22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा।
तकरीबन 28 साल बाद रामलला टेंट से निकलकर 25 मार्च को फाइबर के मंदिर में शिफ्ट हुए। 5 अगस्त को राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम हुआ।
6 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई शुरू हुई और यह 40 दिनों तक चली। 9 नवंबर को पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली। मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश।
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर होने वाली सुनवाई जनवरी 2019 तक टाल दी।
मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने का सुझाव दिया। तत्कालीन चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने कहा है कि अगर दोनों पक्ष राजी हो तो वह कोर्ट के बाहर मध्यस्थता करने को तैयार हैं।
इस फैसले के खिलाफ 14 अपील दाखिल हुईं। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।
6 दिसंबर को वीएचपी, बीजेपी और शिवसेना समेत कई हिंदू संगठनो के कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। इसके बाद देशभर में हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिसमें 2000 से ज्यादा लोग मारे गए।
अयोध्या में पहली बार कारसेवा हुई, पुलिस फायरिंग में पांच कारसेवकों की मौत हो गई। राम मंदिर निर्माण के अभियान को तेज करने के लिए लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथ यात्रा शुरू की।
वीएचपी ने राम मंदिर निर्माण के लिए अभियान तेज किया और विवादित स्थल के पास राम मंदिर की नींव रखी गई। मुकदमे इलाहाबाद हाई कोर्ट शिफ्ट हो गए।
जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित मस्जिद के दरवाजे खोलने का आदेश दिया। मुसलमानों ने विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति का गठन किया।
विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत। इस अभियान में लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज भाजपा नेता भी शामिल हो गए।
यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित भूमि पर अधिकार मांगा और मूर्तियों को हटाने की मांग की।
तीसरे पक्ष की एंट्री हुई। निर्मोही अखाड़े ने जमीन का अधिकार मांगा।
फैजाबाद के सिविल कोर्ट में हिंदू पक्ष ने रामलला की पूजा की इजाजत के लिए दो अर्जियां दाखिल कीं। कोर्ट ने पूजा की इजाजत दे दी पर भीतरी दरवाजा बंद ही रखने के निर्देश दिए।
भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। मुसलमानों ने इस पर विरोध व्यक्त किया और दोनों पक्षों ने मुकदमा दायर कर दिया। इसके बाद सरकार ने इसे विवादित ढांचा घोषित कर ताला लगा दिया।
महंत रघुबीर दास ने मस्जिद से सटी जमीन पर मंदिर बनाने की मांग करते हुए मामले में पहला मुकदमा दायर किया। फैजाबाद कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी।
ब्रिटिश शासकों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी। परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति मिली।
श्रीराम जन्म भूमि पर जहां मस्जिद बनवाई गई थी, वहां आसपास के कई स्थानों पर पहली बार सांप्रदायिक दंगे हुए
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मीर बाकी ने मस्जिद का निर्माण करवाया। तत्कालीन मुगल सम्राट के नाम पर इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा गया।
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अयोध्या स्टेशन से करीब 50 से अधिक नियमित ट्रेनें गुजरती हैं। इस वजह से अयोध्या देश के कई शहरों से पहले से ही रेल के माध्यम से कनेक्टेड है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में जुटने वाली भीड़ को देखते हुए रेलवे 19 जनवरी से अगले 100 दिनों में 1000 ट्रेनें चलाएगा। ट्रेन यात्रियों की सुविधा के लिए अयोध्या धाम जंक्शन को 240 करोड़ की लागत से नए सिरे से बनाया गया है। अनुमान है कि आने वाले दिनों में करीब 50 हजार लोग रोजाना ट्रेनों के जरिए अयोध्या पहुंचेंगे।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले अयोध्या के लिए एयर सर्विस शुरू हो चुकी है। 30 दिसंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट का उद्घाटन किया। इसके बाद दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद से अयोध्या के लिए फ्लाइट शुरू हो चुकी है। अगले दो सालों में अयोध्या के लिए देश के 80 बड़े शहरों से सीधी उड़ान सेवा शुरू करने की योजना है। महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट के अलावा लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी एयरपोर्ट भी अयोध्या से 200 किलोमीटर के दायरे में ही हैं। इसलिए इन शहरों के लिए भी फ्लाइट लेकर अयोध्या पहुंचा जा सकता है।
