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मिसाल: किसी ने किडनी तो किसी ने लीवर देकर बचाई पिता की जान

बेटियां बेटों से कहीं भी कमतर नहीं है। कहीं-कहीं बेटों से बेहतर बेटियों के मजबूत उदाहरण सामने आते हैं। ऐसे ही मजबूत उदाहरणों की श्रृंखला में रामपुर...

मिसाल: किसी ने किडनी तो किसी ने लीवर देकर बचाई पिता की जान
हिन्दुस्तान टीम,रामपुरSat, 25 Sep 2021 07:50 PM
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रामपुर। मोहित सक्सेना

बेटियां बेटों से कहीं भी कमतर नहीं है। कहीं-कहीं बेटों से बेहतर बेटियों के मजबूत उदाहरण सामने आते हैं। ऐसे ही मजबूत उदाहरणों की श्रृंखला में रामपुर की दो बेटियों ने भी मिसाल पेश की है। एक ने किडनी देकर तो दूसरी ने लीवर का हिस्सा दान कर पिता की जान ही नहीं बचाई बल्कि एक अनूठी मिसाल पेश की है। डॉटर्स-डे पर इन अनूठी बेटियों और उनके पिताओं ने अपने अनुभव हिन्दुस्तान से साझा किए।

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शिल्पी अग्रवाल ने पिता को किडनी देकर बचाई जान

फोटो

सिविल लाइंस थाना क्षेत्र की कैलाश कॉलोनी निवासी आयकर अधिवक्ता अशोक अग्रवाल को साल 2008 में किडनी की समस्या हुई थी। परिजन उपचार के लिए पहले बरेली और बाद में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल ले गए। साल 2012 में चिकित्सकों ने अशोक अग्रवाल को किडनी ट्रांसप्लांट कराने के लिए कहा। डाक्टरों ने जीवन बचाने का यही आखिरी विकल्प बताया। परिवार के सदस्यों में से किसी की उम्र तो किसी की स्वास्थ्य संबंधी समस्या ने किडनी दान करने का रास्ता बंद कर दिया। ऐसे में बेटी शिल्पी अग्रवाल ने किडनी दान करने का फैसला लिया। नवंबर 2013 में शिल्पी ने अपनी एक किडनी देकर पिता को नया जीवन दिया। शिल्पी आज भी पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं और अब परिषदीय स्कूल में बतौर शिक्षिका का कार्य कर रही हैं। पिता अशोक अग्रवाल ने कहा कि उन्हें गर्व है कि ईश्वर ने उन्हें ऐसी बेटी दी, कामना है कि सभी अभिभावकों को ऐसी संतान मिले। मेरी बेटी ने साबित किया कि बेटियां बेटों से कम नहीं हैं। शिल्पी का कहना है कि बेटियां किसी से कम नहीं होती। बेटों से ज्यादा बेटियां अपना फर्ज अदा करने में सबसे आगे हैं। वह खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं।

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लीवर का एक हिस्सा देकर पिता की बचाई जान

फोटो

सिविल लाइंस स्थित जौहर रोड निवासी इंश्योरेंस कंपनी में डेवलपमेंट अधिकारी रह चुके हरीश कुमार को साल 2002 में लीवर की समस्या हुई थी। शुरुआत में चिकित्सकों के परामर्श से दवा व खानपान के परहेज से सुधार की कोशिश की। साल 2012 में चिकित्सकों ने परिजनों को बताया कि हरीश कुमार क्त्रोनिक लीवर सिरोसिस से पीड़ित हैं। लीवर ट्रांसप्लांट जरूरी है। परिवार के ज्यादातर सदस्य इसके लिए अनफिट साबित हुए। हालात देख साल 2013 में हरीश कुमार की छोटी बेटी प्रिया ने अपने लीवर का एक हिस्सा पिता के लिए ट्रांसप्लांट कराया। प्रिया अब लुधियाा में इंडियन बैंक में सहायक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। उनके पिता हरीश कुमार भी स्वस्थ हैं। वह कहते हैं कि उनके पास बेटे नहीं है। केवल दो बेटियां हैं। प्रिया उनमें छोटी हैं। उसने जो किया, शायद बेटा होता तो वह भी न कर पाता, दोनों बेटियों पर गर्व है। प्रिया को भी अपने पर गर्व है कि वह अपने पिता के काम आ सकीं।

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