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रामपुर में तो 17 शिक्षकों-शिक्षामित्रों की हो चुकी है मौत

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग कोरोना से हुई शिक्षकों की मौत को पंचायत चुनाव के दौरान हुई मौत नहीं मान रहा है। राज्‍य निर्वाचन आयोग की उपरोक्‍त...

रामपुर में तो 17 शिक्षकों-शिक्षामित्रों की हो चुकी है मौत
हिन्दुस्तान टीम,रामपुरWed, 19 May 2021 06:11 PM
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रामपुर। संवाददाता

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग कोरोना से हुई शिक्षकों की मौत को पंचायत चुनाव के दौरान हुई मौत नहीं मान रहा है। राज्‍य निर्वाचन आयोग की उपरोक्‍त गाइडलाइन के अनुसार, अभी तक तीन शिक्षकों की मृत्यु की प्रमाणित सूचना दी गई है। कोरोना से हुई शिक्षक और शिक्षक कर्मचारियों की मौत को पंचायत चुनाव ड्यूटी पर हुई मौत ने मानने से शिक्षक संगठनों में रोष है।

रामपुर जनपद में 15 अप्रैल को पंचायत चुनाव के लिए मतदान हुआ था। इससे पहले सात अप्रैल से चुनाव ड्यूटी के लिए प्रशिक्षण शुरू कर दिया गया था। मतदान होने के बाद से आज तक 15 परिषदीय शिक्षकों, तीन शिक्षामित्रों,बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के दो चपरासी और एक क्लर्क की कोरोना से मौत हो चुकी है। शिक्षकों शिक्षामित्रों और कर्मचारियों की मौत हुई है। उनके परिवार भी कोरोना से संक्रमित हुए हैं। जिससे शिक्षकों में दहशत का माहौल है। उत्तर प्रदेश के शिक्षक संगठनों ने पंचायत चुनाव के दौरान ड्यूटी करने वाले 1621 टीचरों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों और बेसिक शिक्षा विभाग के अन्य कर्मियों की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत मौत के दावा किया था।

कोरोना से मरे शिक्षक-शिक्षामित्रों और कर्मचारियों के आश्रितों को मिले नौकरी

शिक्षक संघ ने मृतक साथियों की सूची भेजने के साथ ही आठ मांगें रखी है।शिक्षकों ने मांग की है कि पंचायत चुनाव की ड्यूटी करने के बाद कोविड 19 के संक्रमण के कारण मरने वाले शिक्षकों को 2005 से पहले लागू पुरानी पेंशन दी जाए। इसके अलावा एक करोड़ मुआवजा, इनके परिवार में जो आश्रित डीएलएड या बीएड की योग्यता रखता है। उसे टीईटी से छूट देते हुए शिक्षक के पद पर तुरंत नियुक्ति दी जाए। साथ ही बाकियों को लिपिक के पद पर नियुक्त दी जाए।

बोले शिक्षक नेता: प्रशासन की लापरवाही से तमाम शिक्षकों को लील गया कोरोना

पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना संक्रमण चरम पर था। प्रशिक्षण, चुनाव ड्यूटी और मतदान केंद्रों पर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गई। कोरोना से चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को बचाने के लिए कोई पहल नहीं की गई। जिसके कारण तमाम शिक्षक और कर्मचारी कोरोना संक्रमण से मौत के मुंह में चले गए। शासन को चाहिए कि वह कोरोना से मरे शिक्षकों को उचित मुआवजा और परिजनों को नौकरी दे।

आनंद प्रकाश गुप्ता, जिला महामंत्री, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ

पंचायत चुनाव के दौरान ही शिक्षक और कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हुए हैं। शिक्षकों की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट समेत अन्य कागजात विभाग को भेज दिए गए हैं। लेकिन विभाग कोरोना से हुई मौत को पंचायत चुनाव के दौरान हुई मौत को मानने को तैयार नहीं है। यह कर्मचारी और शिक्षकों का उत्पीड़न है। सरकार को चाहिए कि वह कोरोना से मरे शिक्षकों और कर्मचारियों के परिजनों को राहत दे।

कैलाश पटेल, जिलाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश के प्राथमिक शिक्षक संघ

मृतकों को कोरोना योद्धा घोषित किया जाये।इनकी ग्रेच्युटी की धनराशि भी दी जाए।वहीं कोरोना संक्रमित शिक्षकों के इलाज में खर्च हुई धनराशि की प्रतिपूर्ति भी सरकार करे। पंचायत चुनाव के बाद कोरोना से मरे शिक्षकों के परिजनों को उचित मुआवजा और अन्य लाभ सरकार को देने चाहिए।

डॉ.राजवीर सिंह, जिलाध्यक्ष, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ

पंचायत चुनाव के बाद कोरोना से मरे शिक्षकों-कर्मचारियों के परिवारों चुनाव ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने के अनुसार आर्थिक मुआवजा दिया जाए। सरकार उनकी मांगों को जल्द स्वीकार करते हुए मृतक आश्रितों को मदद दे।

अंजुम स्नेही, जिला महामंत्री, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ

पंचायत चुनाव के दौरान कोविड-19 संक्रमण के कारण जिन शिक्षकों की मृत्यु हुई है। उनके परिजनों को सरकार पचास लाख की अनुग्रह राशि परिवार से एक व्यक्ति को नौकरी दें । राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ जनपद के दिवंगत शिक्षकों व कर्मचारियों के परिजनों की है कि लड़ाई के लिए संघर्ष करेगा ।

रवेन्द्र गंगवार, जिलाध्यक्ष,राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ

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