जुलूस नाटक से समाज में बदलाव और समानता लाने की कोशिश
Prayagraj News - स्वराज विद्यापीठ में बादल सरकार के नाटक मिछिल का मंचन किया गया। यह नाटक असमानता, बेरोजगारी और शोषण जैसे मुद्दों पर आधारित है। कलाकारों ने भावपूर्ण प्रदर्शन के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों की पीड़ा...
स्वराज विद्यापीठ व समानांतर इंटिमेट थिएटर की ओर से बादल सरकार के बांग्ला नाटक मिछिल (जुलूस) का रविवार को स्वराज विद्यापीठ में मंचन किया गया। इससे पूर्व स्वराज एवं बादल सरकार विषय पर संगोष्ठी हुई। समाज में व्याप्त असमानता, बेरोजगारी, गरीबी और शोषण जैसे मुद्दों पर केंद्रित नाटक का कलाकारों ने भावपूर्ण मंचन किया। इसमें विभिन्न पात्रों के जरिए ये दिखाया गया कि कैसे समाज के अलग-अलग वर्गों के लोग अपनी पीड़ा और संघर्षों से गुजरते हैं। जुलूस उस सामूहिक आंदोलन का प्रतीक है जो समाज में बदलाव और समानता लाने की कोशिश करता है। यह नाटक केवल समस्या की ओर इशारा नहीं करता, बल्कि लोगों को संगठित होकर अपने अधिकारों के लिए खड़े होने की प्रेरणा भी देता है। इस नाटक को इलाहाबाद और उसके आसपास की ज्वलंत घटनाओं से जोड़कर मंचित किया गया। नाटक में मुख्य भूमिका में चंद्रा, बूढ़ा की भूमिका अरूप मित्रा, बाबा की भूमिका में धीरज श्रीवास्तव रहे। इस मौके पर समानांतर की अध्यक्ष प्रो. अनीता गोपेश, स्वराज विद्यापीठ के प्रो. रमा चरण त्रिपाठी, स्वराज विद्यापीठ की अध्यक्ष सुमन शर्मा, कथाकार मनोज पाण्डेय, डॉ. दीना नाथ मौर्य, शीतांशु कुमार भूषण, चित्रा भौमिक आदि की मौजूदगी रही।
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