यूपी के सभी बड़े शहरों से पहले से ही रोडवेज की बसों के जरिए अयोध्या पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से भी अयोध्या के लिए सीधी बस सेवा है। शहर में दो बस अड्डे हैं, लेकिन बसें फिलहाल पुराने बस स्टॉप से ही चल रही हैं। नया बस अड्डा भी जल्द ही शुरू होने वाला है।
अयोध्या तीर्थ स्थान है, तो यहां श्रद्धाभाव से आप कभी भी जा सकते हैं और इसके लिए किसी खास समय या सीजन के इंतजार की जरूरत नहीं है। फिर भी अयोध्या की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए अक्टूबर से लेकर मार्च का महीना मौसम के लिहाज से यहां जाने के लिए सबसे उचित होगा। गर्मी कम होती है तो यात्रा करना आरामदायक होता है। दिवाली के समय में अयोध्या का दीपोत्सव देखने लायक होता है। शहर में सरयू के घाटों पर लाखों दीये जलाए जाते हैं। राम की नगरी होने की वजह से रामनवमी के समय पूर शहर भक्ति और उत्साह से भरा होता है। श्रावण मास में अयोध्या जाना अच्छा रहेगा। वर्षा ऋतु में घूमने में थोड़ी असुविधा हो सकती है लेकिन श्रावण के महीने में यहां विभिन्न धार्मिक आयोजन होते हैं। इस समय अयोध्या की हरियाली और सरयू नदी का दृश्य बहुत सुंदर होता है।
राम मंदिर अभी बनकर तैयार नहीं हुआ है, बनने के बाद अयोध्या का सबसे बड़ा आकर्षण राम मंदिर होने वाला है। अभी रामलला के दर्शन के अलावा आप हनुमान गढ़ी, राम की पैड़ी, सीता रसोई, दशरथ महल, तुलसी स्मारक भवन, गुप्तार घाट, कनक महल, नागेश्वरनाथ मंदिर, मणि पर्वत, मत्तगजेंद्र, सप्तसागर तीर्थ, देवकाली, सूर्यकुंड, सहस्त्रधारा, श्रीलक्ष्मण मंदिर आदि जा सकते हैं।
अयोध्या पहुंचने के लिए सड़क, हवाई और ट्रेन तीनों साधन उपलब्ध हैं। अभी अयोध्या एयरपोर्ट से दिल्ली और अहमदाबाद से ही उड़ान सेवा उपलब्ध है। आने वाले दिनों में और शहरों से भी अयोध्या के लिए फ्लाइट्स शुरू होने की उम्मीद है। लखनऊ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अयोध्या से 152 किलोमीटर दूर है। अयोध्या गोरखपुर हवाई अड्डे से लगभग 158 किलोमीटर, प्रयागराज हवाई अड्डे से 172 किलोमीटर और वाराणसी हवाई अड्डे से 224 किलोमीटर दूर है। ट्रेन रूट्स की बात करें तो अयोध्या देश के सभी प्रमुख महानगरों से जुड़ा है। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की सेवा भी अयोध्या के लिए 24 घंटे उपलब्ध है। इसके अलावा प्राइवेट बस ऑपरेटर्स की सर्विस है अयोध्या के लिए।
अयोध्या में दो रेलवे स्टेशन हैं- अयोध्या धाम जंक्शन और अयोध्या कैंट रेलवे स्टेशन। अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन से राम मंदिर तक की दूरी लगभग एक किलोमीटर है। आप चाहें तो अयोध्या धाम जंक्शन रेलवे स्टेशन से बिरला धर्मशाला होते हुए 15 मिनट में पैदल राम मंदिर तक जा सकते हैं। ई-रिक्शा का किराया प्रति पैसेंजर 10 रुपये है। इस दौरान रास्ते में चारों तरफ आपको रामायण कालीन दृश्य नजर आएंगे। अयोध्या कैंट रेलवे स्टेशन से राम मंदिर की दूरी लगभग 12 किलोमीटर है। श्रद्धालुओं को रामपथ पर इलेक्ट्रिक बस भी मिल जाएगी, जो मंदिर के सामने से गुजरेगी।
अयोध्या बस अड्डे से राम मंदिर की दूरी 3 किलोमीटर और महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट से 7 किलोमीटर है। बस अड्डे से ऑटो और ई-रिक्शा वाले प्रति पैसेंजर 20 रुपये किराया लेंगे। रिजर्व ऑटो वाले आपसे 80 से 100 रुपये तक ले सकते हैं। अयोध्या में टाटा की 12 इलेक्ट्रिक कारों को ईवी प्लस ऐप के जरिये बुक किया जा सकेगा। अयोध्या विकास प्राधिकारण की तरफ से राम पथ से गुप्तार घाट,नयाघाट औरभरतकुंड के लिए 38 इलेक्ट्रिक बस चलाने की भी योजना है।
पूर्ण रूप से तैयार राम मंदिर में तीन तल, एक मुख्य शिखर और पांच उप-शिखर होंगे। 22 जनवरी को मंदिर के भूतल में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। भूतल का काम 22 जनवरी से पहले पूरी तरह से खत्म कर लेने की योजना है। अगले दो सालों में यानी जनवरी 2025 तक राम मंदिर के तीनों तल का निर्माण पूर्ण हो जाने की उम्मीद है। मुख्य शिखर 161 फीट ऊंचा होगा तो इसे सबसे अंत में बनाया जाएगा। 360 फीट लंबे और 250 फीट चौड़े मंदिर में कुल 392 स्तंभ होंगे।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का शुभ मुहूर्त निकाला गया है। यह 22 जनवरी 2024 को 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक होगा। राम मंदिर में आरती तीन टाइम की जाएगी, जिसका समय सुबह 6:30 बजे, दोपहर 12:00 बजे और शाम 7:30 बजे होगा।
राम मंदिर परिसर में चारों कोनों पर चार मंदिर होंगे। ये सूर्य देव, देवी भगवती, गणेश भगवान और भगवान शिव को समर्पित होंगे। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा का मंदिर और दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर है। राम मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से है, सिंह द्वार से 32 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर में प्रवेश होगा। दिव्यांगों और बुजुर्गों की सुविधा के लिए रैंप और लिफ्ट की व्यवस्था होगी।