जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने के दावें करें लेकिन, उन्हीं की सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे अफसरान...

रामपुर। विपिन कुमार शर्मा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने के दावें करें लेकिन, उन्हीं की सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे अफसरान जांच के नाम पर खेल कर रहे हैं। नतीजतन, जांच महीनों लटकी रहती है और यदि जांच में दोष साबित भी हो जाए तो कार्रवाई के बजाय पत्रावली दवा दी जाती है। ऐसे एक-दो नहीं रामपुर के तमाम मामले में हैं, जिसमें जांचोपरांत महीनों गुजर गए, कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में जहां एक ओर पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा, वहीं दूसरी ओर सरकार की भी छवि को दाग लगा रहा है। विपक्ष भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने के भाजपा के दावे को हवाई साबित करने में जुटा हुआ है।
चंद रोज पहले शाहबाद में समाधान दिवस के दौरान भाजपा नेता ने अधिकारियों के सामने घूसखोरी का आरोप लगाया था। उसकी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस मामले में जांच बैठा दी गई। तब भाजपा नेता ने आरोप लगाया था कि जांच के नाम पर सिर्फ घूसखोरी का खेल हो रहा है। भाजपा नेता के आरोपों को तब और बल मिल जाता है जब पूर्व में हुई जांचों में आज तक कोई कार्रवाई सामने नहीं आयी। जी हां, रामपुर में एक दो नहीं बल्कि कई ऐसे चर्चित मामले में हैं जिसे दबा दिया गया। हालांकि, हाईवे के चौड़ीकरण के घोटाले में बैठाई गई जांच के संबंध में डीएम रविंद्र कुमार मांदड़ का कहना है कि उन्होंने शासन को जांच से अवगत करा दिया है। संबंधित एडीएम को चार्जशीट दे दी गई है। बाबू को हटा दिया है। फर्जी एनकाउंटर प्रकरण में एसपी कहना है कि राजपत्रित्र अधिकारियों पर कार्रवाई शासन से होगी। डीआईजी के आदेशानुसार पुनर्विवेचना सीओ केमरी से करायी जा रही है। एल्कोहल कांड के मामले में जांच अधिकारी सीओ अरुण कुमार सिंह का कहना है कि सभी को आरोप पत्र दिया जा चुका है। लेकिन आरोपी बयान दर्ज नहीं करा रहे हैं। इस संबंध में रिपोर्ट भेजी जा चुकी है।
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केस-1
12 जून 2020 को शहजादनगर क्षेत्र से एसटीएफ ने एक टैंकर पकड़ा था, जिसमें करीब 25 हजार लीटर एक्स्ट्रा न्यूट्रल एल्कोहल था। रामपुर के इस चर्चित एल्कोहल प्रकरण में पुलिस की भूमिका संदिग्ध पायी गई थी, जिसकी डीआईजी बरेली ने जांच की। दिसंबर 2020 में आयी जांच रिपोर्ट में सीओ केमरी अशोक कुमार पांडेय तत्कालीन इंस्पेक्टर शहजादनगर सतेंद्र कुमार और तत्कालीन धमोरा चौकी प्रभारी अनुराग चौधरी समेत दर्जनभर पुलिस वाले दोषी पाए गए थे। जिसमें सीओ को तत्काल प्रभाव से रामपुर से हटाने व अन्य पर न्यूनतम से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई की संस्तुति की गई। लेकिन, आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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केस-2
