नवाब की फौज ने लगा दिया था क्रांतिकारियों के कदमों पर ब्रेक!
1857 में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ ब्रिटिश सरकार ने नवाब रामपुर के प्रति कृतज्ञता जाहिर की, इनाम और सम्मानित किया। नवाब यूसुफ अली खां को भी इनाम मिले। रामपुर रियासत का महत्व और उसका रोल भी विवादित है।
ब्रिटिश सरकार के अत्याचार के खिलाफ भारत में पहली बार 1857 में क्रांति का बिगुल फूंका गया था, जिसे प्रथम स्वाधीनता संग्राम का नाम दिया गया था। लोग इस क्रांति को ‘गदर के नाम से भी जानते हैं। इस दौरान हजारों क्रंतिकारी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद हुए थे, लेकिन रामपुर रियासत से जुड़ा एक सच यह भी है कि ‘गदर में नवाब रामपुर ने बरतानिया हुकूमत की मदद की थी। हिन्दुस्तान की आजादी के लिए जब साल 1857 में पहला स्वतंत्रता संग्राम छिड़ा उस वक्त रामपुर रियासत में नवाब यूसुफ अली खां का शासन था। जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों की मदद की थी। प्रसिद्ध इतिहासकार और रामपुर रियासत के जानकार एडवोकेट शौकत अली खां ने अपनी किताब ‘रामपुर का इतिहास में जिक्र किया है कि 1857 की क्रांति में नवाब यूसुफ अली खां ने अंग्रेजों को बड़ी मदद और सुविधा प्रदान की थी। करीब 14 हजार क्रांतिकारी हिंदुस्तानियों की फौज के साथ जनरल बख्त खां नौ जून 1857 को दिल्ली जाने के लिए रामपुर के गणेशघाट आए थे और नवाब यूूसुफ अली खां से उनके युवराज को दिल्ली ले जाने की मांग की थी, लेकिन नवाब यूूसुफ अली खां ने मौलवी सरफराज अली के जरिये बख्त खां को समझाकर अपनी मांग छोड़ने के लिए राजी कर लिया था। इतना ही नहीं नवाब यूसुफ अली खां ने मुरादाबाद के विद्रोह को दबाने के लिए अपने चाचा अब्दुल अली खां को कुछ सैनिकों के साथ मुरादाबाद भेजा था।
सहयोग के लिए मिला था ईनाम
स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों की मदद के लिए उस वक्त भारत के वायसराय और गवर्नर जनरल लार्ड केनिंग ने फतेहगढ़ में आयोजित दरबार में 15 नवंबर 1859 को नवाब रामपुर के प्रति कृतज्ञता जाहिर करते हुए न सिर्फ गुणगान किया था। बल्कि उन्हें सम्मानित भी किया था।
इन इनामात से नवाजे गए थे नवाब यूसुफ
1861 में नवाब यूसुफ अली को फरजंदे दिलपजीर (प्रियतम पुत्र) की उपाधि, 20 हजार रुपये का शाही पोशाक, एक लाख 18 हजार पांच सौ 70 रुपये चार आने लगान के 149 गांव दिए थे। इसके साथ ही स्टार ऑफ इंडिया का पदक, 11 तोपों की सलामी की जगह 13 तोपों की सलामी मंजूर की गई थी।
तब बेहद महत्वपूर्ण थी रामपुर रियासत
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में भौगोलिक स्थिति के लिहाज से रामपुर रियासत काफी महत्वपूर्ण थी। क्योंकि रामपुर रियासत दिल्ली और लखनऊ के बीच स्थित थी और कौमी मामलों में विशेष महत्व प्राप्त था। इसके साथ ही संपर्क व संचार की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण था। इसलिए रामपुर रियासत से अंग्रेजों को मदद मिलने से काफी राहत मिली थी। ‘रामपुर का इतिहास पुस्तक में साफ लिखा है कि अगर 1857 की क्रांति में रामपुर रियासत का साथ अंग्रेजों को न मिलता तो रुहेलखंड में अंग्रेजों को सिर छुपाने की जगह न मिलती।
-ये बात 1857 की क्रांति है। ब्रिटिश गर्वनमेंट के खिलाफ विद्रोह हो रहा था। मुरादाबाद में भी विद्रोह हुआ था। तब उस दौरान रामपुर में नवाब यूसुफ खां का शासन था, उस विद्रोह में क्रांतिकारियों के बढ़ते कदम रोकने के लिए नवाब यूसुफ खां ने अंग्रेजों की मदद की थी।
-नफीस अहमद सिद्दीकी, इतिहासकार
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