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भले जंगल में धूनी रमाना, मगर मेरे बेटे कचहरी न जाना...

नसीजेडसीसी का मुक्ताकाशी मंच मंगलवार को भोजपुरी गायिका चंदन तिवारी के नाम रहा। गायिका ने शिल्प मेले में अपनी मधुर प्रस्तुतियों से श्रोताओं का मन मोह...

भले जंगल में धूनी रमाना, मगर मेरे बेटे कचहरी न जाना...
हिन्दुस्तान टीम,प्रयागराजTue, 06 Dec 2022 09:30 PM
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प्रयागराज। एनसीजेडसीसी का मुक्ताकाशी मंच मंगलवार को भोजपुरी गायिका चंदन तिवारी के नाम रहा। गायिका ने शिल्प मेले में अपनी मधुर प्रस्तुतियों से श्रोताओं का मन मोह लिया। मंच पर आते ही चंदन ने संगमनगरी, महाकवि निराला और जनकवि कैलाश गौतम को याद किया। कहा कि दोनों कवि मुझे बहुत पसंद हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने महाकवि निराला की कविता वर दे, वीणावादिनि वर दे!...की संगीतमय प्रस्तुति से की। कवि कैलाश गौतम की लोकप्रिय कविता कचहरी न जाना की पंक्ति,भले डांट घर में तू बीबी की खाना, भले जैसे-तैसे गिरस्ती चलाना, भले जा के जंगल में धूनी रमाना, मगर मेरे बेटे कचहरी न जाना, कचहरी न जाना... प्रस्तुत कर समां बांध दिया। चंदन तिवारी ने मिर्जापुर की कजरी, कोयल बिन बगिया..., मांगलिक गीत और छठ मइया के लोकप्रिय गीत प्रस्तुत कर आंचलिक गीतों से मंच को समृद्ध कर दिया। छत्तीसगढ़ की गायिका शान्ती बाई चेलक ने पंडवानी लोकगीत की प्रस्तुति की। छत्तीसगढ़ के पंथी, सिक्किम के घांटू और महाराष्ट्र का पारंपरिक लावणी नृत्य की प्रस्तुति कर कलाकारों ने मंत्रमुग्ध कर दिया। संचालन शरद कुमार मिश्र ने किया।

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