कागजों पर ही हो रही सफाई, सिल्ट से पटी है नहरें
Raebareli News - रायबरेली में नहरों की सफाई के लिए सरकार ने छह करोड़ रुपये का बजट दिया है, लेकिन कागजों पर ही सफाई हो रही है। ऊंचाहार से महराजगंज तक कई नहरें सिल्ट से भरी हुई हैं। किसानों को गेहूं की सिचाई के लिए पानी...

रायबरेली, संवाददाता। कागजों पर चल रही नहरों की सफाई, चौकिए नहीं। सिल्ट से पटी नहरें यही बता रही हैं। सरकार ने छह करोड़ से अधिक का बजट दिया है लेकिन सफाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है। ऊंचाहार से लेकर महराजगंज तक की कई नहरें सिल्ट पटी है। सरेनी व लालगंज की नहरों में तो सिर्फ जेसीबी दौड़ाई जा रही है। मानकों को ताक पर रख कर सफाई अभियान चल रहा है। जिले में करीब 2150 किलोमीटर लम्बी नहरें है। इन नहरे दक्षिणी खंड समेत आठ खंडों में बंटी हुई है। दक्षिणी खंड का तो पूरा कार्यालय यही संचालित होता है अन्य के मुख्य दफ्तर दूसरे जनपदों में हैं। ऐसे में इन खंडों के आधीन नहरों की सफाई में बड़े पैमाने में लापरवाही बरती जा रही है। दक्षिणी खंड को 1135 किलोमीटर नहर साफ कराने के लिए अभी काम मिला है। जिसमें 865 किलोमीटर नहर की सफाई के लिए 2.91 करोड़ रुपये सरकार ने दे दिए है। जबकि अन्य खंडों को भी इसी तरह सफाई के लिए धन मिला है। पैसा मिलने के बाद भी नहरों की सफाई में तेजी से नहीं हो रही है। जबकि सफाई का काम अविलंब पूरा करना है। जिससे नहरों में गेहूं की सिचाई के लिए पानी छोड़ा जा सके। सरेनी व लालगंज विकास खंड की नहरों में तो सिर्फ जेसीबी दौड़ाई जा रही है। ऊंचाहार में तो कई नहरों में अभी तक सफाई तक नहीं शुरू हुई है। जबकि सभी खंडों को मिलाकर करीब छह करोड़ से अधिक का बजट सरकार ने जारी किया है।
ऊंचाहार में झाड़ झंखाड़ व घास से पटी नहर व माइनर का अस्तित्व ही खत्म हो रहा है। सफाई सिर्फ कागज पर ही दिखाई पड़ रही है। जमीनी हकीकत कुछ और ही दिखाई पड़ रही है। रबी फसल की बुआई का पीक चल रहा है। तमाम किसान खेत की तैयारी कर गेंहू की बुआई कर रहे हैं हैं, तो कहीं किसान खेत की तैयारी के लिए पलेवा की खातिर पानी का इंतजार कर रहे हैं। क्षेत्र की कई नहरों में पानी नहीं आ रहा है। नहरों की सफाई के नाम पर कागजी कार्यवाही की गई है। क्षेत्र में फैली दर्जनों नहरें सिल्ट और झाड़ियों से पटी हुई हैं।
क्षेत्र में करीब दो दर्जन छोटी बड़ी नहरें हैं। इनमें डलमऊ पंप कैनाल से जुड़ी नहरों का बुरा हाल है। इन नहरों में ऊंचाहार रजबहा, कंदरांवा, होरेसा, नजनपुर, रामगंज माइनरों में सिल्ट जमा है। वही पचखरा से गोकना माइनर झाड़ियों जंगली बबूल के पेड़ से पटी हुई है।
टेंडर से बचे पैसों से भी कराई जाएगी सफाई:दक्षिणी खंड के अधिशासी अभियंता राम विलास यादव ने बताया कि नहरों की सफाई काम चल रहा है। टेंडर कराने से कुछ पैसा बच गया है। उससे भी करीब अस्सी किलोमीटर की नहरों को और साफ कराया जाएगा। नहरों की सफाई में अगर कहीं लापरवाही बरती गई तो सम्बंधित के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।
जेसीबी चलाने के बाद लेबरों से होनी चाहिए सफाई:जेसीबी चलाने के बाद नहर में लेबरों को उतार कर सफाई करानी चाहिए। जेसीबी से जो मिट्टी व झांड झंखाड निकलते हैं उनको निकाल कर शेष को लेबर के माध्यम से निकाला जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रह है।
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