर थी और उसका वजन लगातार घट रहा था। फिलहाल डीएम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इस पूरे मामले की जांच सिटी मजिस्ट्रेट को सौंप दी है। साथ ही सीएमओ से भी इस प्रकरण की रिपोर्ट तलब की है।
राजकीय शिशु सदन में एक माह पहले बदायूं की चाइल्ड हैल्प लाइन के माध्यम से बालिका को लाया गया था। एक माह दस दिन की इस मासूम को शिशु सदन में ही स्नेहा नाम दिया गया था। उसकी हालत शुरू से ही नाजुक थी। जिस समय शिशु सदन में इस बालिका को लाया गया था उस वक्त उक्त बालिका का वजन 1.8 किलोग्राम था। वजन कम होने की वजह से उक्त बालिका का इलाज जिला अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ की निगरानी में चल रहा था। उसको इलाज के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया था। उपचार के दौरान स्नेहा की मौत हो गई।
डाक्टरों ने उसकी मौत की वजह बालिका का प्रीमेच्योर होना बताया गया है। वजन लगातार घटने की वजह से उसकी हालत खराब हो रही थी। शिशु सदन के अधीक्षक राकेश कुमार के मुताबिक हालत खराब होने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई। मामले की जानकारी मिलने के बाद जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह ने इस पूरे प्रकरण की जांच सिटी मजिस्ट्रेट को सौंप दी है। साथ ही इस मामले की रिपोर्ट मुख्य चिकित्साधिकारी से तलब की है। बताया कि लारवाही के एंगल से भी इसकी जांच कराई जाएगी। जांच में जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई होगी।
शिशु सदन में पहले भी हो चुकी हैं मौत, हुई थी कार्रवाई
रामपुर। राजकीय शिशु सदन में कुछ साल पहले भी बालिका की मौत हो चुकी है। सपा शासन में बालिका की मौत के बाद तत्कालीन नगर विकास मंत्री आजम खां ने मामले को गंभीरता से लिया था और मौका मुआयना किया था। मामला तूल पकड़ने के बाद सदन के अधीक्षक समेत कई लोगों पर गाज गिरी थी। उस वक्त भी सदन के बच्चों की देखभाल में लापरवाही सामने आई थी।