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आचार्य द्विवेदी के गांव में लगे मेले में पहुंचे साहित्यकार

सरेनी। शुक्रवार को हिंदी साहित्य के पुरोधा आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के पैतृक गांव...

आचार्य द्विवेदी के गांव में लगे मेले में पहुंचे साहित्यकार
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,रायबरेलीFri, 11 Nov 2022 11:25 PM
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सरेनी। शुक्रवार को हिंदी साहित्य के पुरोधा आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के पैतृक गांव दौलतपुर में आयोजित द्विवेदी मेले में देश के ख्याति प्राप्त साहित्यकारों का जमावड़ा लगा। विद्वानों ने दौलतपुर की मिट्टी को माथे पर लगाया। डॉ अमिता दुबे ने कहा कि भाग्यशाली हूं जो दौलतपुर आने का मौका मिला आचार्य द्विवेदी वरिष्ठ सृजनशील रचनाकार थे। उन्होंने नए चाल में ढल रही हिंदी को नया आयाम दिया और अनुशासित किया। गुलनाज बेगम ने कहा कि दिवेदी जी दूरदर्शी थे। जिन्होंने राजनीतिक सामाजिक व आर्थिक परिस्थितियों पर संपत्ति शास्त्र लिखा था। अक्षय नामदेव ने कहा कि दौलतपुर की माटी महान है, जहां आचार्य श्री ने साहित्य की साधना की। संजीव कुमार ने कहा कि महावीर प्रसाद द्विवेदी की धरती तीर्थ से कम नहीं है, यहां आकर मैं धन्य हो गया। डॉक्टर सुमन फूलारा ने द्विवेदी जी को हिंदी की बगिया का माली वा हिंदी का संसार बताया। मेले को श्रीकृष्ण ने भी संबोधित किया। वहीं कार्यक्रम में आभार पुष्पराज सिंह ने व्यक्त किया। इस मौके पर पूर्व प्राचार्य अरुण सिंह, पूर्व प्रधान रामबहादुर सिंह, गुड्डू सिंह, विनय शुक्ला, बाबूशंकर, रामबोधन सिंह, महेश प्रताप सिंह, राजू तिवारी, अरुण बाजपेई और देवेश साहू आदि थे ।

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कथक नृत्य से बंध गई समा

सरेनी। हिंदी साहित्य के पुरोधा आचार्य प्रवर के गांव दौलतपुर में आयोजित द्विवेदी मेले में रवि प्रताप सिंह के कत्थक नृत्य से समा बंध गई। दर्शकों ने दांतो तले उंगली दबाया। साहित्यिक मेले में आज रवि प्रताप सिंह ने जब पद पूजन का भी क्या उपाए शत-शत झंझावात प्रबल फिर भी स्वभाव का तू अविचल गीत पर साथी कलाकारों के साथ संगीतमय कथक नृत्य प्रस्तुत किया तो समा बंध गई । पंडाल में बैठे श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए और खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ कलाकारों का स्वागत किया। संगीतमय प्रस्तुति में अमित सिंह गुलाम मोहन सिमरनजीत ने सहयोग किया ।

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