वर्ष 2021 में मिलक कोतवाली पुलिस ने मुठभेड़ में शराब कारोबारी संजीव गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। जिसमें जमानत पर लौटे संजीव गुप्ता ने शासन में शिकायत की तो डीआईजी मुरादाबाद शलभ माथुर ने आरोपों की जांच की। जिसमें डीआईजी ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक शगुन गौतम समेत 30 से अधिक पुलिस कर्मियों को दोषी पाया। करीब तीन माह पूर्व डीआईजी मुरादाबाद ने जांच पूरी करने के बाद कार्रवाई की संस्तुति करते हुए अपर पुलिस महानिदेशक बरेली को रिपोर्ट भेज दी। लेकिन, कार्रवाई कोई नहीं हुई। अलवत्ता पुर्नविवेचना और शुरू कर दी गई। एसपी अशोक कुमार शुक्ला ने यह विवेचना सीओ केमरी को सौंपी है।
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केस-3
नवंबर 2021 में रामपुर में सीएम की सभा थी। इस दौरान एक महिला ने आत्मदाह की चेतावनी दी थी। कहा था कि पांच लाख की घूस लेकर तत्कालीन सीओ सिटी ने उसके साथ हुए गैंगरेप की रिपोर्ट दर्ज नहीं होने दी। घूस लेते हुए वीडियो अफसरों के संज्ञान में आया तो इस मामले में सीएम की सभा से पहले ही इंस्पेक्टर और अस्पताल संचालक पर एफआईआर दर्ज की गई और जांच शुरू कर दी। आनन फानन में एएसपी मुरादाबाद ने जांच में सीओ पर भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए, जिस पर दिसंबर 2021 में उन्हें निलंबित कर दिया गया। तब से आईजी कानपुर जांच कर रहे हैं लेकिन, विभागीय जांच आज तक पूरी नहीं हो पायी।
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केस-4
घूसखोरी के वीडियो वायरल प्रकरण में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पर भी गंभीर आरोप लगाए गए थे। वीडियो में सीओ और नकदी देने वाले की बातचीत में कई बार एसपी के नाम का जिक्र भी आया था। हालांकि, तत्कालीन एसपी शगुन गौतम ने खुद पर लगे सभी आरोप नकारते हुए साफ कहा था कि जांच में हकीकत सामने आ जाएगी। जिसके बाद आरटीआई एक्टिविस्ट दानिश खान ने एसपी शगुन गौतम पर केंद्रीय सतर्कता आयोग में शिकायत की, जिस पर साक्ष्य संकलन करते हुए आयोग ने केस दर्ज कर लिया। सामाजिक कार्यकर्ता दानिश खान ने बताया कि अभी तक इस केस में जांच तो दूर नोटिस तक जारी नहीं किया गया है।
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केस-5
उत्तराखंड सीमा से सटे रुद्रपुर-काठगोदाम मार्ग के चौड़ीकरण के लिए रामपुर जनपद के आठ गांवों की जमीन का अधिग्रहण प्रक्रियाधीन है। इसके लिए एनएचएआई की ओर से बीते छह सितंबर 2021 को डीएम को पत्र लिखकर जमीनों की खरीद-फरोख्त और श्रेणी बदले जाने पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था, लेकिन अधिकारियों ने साठगांठ कर रजिस्ट्री भी जारी रखी और भूमि की श्रेणी भी बदल डाली। ऐसा करने से प्रोजेक्ट का बजट बढ़ गया। डीएम ने जांच करायी तो सरकार को 50 करोड़ से ज्यादा की चपत लगाने की साजिश का राजफाश हो गया। जिसके बाद एडीएम को रामपुर से हटा दिया गया लेकिन, कार्रवाई कोई नहीं हुई। हालांकि, उन्हें शासन से आरोप पत्र दे दिया गया है।
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केस-6
हाईवे चौड़करण के नाम पर करोड़ों के घोटाले की कोशिश का भंडाफोड़ होने के बाद एक और बड़ा राजफाश हुआ था। कलेक्ट्रेट में जो कर्मचारी मुआवजा वितरण संबंधित पटल को देखता था, वह न तो कलेक्ट्रेट का कर्मी था और न ही उसे कोई वेतन मिलता था। डीएम की मानें तो 2014 से बिना वेतन के यह कर्मी नौकरी कर रहा था। जिसकी विस्तृत जांच बैठाई गई। जुलाई माह में बैठाई गई इस जांच में उम्मीद थी कि कुछ और घोटाले सामने आ सकते हैं, जिनमें कई की गर्दन नपना तय है। लेकिन, पंद्रह दिन में पूरी होने वाली जांच आख्या महीनेभर बाद भी मुकम्मल नहीं हो सकी। लिहाजा, आरोपी पर कोई एक्शन नहीं लिया जा सका।
